Move to Jagran APP

IIT-BHU में बना पाउडर गंगा समेत अम्लीय नदियों को करेगा निर्मल, बेहद कारगर और सस्ती तकनीक

गंगा समेत बेहद अम्लीय नदियों को निर्मल बनाने के लिए आइआइटी-बीएचयू के युवा वैज्ञानिकों ने बेहद सरल कारगर और सस्ती तकनीक इजाद की है। आइआइटी-बीएचयू में धान की भूसी व आयरन से एक ऐसा पाउडर (एडजार्वेंट) तैयार किया है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Fri, 05 Feb 2021 07:47 PM (IST)Updated: Fri, 05 Feb 2021 08:27 PM (IST)
गंगा में अपशिष्ट पदार्थों और भारी धातु व आयनों जैसे विषाक्तों को खत्म किया जा सकेगा।

वाराणसी, जेएनएन। गंगा समेत बेहद अम्लीय नदियों को निर्मल बनाने के लिए आइआइटी-बीएचयू के युवा वैज्ञानिकों ने बेहद सरल, कारगर और सस्ती तकनीक इजाद की है। आइआइटी-बीएचयू में धान की भूसी व आयरन से एक ऐसा पाउडर (एडजार्वेंट) तैयार किया है, जिससे गंगा में अपशिष्ट पदार्थों और भारी धातु व आयनों जैसे विषाक्तों को खत्म किया जा सकेगा। दरअसल गंगा में ही हेक्सावलेंट क्रोमियम (क्रोमियम-6) पाए जाते हैं, जो कैंसर, किडनी व लीवर फेलियर जैसे जानलेवा रोगों को जन्म देते हैं। इस पाउडर के उपयोग से जल में मौजूद हानिकारक हेक्सावलेंट क्रोमियम को क्रोमियम-3 में परिवर्तित किया जा सकता है। इससे उसकी विषाक्तता खत्म हो जाती है। यह शोध प्रख्यात जर्नल आफ एनवायर्नमेंटल केमिकल इंजीनियरिंग में प्रकाशित हो चुका है।

loksabha election banner

पीएचडी छात्रों ने खोजी तकनीक

यह इको-फ्रेंडली एडजार्वेंट संस्थान के बायोकेमिकल इंजीनियरिंग विभाग में डा. विशाल मिश्रा और उनके मार्गदर्शन में पीएचडी छात्रों वीर सिंह और ज्योति सिंह ने तैयार किया है। डा. विशाल मिश्रा ने बताया कि एक लीटर पानी में एक ग्राम पाउडर के उपयोग से ही क्रोमियम तत्काल अवशोषित हो जाता है। उन्होंने बताया कि उन्नाव से कानपुर जोन में क्रोमियम बहुत ज्यादा निकलता है। इस पर सरकार यदि चाहे तो इस विधा से आसानी से गंगा के इस खतरनाक रासायनिक प्रदूषण को रोक सकती है। उन्होंने बताया कि इस शोध का एक सामाजिक पहलु यह भी है कि धान की भूसी हर जगह आसानी से उपलब्ध है।

यह है निर्मलीकरण की विधि

आयरन धातु पर धान के भूसी की कोटिंग कर देते हैं, जिस पर भूसी चिपक जाता है। इसके बाद पानी में व्याप्त क्रोमियम-6 से क्रिया करके उनके इलेक्ट्रान को बदल देता है, जिससे नुकसान देह तत्व खत्म हो जाता है। क्रोमियम-6 की तुलना में क्रोमियम-3 100 गुना कम विषाक्त होता है और यह पानी में कम घुलनशील होता है जिसके कारण इसको आसानी से अवशोषित किया जा सकता है। सबसे खास बात यह है कि यह पाउडर पीएच-2 मान वाले जल में भी काम करता है। यानि कि पानी चाहे जितना भी अम्लीय हो यह तकनीक उसे निर्मल बना ही देगी।  

23 करोड़ लोग पीते हैं दूषित पानी

डा. मिश्रा ने जल संसाधन मंत्रालय की रिपोर्ट का उदाहरण देते हुए बताया कि बड़ी संख्या में भारतीय आबादी जहरीली धातुओं के घातक स्तर के साथ पानी पीती है। 21 राज्यों में 153 जिलों के लगभग 23 करोड़ लोग पानी पीते हैं, जिसमें अस्वीकार्य रूप से उच्च स्तर के जहरीले धातु आयन होते हैं। डब्ल्यूएचओ ने चेतावनी दी है कि लंबे समय तक दूषित पानी का सेवन करने से बहुत प्रकार की बीमारियां हो सकती हैं जैसे कि त्वचा, पित्ताशय, गुर्दे या फेफड़ों में कैंसर हो सकता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.