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    UP News: वेंकैया नायडू की बेटी के प्रयासों से 14 साल बाद मिला लापता बेटा, हैरान करने वाली है इनकी कहानी

    Updated: Fri, 04 Apr 2025 08:21 AM (IST)

    14 साल पहले मुंबई से लापता हुआ बड़ागांव के पुनवासी कन्नौजिया का बेटा नीरज आखिरकार अपने परिवार से मिल गया। पूर्व उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू की बेटी दीपा वेंकेट के प्रयासों से यह संभव हो सका। दीपा ने ट्रस्ट के जरिए नीरज को पढ़ाया-लिखाया और उसके परिवार को खोजने में मदद की। होली के बाद दीपा नीरज को लेकर उसके पैतृक गांव पहुंचीं और उसे उसके माता-पिता से मिलाया।

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    बिछड़े नीरज को मां पिता व बहनों से मिलाते हुए ट्रस्टी दीपा वेंकेट

    जागरण संवाददाता, वाराणसी। बड़ागांव के पुनवासी कन्नौजिया का 11 वर्षीय बेटा नीरज 14 साल पहले मुंबई के मलाड से गायब हो गया था। बालक वहां से भटकते हुए आंध्र प्रदेश के कुडूर पहुंच गया। वहां वह एक ट्रस्ट वालों को मिला जिन्होंने उसे पढ़ा-लिखाकर योग्य बनाया।

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    इतना ही नहीं मैनेजिंग ट्रस्टी व पूर्व उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू की बेटी दीपा वेंकेट ने बालक के परिवार को खोजने का बहुत प्रयास किया। अंत में उनका प्रयास रंग लाया। वह पता ढूंढ़ते हुए होली के बाद उसके पैतृक गांव पहुंचीं और खोए बेटे को मां-बाप से मिलवाया।

    25 वर्ष के हो चुके बेटे से मिलते ही पूरे परिवार में खुशी की लहर दौड़ गई। मां और बेटे का मिलन देख सभी के आंखें भर आईं।पुनवासी अपने बड़े पुत्र धीरज के साथ मुंबई के मलाड में कपड़ा प्रेस करने का काम करता था। नीरज पढ़ाई में थोड़ा कमजोर था। इस कारण पिता उसे 2011 में मुंबई लेकर आ गए।

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    11 वर्ष की आयु में पिता की डांट से नाराज़ होकर गायब हुए नीरज कन्नौजिया की फोटो। जागरण


    एक दिन पढ़ाई न करने पर पिता ने नीरज को डांट दिया, जिससे दुखी होकर नीरज एक ट्रेन में बैठ गया। भटकते हुए वह आंध्र प्रदेश के गुडूर स्टेशन पहुंच गया। वहां पुलिस ने उसको स्वर्ण भारत ट्रस्ट की मैनेजिंग ट्रस्टी दीपा वेंकेट को सौंप दिया। आंध्र प्रदेश के नेल्लोर स्थित वेंकटचलम में इस ट्रस्ट का मुख्यालय है।

    नीरज के घर गांगकला में छोटे बच्चे को खिलाते हुए ट्रस्टी दीपा वेंकेट व नीरज।


    वहीं इस बच्चे का पालन पोषण होने लगा। नीरज ने हाई स्कूल तक की शिक्षा संग रोजगारपरक शिक्षा भी ग्रहण कर ली। इस दौरान नीरज ने ट्रस्ट के लोगों को अपने बारे में बताया। जानकारी के आधार पर अक्टूबर 2024 में ट्रस्ट के लोग नीरज को लेकर मलाड पहुंचे तो नीरज ने अपने पिता के काम करने वाले स्थान को पहचान लिया।

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    वहीं से पिता का पता व मोबाइल नंबर दिया। इसके बाद ट्रस्ट के लोगों ने दिए गए नंबर पर नीरज के पिता से बात की और उसे लेकर उसके गांव पहुंचे और परिजन से उसे मिलवाया।