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    Mauni Amavasya 2024: इस बार अनुदया मौनी अमावस्या, महोदय योग का विशेष संयोग; ऐसे करें श्रीहरि का पूजन

    Mauni Amavasya 2024 सनातन धर्म में माघी स्नान का प्रमुख स्थान शास्त्रों में बताया गया है। इस मास के पांच प्रमुख स्नान में मौनी अमावस्या की विशेष महत्ता है। अमावस्या तिथि नौ फरवरी को सुबह 7.21 बजे लग रही जो 10 फरवरी को सुबह 5.06 बजे तक रहेगी। अबकी मौनी अमावस्या पर मिल रहे महोदय योग से महापुण्यदायी होगी।

    By Jagran News Edited By: Swati Singh Updated: Thu, 08 Feb 2024 09:43 AM (IST)
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    इस बार अनुदया मौनी अमावस्या, महोदय योग का विशेष संयोग; ऐसे करें श्रीहरि का पूजन

    जागरण संवाददाता, वाराणसी। सनातन धर्म में माघी स्नान का प्रमुख स्थान शास्त्रों में बताया गया है। इस मास के पांच प्रमुख स्नान में मौनी अमावस्या की विशेष महत्ता है। इस बार मौनी अमावस्या नौ फरवरी को पड़ रही है। अमावस्या तिथि नौ फरवरी को सुबह 7.21 बजे लग रही जो 10 फरवरी को सुबह 5.06 बजे तक रहेगी। अबकी मौनी अमावस्या पर मिल रहे महोदय योग से महापुण्यदायी होगी।

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    ख्यात ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी के अनुसार इस योग के साथ ही दिन भर और कई शुभ योग मिल रहे हैं। इसमें सर्वार्थ सिद्धि व यायीजय योग शामिल हैं तो सबसे खास इस बार की मौनी अमावस्या अनुदया होगी। कहने का आशय यह कि इस बार अमावस्या का क्षय है। महोदय योग एक लंबे अंतराल के बाद आता है। पं. ऋषि द्विवेदी ने कहा कि इस योग में स्नान का सौभाग्य जीवन में एक-दो बार ही मिल पाता है।

    एक स्नान से समस्त अमावस्या की डुबकी का पुण्य

    मौनी अमावस्या माघ मास का तीसरा प्रमुख स्नान होता है। इस स्नान पर्व पर काशी में गंगा या प्रयाग संगम पर डुबकी का विशेष महत्व है। कहा गया है केवल माघ मास की अमावस्या पर स्नान कर लेने से वर्ष की समस्त 12 अमावस्या के स्नान का पुण्य फल प्राप्त हो जाता है। मौन रह कर गंगा स्नान की विशेष महत्ता है।

    श्रीहरि का पूजन

    तिथि विशेष पर नित्य क्रिया से निवृत्त होकर गंगा स्नान कर भगवान भास्कर को अर्घ्य देना चाहिए। श्रीहरि का पूजन-वंदन कर विष्णु सहस्त्रनाम, विष्णु मंत्र, आदि का पाठ करना चाहिए। पंचोपचार या षोडशोपचार पूजन कर नैवेद्य में श्रीहरि को पीला पेड़ा, पीत पुष्प अर्पित करना चाहिए। स्नान के साथ दान की विशेष महत्ता है। इसमें घृत, कंबल, तिल-गुड़, स्वर्ण-रत्न ब्राह्मणों को दान करने से श्रीहरि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। जन्म जन्मांतर के पापों का नाश के साथ अश्वमेधादि यज्ञ के बराबर पुण्य फल की प्राप्ति होती है।

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