काशी में मराठों की कुलदेवी मां तुलजा भवानी विराजमान, भक्तों की अटूट आस्था का केंद्र
काशी के रामेश्वर तीर्थ धाम में मराठों की कुलदेवी मां तुलजा भवानी विराजती हैं। मान्यता है कि छत्रपति शिवाजी महाराज के गुरु समर्थ रामदास ने भी यहां मां की उपासना की थी। देवी भागवत पुराण के अनुसार मां भगवती जगदंबा ने असुरों से संघर्ष करते हुए 32 देवियां उत्पन्न कीं जिनमें से 12वीं देवी मां तुलजा भवानी हैं।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। काशी पंचक्रोशी यात्रा मार्ग के तीसरे पड़ाव रामेश्वर तीर्थ धाम में छत्रपति शिवाजी महाराज व मराठों की कुलदेवी मां तुलजा भवानी मां दुर्गा भवानी विराजित है। जनश्रुति है कि छत्रपति शिवाजी महाराज के गुरु समर्थ रामदास ने भी यहां आकर मां की उपासना की थी। मां तुलजा उनकी पूजित देवी हैं। यह भक्तों की समस्त मनोकामना पूरी करने वाली हैं तथा पूरे परिक्षेत्र के लोगों की अटूट आस्था का केंद्र हैं।
देवी भागवत पुराण के अनुसार देवी भगवती जगदंबा ने असुरों के साथ संघर्ष करते हुए हाहाकार किया तो उस समय उनके मुख से 32 देवियां शक्ति स्वरूप निकलीं, जिसमें से 12वीं देवी मां तुलजा भवानी हैं। ये सतयुग की देवी हैं। इन्हीं के दाहिने मां दुर्गा की मूर्ति है। इनकी स्थापना पंजाब की रानी ने तुलजा भवानी के दर्शन के पश्चात की थी। देवी भागवत में यह प्रमाण मिलता है कि मां जगदंबिका ने जब दुर्गम नामक असुर को मारा तो उनका नाम दुर्गा पड़ गया।
महाराष्ट्र के शोलापुर के दक्षिण प्रांत के तुलजापुर गांव में मां देवी का प्राकट्य माना जाता है। छत्रपति शिवाजी महाराज को मां भवानी ने रत्नजड़ित तलवार प्रदान किया था जिससे उन्होंने मुगल शासक औरंगजेब पर विजय पाई थी। औरंगजेब जब रामेश्वर में हिंदू मंदिरों को नष्ट कर रहा था, तो उसी समय भवानी ने काला भौंरा बनकर उसे दौड़ा लिया। अंतत: वह अपने सैनिकों सहित भाग खड़ा हुआ। प्रमाणित रूप से आज भी रामेश्वर में चौरा माता की खंडित पत्थर की मूर्ति ग्रामीणों द्वारा पूजित है।
वास्तु : 18वीं शताब्दी की खास कलाकृति से परिपूर्ण रामेश्वर महादेव मंदिर परिसर में मां तुलजा का मंदिर निर्मित था। प्राचीन मंदिर जब जर्जर हो गया तो बाद में मंदिर प्रशासन ने सहयोग से आधुनिक ढंग की सुविधाओं से युक्त निर्माण कराया।
आयोजन : काशी पंचक्रोशी यात्रा मार्ग के तीसरे पड़ाव धाम में शारदीय व चैत्र नवरात्र में यहां मनौती पूरी करने के लिए बृहद हवन पूजन व पाठ किया जाता है। प्रतिवर्ष चैत्र मास में देवी का श्रृंगार कर विशेष पूजन होती है जिसमे आस पास सहित शहर व अन्य प्रांतों से भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती हैं। रात्रि भर शास्त्रीय संगीत का शमा चलता है।
कैसे पहुंचें : मां तुलजा-दुर्गा भवानी धाम में पहुंचने के लिए कैंट से सिटी बस चलती है। शहर से 16 किमी दूर होने से सीधे आटो रिक्शा से पहुंचा जा सकता है। राजातालाब-जंसा से भी आटो द्वारा पहुंच सकते हैं। दिन भर साधनों की उपलब्धता रहती है।
रामेश्वर तीर्थ धाम में माताजी काशी प्रवास कर रही हैं। दक्षिण के भक्तजन नियमित दर्शन करने आते रहते हैं। क्षेत्र के हर घरों के मंगल कार्य देवी पूजन से शुरू होता है। सुबह-शाम मंदिर में देवी की झलक पाने की उत्कंठा से दरबार मे भक्तजनों की भीड़ पूरे नवरात्र लगी रहती है। देवी मनोकामना को पूर्ण करती हैं। -पं. अन्नू तिवारी, पुजारी।
मां भवानी की कृपा है कि कोई अनहोनी नही होने देती। अनहोनी की सूचना पुजारी को स्वप्न में देकर भक्तों की रक्षा करती हैं। मनोकामना पूर्ण करती हैं जिससे हर मंगल कार्य के पूर्व यहां देवी की पूजा की जाती है। सीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट से पंचकोशी विकास स्थल व परिपथ को सर्व सुविधा संपन्न बना दिया गया है। अब तो हर भक्त आकर भाव विभोर हो उठता है।
-पं. अभय त्रिपाठी, नेमिभक्त, रामेश्वर।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।