#महाशिवरात्रि : भगवान शिव को प्रिय चमत्कारी औषधि धतूरा की जानिए सबसे बड़ी खूबी
प्रसाद के सभी अवयवों की महत्ता है मगर लोग धतूरे के महत्व के बारे में कम ही जानते होंगे धतूरा ऐसा पौधा है जिसके चमत्कारी गुणों के कारण शिवजी को विशेष प्रिय है।
वाराणसी [कृष्ण बहादुर रावत]। आज महाशिवरात्रि है, बाबा विश्वनाथ दरबार में भक्तों की ओर से दूध के साथ प्रसादों की कडी में धतूरा भी चढाया जाता है। वैसे तो प्रसाद के सभी अवयवों की महत्ता है मगर लोग धतूरे के महत्व के बारे में कम ही जानते होंगे। धतूरा ऐसा पौधा है जिसके चमत्कारी गुणों के कारण शिवजी को विशेष प्रिय है। धतूरा का प्रयोग अधिकांश लोग नशे के लिए करते है जो की स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालता है लेकिन यदि इसका उचित मात्रा में वैद्य की सलाह से चिकित्सा में प्रयोग किया जाय तो अभूतपूर्व लाभ मिलता है। धतूरा का पौधा जड़ से लेकर तना तक औषधि गुणों से परिपूर्ण होता है। आयुर्वेद पद्धति में धतूरा का बहुत महत्व है।
चौकाघाट स्थित राजकीय स्नातकोत्तर आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय, वाराणसी के कायचिकित्सा एवं पंचकर्म विभाग के वैद्य डॉ. अजय कुमार बताते हैं कि आयुर्वेद में धतूरे का प्रयोग कई औषधियां बनाने में किया जाता है। आयुर्वेद में अम्लपित्त की प्रसिद्ध औषधि सुतशेखर रस और श्वांस रोग की प्रसिद्ध औषधि कनकासव तथा जोड़ दर्द में प्रयोग की जाने वाली महाविषगर्भ तैल इसी धतूरे से बनाई जाती है। आयुर्वेद के ग्रंथों में धतूरा को मदन, उन्मत्त, शिवप्रिय, महामोही, शिवशेखर और कनक आदि नामों से जाना जाता है। इसके फल गोल, कांटेदार और भीतर बहुत बीजों वाला होता है। इसके वनस्पति के सूखे पत्ते और बीज औषधि प्रयोग के काम आते हैं।
धतूरे के क्या हैं चिकित्सकीय गुण -
आयुर्वेदिक गुणों से भरपूर धतूरा सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है। योग्य वैद्य की सलाह से निम्न रोगों में इसका प्रयोग किया जाता है-
1. धतूरे का प्रयोग दर्द-निवारक के रूप में किया जाता है। इसकी पत्तियों, फूलों व बीजों को पीसकर इसका लेप दर्द वाले स्थान करने पर लगाने से राहत मिलती है।
2. इसके लेप को तिल के तेल में पकाकर धतूरा तेल का निर्माण कर इसे लगाने से भी दर्द में लाभ मिलता है।
3. इसका लेप बवासीर के दर्द से भी राहत देती है।
4. दमा आदि श्वसन तंत्र व सांस संबंधी रोगों में यह बेहद लाभकारी है। फेफड़े, छाती आदि में कफ जमा होने पर यह रामबाण की तरह काम करता है।
5. नपुंसकता जैसी बीमारियों में भी इसका सेवन से लाभ मिलता है।
6. अम्लपित्त आदि पेट की बीमारियों में भी बेहतरीन लाभ मिलता है।
7. इनके अतिरिक्त धतूरे का सेवन शरीर में सूजन, मिर्गी और कमजोरी जैसी अनेक बीमारियों को दूर करने में मदद करता है।
8. इसमे एन्टीकोलीनेर्जीक गुणों के कारण अतिसार, गृहणी और हृदय रोग में भी इसका प्रयोग किया जाता है।