Varanasi News: भक्तों के साथ बाबा जागे पूरी रात, 46.45 घंटे बाद विश्राम पर गए काशी विश्वनाथ
काशी विश्वनाथ मंदिर में महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर बाबा विश्वनाथ ने भक्तों के साथ पूरी रात जागरण किया। लगातार 46 घंटे 45 मिनट तक भक्तों को दर्शन देने के बाद बाबा ने विश्राम लिया। इस दौरान 1169553 श्रद्धालुओं ने बाबा के दर्शन किए जो एक नया रिकॉर्ड है। चार प्रहर की आरतियों में बाबा काे विधिवत पंचामृत स्नान-अभिषेक करा कर विविध रुद्र मंत्रों से उनकी दिव्य आरती की गई।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। काशीपुराधिपति बाबा विश्वनाथ शिव अपने विवाहोत्सव में महाशिवरात्रि की पूरी रात भक्तों के साथ जागते रहे। लगातार 46 घंटे 45 मिनट तक भक्तों को दर्शन देने के उपरांत बाबा ने गुरुवार की रात 11 बजे विश्राम लिया। पर्व विशेष पर भोर में छह बजे तक कुल 11,69,553 श्रद्धालुओं ने बाबा के दर्शन कर लिए थे, जो स्वयं में एक नया रिकार्ड बना। इसके बाद भी श्रद्धालुओं की अटूट कतार लगातार बनी हुई थी, जनप्रवाह था कि रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था।
महाशिवरात्रि पर्व पर बाबा विश्वनाथ ने मंगलवार की रात एक बजे मंगला आरती के पश्चात लगभग सवा घंटे का ही विश्राम लिया था, रात सवा दो बजे पुन: मंगला आरती हुई और तीन बजे मंदिर के पट व गर्भगृह भक्तों के लिए खोल दिए गए। सुबह सात बजे से अखाड़ों के नागा संन्यासियों ने दोपहर बाद तीन बजे तक दर्शन-पूजन किया तो साथ-साथ दर्शनार्थियों की कतार भी चलती रही।
द्वितीय प्रहर। मंदिर प्रशासन
नागा अखाड़ों के संन्यासियों के वापस जाने के बाद जब प्रवेश द्वार क्रमांक चार खुला तो रुका हुआ जनप्रवाह और तीव्र गति से उमड़ पड़ा। पर्व विशेष पर मध्याह्न भोग आरती प्रात: 11:35 बजे हुई। इसके बाद नित्य होने वाली सप्तऋषि आरती, श्रृंगार भोग आरती व शयन आरती को स्थगित कर दिया गया। विवाहोत्सव के क्रम में बुधवार रात्रि 11 बजे से गुरुवार की प्रात: 6:30 बजे तक चार पहर की आरतियां की गईं।
शक्ति धाम में आयोजन। जागरण
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गुरुवार की भोर में बाबा की मंगला आरती नहीं हुई। इन चार प्रहर की आरतियों में बाबा काे विधिवत पंचामृत स्नान व अभिषेक करा कर विविध रुद्र मंत्रों से उनकी दिव्य आरती की गई। इस अवसर पर बाबा का श्रृंगार दूल्हे के रूप में किया गया था।
प्रथम प्रहर। सौजन्य : मंदिर प्रशासन
बाबा को धतूर फल, बेर, बेलपत्र, मदार पुष्पा माला आदि से श्रृंगार कर गुलाल से अभिषेक किया गया। श्रद्धालु दर्शन कर बाबा को प्रसाद चढ़ा नतमस्तक होते रहे। इसके बाद गुरुवार को पूरे दिन व रात के एक बजे भक्तगण बाबा के दर्शन-पूजन करते रहे। दूसरे दिन 46.45 घंटे लगातार भक्तों को दर्शन देने के बाद बाबा ने रात सवा एक बजे शयन आरती के साथ विश्राम लिया।
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