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    काशी में बोले स्वामी यतींद्रानंद गिरि, संगम आकर अकबर को महसूस हुआ था 'यहीं पर बसते हैं अल्लाह', फिर नाम दिया इलाहाबाद

    Updated: Sat, 28 Dec 2024 01:59 PM (IST)

    वाराणसी में जूना अखाड़ा के वरिष्ठ महामंडलेश्वर स्वामी यतींद्रानंद गिरि ने कहा क‍ि मुगल सम्राट अकबर को भी संगम के पवित्र स्थल पर ही शासन व्यवस्था चलाने ...और पढ़ें

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    जूना अखाड़ा के वरिष्ठ महामंडलेश्वर स्वामी यतींद्रानंद गिरि।

    जागरण संवाददाता, वाराणसी। दैनिक जागरण की महाकुंभ कलश यात्रा में जूना अखाड़ा के वरिष्ठ महामंडलेश्वर स्वामी यतींद्रानंद गिरि वाराणसी पहुंचे। यहां उन्‍होंने कहा कि मुगल सम्राट अकबर को भी संगम के पवित्र स्थल पर ही शासन व्यवस्था चलाने का ज्ञान मिला था। अकबर ने संगम आकर महसूस किया कि यहां अल्लाह आबाद है यानि परमात्मा व्याप्त हैं। तभी उसने इस स्थान का नाम इलाहाबाद कर दिया था।

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    उन्होंने बताया कि कुंभ महापर्व का बौद्धिक, पौराणिक, ज्योतिषी के साथ-साथ वैज्ञानिक आधार भी है। इसका वर्णन भारतीय संस्कृति के आदि ग्रंथ वेदों में भी मिलता है। बताया कि समुद्र मंथन के दौरान अमृत की कुछ बूंदें प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक व उज्जैन में गिरी थीं। इन चारों स्थानों पर कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है।

    ब्रह्मांड की समस्त ऊर्जा का केंद्र है महाकुंभ

    प्रयागराज समस्त तीर्थों के राजा हैं। ब्रह्मांड की समस्त ऊर्जा का केंद्र महाकुंभ है। यह मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति का सशक्त माध्यम भी है, जहां दिव्य और अलौकिक योगियों का समागम माघ मास में होता है। इस महाकुंभ में समस्त तीर्थ, देव-असुर शामिल होते हैं। संतजन जगत के कल्याण की कामना से यज्ञ-अनुष्ठान और कल्पवास के रूप में तपस्या करते हैं।

    समस्‍त पापों से म‍िलती है मुक्ति

    महाकुंभ सृष्टि के कल्याण, आध्यात्मिक चेतना व उत्थान का महापर्व है। यह पवित्र पर्व मनुष्य को आत्मशुद्धि का अवसर प्रदान करता है। महाकुंभ के पुनीत अवसर पर संगम के पवित्र जल में डुबकी लगाने से जन्म-जन्मांतर के समस्त पापों से मुक्ति मिलती है। यह संपूर्ण विश्व का एकमात्र स्थान है, जहां पर तीन-तीन नदियां गंगा, यमुना, सरस्वती मिलती हैं।

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    प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन होगा अद्वितीय

    यहीं से अन्य नदियों का अस्तित्व समाप्त होकर आगे एकमात्र नदी गंगा का महत्व शेष रह जाता है। यहां स्वयं ब्रह्माजी ने यज्ञ कराया था। ऋषि और देवताओं ने त्रिवेणी संगम में स्नान कर स्वयं को धन्य माना। इस बार तीर्थों के राजा प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन अद्वितीय होगा। काशी में दैनिक जागरण महाकुंभ कलश यात्रा की सराहना करते हुए महामंडलेश्वर ने कहा कि देवाधिदेव महादेव की नगरी काशी ज्ञान की नगरी है। इस नगरी का कभी नाश नहीं होता।

    श्रद्धा चौरसिया को म‍िला प्रथम स्‍थान

    वाराणसी : काशी हिंदू विश्वविद्यालय के चिकित्सा विज्ञान संस्थान की पीएचडी शोधार्थी श्रद्धा चौरसिया ने प्रो. सुदेश नांगिया निबंध प्रतियोगिता पुरस्कार में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। यह पुरस्कार भारतीय जनसंख्या अध्ययन संघ (आइएएसपी) के 45वें वार्षिक सम्मेलन के दौरान जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) आयोजित कार्यक्रम में प्रदान किया गया। श्रद्धा ने अपने शोधकार्य और विषय पर अद्वितीय दृष्टिकोण से निर्णायक मंडल को प्रभावित किया। यह उपलब्धि उनकी मार्गदर्शक प्रो. रायना सिंह के कुशल निर्देशन का प्रमाण है।

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