ISRO Chadrayaan-2 चांद की सतह पर काशी की छाप, सिंहशीर्ष का होगा निशान
ISRO Chadrayaan-2 वैज्ञानिकों ने पहियों पर इसरो के प्रतीक व अशोक की लाट की आकृति बनाई है जो कदम दर कदम चंद्रमा की सतह पर बनते जाएंगे।
वाराणसी, जेएनएन। चंद्रयान-2 के साथ ही काशी की पहचान और निशान चांद की सतह तक जा पहुंचे हैं। इस पूरे मिशन में जो निशान चांद पर मौजूद होंगे उनमें से एक सारनाथ से लिये गए राष्ट्रीय प्रतीक अशोक की लाट में बने सिंहशीर्ष के भी हैं।
दरसल यह निशान रोवर प्रज्ञान के चंद्रमा पर चलते समय पहियों से बनेंगे। वैज्ञानिकों ने पहियों पर इसरो के प्रतीक व अशोक की लाट की आकृति बनाई है जो कदम दर कदम चंद्रमा की सतह पर बनते जाएंगे।
इसरो ने जारी किया वीडियो
चांद की सतह पर सारनाथ से लिये गए राष्ट्रीय प्रतीक अशोक की लाट के निशान रोवर प्रज्ञान के चलने से बनेंगे। यह निशान इसरो के प्रतीक के साथ ही चंद्रमा की जमीन पर 500 मीटर तक बनेंगे। चूंकि चंद्रमा पर परिस्थितियां धरती से थोड़ी अलग हैं तो यह निशान लंबे समय तक बरकरार भी रहेंगे। लगभग साढ़े तीन मिनट के वीडियो में इसरो ने इस कार्यप्रणाली की जानकारी दी है। शुक्रवार की शाम 5.45 बजे जारी ट्वीट को हजारों लोगों ने देखा और शेयर किया।
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अशोक की लाट
सम्राट अशोक ने सारनाथ में जो स्तम्भ बनवाया था उसे ही अशोक स्तम्भ कहा जाता है। इसे राष्ट्रीय चिन्ह के तौर पर लिया गया है। स्तम्भ का शीर्ष भाग सारनाथ स्थित संग्रहालय में आज भी सुरक्षित है। इस स्तम्भ के शीर्ष पर चार शेर, नीचे सांड़ दाहिनी और घोड़ा बाईं ओर है।
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वहीं स्तम्भ में एक चक्र भी बना हुआ है। इसे 26 जनवरी 1950 को भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय चिन्ह के तौर पर अपनाया गया था। अब काशी के सारनाथ से लिया गया यह प्रतीक चांद की सतह पर भी चंद्रयान दो के जरिये अंकित होगा।