वाराणसी में IREF अधिवेशन रेल कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा का संकल्प
वाराणसी में इंडियन रेलवे एम्प्लॉयी फेडरेशन (IREF) का चतुर्थ त्रिवार्षिक राष्ट्रीय अधिवेशन आयोजित किया गया। अधिवेशन में रेलवे कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा और पुरानी पेंशन योजना (OPS) की बहाली पर जोर दिया गया। निजीकरण के खिलाफ एकजुटता का संदेश दिया गया। विभिन्न रेलवे जोन के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। इंडियन रेलवे एम्प्लॉयी फेडरेशन (IREF) का चतुर्थ त्रिवार्षिक राष्ट्रीय अधिवेशन वाराणसी के इन्द्रप्रस्थ सामुदायिक भवन में रविवार को संपन्न हुआ। इस अधिवेशन ने भारतीय रेल कर्मचारियों के बीच तेजी से लोकप्रियता हासिल की है और एक वैकल्पिक फेडरेशन के रूप में अपनी पहचान बनाई है।
अधिवेशन के पहले दिन, देशभर से आए कर्मचारियों और गणमान्य अतिथियों ने भाग लिया। अगले दिन, 22 सितंबर 2025 को, डेलिगेट सत्र का आयोजन होगा, जिसमें संगठन की दिशा और कर्मचारियों के हितों से जुड़े महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाएंगे।
इस अधिवेशन में भारतीय रेल के 15 जोन और पांच उत्पादन इकाइयों के प्रतिनिधियों ने सक्रिय भागीदारी की। मुख्य अतिथि के रूप में सुदामा प्रसाद, सांसद (आरा लोकसभा) उपस्थित रहे, जबकि विशिष्ट अतिथियों में का. शंकर, अध्यक्ष, ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियन्स (AICCTU) और अन्य प्रमुख व्यक्ति शामिल थे। अध्यक्षता का० अखिलेश पाण्डेय ने की, जबकि मुख्य वक्ता के रूप में का. राजीव डिमरी और डॉ. अतुल सूद ने अपने विचार प्रस्तुत किए।
IREF के महासचिव का. सर्वजीत सिंह ने कहा कि रेलवे कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा के लिए IREF हमेशा अग्रिम पंक्ति में खड़ा रहेगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि निगमीकरण और निजीकरण के खिलाफ यह अधिवेशन एकजुटता का संदेश देता है। पुरानी पेंशन योजना (OPS) की बहाली के लिए उनकी लड़ाई दृढ़ है और किसी भी प्रकार का समझौता स्वीकार्य नहीं होगा।
अध्यक्ष का. अखिलेश पाण्डेय ने अपने अभिभाषण में कहा कि पुरानी पेंशन योजना का संरक्षण आवश्यक है। उन्होंने यह भी कहा कि रेलवे कर्मचारियों के कल्याण के लिए हर संभव प्रयास किए जाएंगे। एन.ई. रेलवे मेंस कांग्रेस के संरक्षक का. सुभाष दूबे ने इस अधिवेशन को रेलकर्मियों के एकजुट संघर्ष का प्रतीक बताया।
IREF के मीडिया कोऑर्डिनेटर का. दुर्गेश पांडे ने बताया कि यह अधिवेशन रेलवे कर्मचारियों की आवाज़ को मजबूत करेगा और सरकार को स्पष्ट संदेश देगा कि निजीकरण और OPS के मुद्दों पर कोई समझौता नहीं होगा। गोरखपुर यांत्रिक कारखाना के मंडल मंत्री का. प्रदीप श्रीवास्तव ने कहा कि रेलवे उत्पादन इकाइयों का संरक्षण रेलवे के भविष्य के लिए आवश्यक है।
अधिवेशन के उद्देश्य में कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा, OPS की बहाली के लिए ठोस रणनीति, और निजीकरण के खिलाफ व्यापक आंदोलन शामिल हैं। महासचिव ने संगठनात्मक योजनाओं पर चर्चा की, जिसमें जागरूकता अभियान, कानूनी लड़ाई, और जन-आंदोलन की रूपरेखा शामिल है। इस अधिवेशन ने न केवल रेल कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा के लिए एक नई दिशा दी है, बल्कि रेलवे को जनता की संपत्ति के रूप में संरक्षित रखने के लिए भी एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है।
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