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    पैरों में सूजन, ब्लड प्रेशर कंट्रोल न होने पर हो सकती है नेफ्रोपैथी की समस्या

    By JagranEdited By:
    Updated: Sat, 11 Aug 2018 09:27 AM (IST)

    आयुर्वेद में है नेफ्रोपैथी का इलाज। बरतें थोड़ी सावधानी और करें नियमों का पालन तो सब कुछ आसान।

    पैरों में सूजन, ब्लड प्रेशर कंट्रोल न होने पर हो सकती है नेफ्रोपैथी की समस्या

    वंदना सिंह, वाराणसी :अगर आप मधुमेह के मरीज हैं और कुछ समय से आपका ब्लड प्रेशर कंट्रोल नहीं हो पा रहा है। आपके पैरों में सूजन आ रही है, बार बार पेशाब जाना पड़ रहा है और उल्टी और मिचली की शिकायत बनी हुई है तो यकीनन आपको नेफ्र ोपैथी हो गई है। एक अध्ययन के अनुसार लगभग 50 प्रतिशत मधुमेह के रोगियों को नेफ्र ोपैथी होने की संभावना रहती है। डायबिटिक नेफ्रोपैथी, किडनी की एक बीमारी है, जो मधुमेह के रोगियों को अपने मधुमेह पर नियंत्रण नहीं रख पाने के कारण पैदा होती है। यह गुर्दो की खराबी का सबसे बड़ा कारण भी है। मधुमेह के अलावा उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रॉल भी नेफ्रोपैथी क ा बड़ा कारण है। ये सभी मिलकर शरीर को घातक रूप से कमजोर बना देती हैं। नेफ्र ोपैथी के कारण और इलाज संबंधी तमाम सवालों के बारे में बता रहे हैं राजकीय स्नातकोत्तर आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय के कायचिकित्सा एवं पंचकर्म विभाग के डा.वैद्य अजय कुमार .. डायबिटिक नेफ्र ोपैथी के लक्षण

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    हालांकि शुरुआत में डायबिटिक नेफ्रोपैथी का पता नहीं चल पाता लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता वैसे-वैसे इनके लक्षण आगे आने शुरू होते हैं। प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं।

    हाथ, पैर, और चेहरे पर सूजन।

    ध्यान लगाने और सोने में परेशानी।

    भूख नहीं लगना।

    उल्टी और मिचली।

    बार बार लघुशंका होना।

    खुजली और अत्यंत शुष्क त्वचा।

    अनियमित धड़कन।

    माशपेशियों में ऐंठन और थकान। कौन सी जांच कराएं

    - समय समय पर शुगर की जांच कराते रहें।

    -ब्लड प्रेशर की जांच कर उसपर नियंत्रण रखें।

    -सबसे महत्वपूर्ण है यूरिन में एल्ब्यूमिन की जांच। यह घर पर डीपस्टिक किट के माध्यम से भी किया जा सकता है या किसी विश्वसनीय लैब में यूरिन का सैंपल देकर कराया जा सकता है। आपका वजन अधिक है तो अपना वजन कम करें।

    -नियमित शारीरिक व्यायाम करें।

    -कम नमक खाएं ( अधिकतम 2 ग्राम )

    -धूम्रपान एवं शराब पीने से बचें।

    -कम प्रोटीन वाले भोजन खाएं।

    -मधुमेह के लिए अपने चिकित्सक के निर्देशों का पालन करें। आयुर्वेद में उपचार -

    आयुर्वेद में किडनी के रोगों और नेफ्रो पैथी का वर्णन रक्त मेह , अलालमेह, मूत्राघात और मुत्रक्त्रिछ आदि रोगों के नाम से वर्णन किया गया है। इनक चिकित्सा के लिए हजारों औषधियों का वर्णन मिलता है। इसमें पंचकर्म चिकित्सा द्वारा भी इलाज बताया गया है। विशेषज्ञ की देखरेख में निम्न औषधियों के सेवन से नेफ्रो पैथी और अन्य मूत्र रोगों का इलाज किया जा सकता है। -शास्त्रों में लिखी गयी बहुत सी आयुर्वेदिक औषधियों से मूत्र रोगों में लाभ मिलता है।

    -नियमित रूप से गिलोय, पुनर्नवा का जूस पीने से हीमोग्लोबिन बढ़ता है।

    -तृण प@मूल, पुनर्नावाष्टक क्वाथ के नियमित सेवन से क्रेटनीन के स्तर को कम किया जा सकता है।

    -सिरम क्रेटनीन व यूरिक एसिड बढ़ने पर प्रोटीन युक्त पदार्थ जैसे मास, हरे मटर, मसूर, उड़द, चना, बेसन, कुलथी की दाल, राजमा, व शराब आदि का सेवन कम करना चाहिए।

    -नमक, सेंधा नमक, टमाटर, कालीमिर्च व नींबू का प्रयोग कम से कम करें।