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IIT-BHU देगा स्वच्छ कोयला उत्पादन की तकनीक, खनन विभाग में खुला अनुसंधान केंद्र

आइआइटी- बीएचयू अब देश को स्वच्छ कोयला उत्पादन की तकनीक सिखाएगा। आइआइटी-बीएचयू मिनी रत्न कंपनी नार्दर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड के सहयोग से देश के सबसे पुराने खनन इंजीनियरिंग विभाग (1923 में स्थापित) में कोयला गुणवत्ता प्रबंधन और उपयोग अनुसंधान केंद्र खोलेगा।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Thu, 14 Jan 2021 05:31 PM (IST)Updated: Thu, 14 Jan 2021 09:28 PM (IST)
IIT-BHU देगा स्वच्छ कोयला उत्पादन की तकनीक, खनन विभाग में खुला अनुसंधान केंद्र
आइआइटी- बीएचयू अब देश को स्वच्छ कोयला उत्पादन की तकनीक सिखाएगा।

वाराणसी, जेएनएन। आइआइटी-बीएचयू अब स्वच्छ कोयला उत्पादन व खपत की तकनीक सिखाएगा। बिना कोयला जलाए ही ऊर्जा प्राप्त करने की तकनीक पर काम करने को आइआइटी स्थित देश के सबसे पुराने खनन विभाग में मिनी रत्न कंपनी नार्दर्न कोलफील्ड्स लि. (एनसीएल) के सहयोग से एक अनुसंधान केंद्र खोला जाएगा। इसे विभाग में स्थापित करने के लिए गुरुवार को आइआइटी और एनसीएल में मेमोरेंडम आफ अंडरस्टैंडिग (एमओयू) पर हस्ताक्षर किया गया। इसे कोल क्वालिटी मैनेजमेंट एंड यूटिलाइजेशन रिसर्च सेंटर कहा जाएगा। इस केंद्र को शुरू करने को एनसीएल करीब पौने दो करोड़ की आर्थिक मदद भी उपलब्ध कराएगा।

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कार्बन फुट प्रिंट की समस्या से दिलाएंगे निजात

आइआइटी के निदेशक प्रो. प्रमोद कुमार जैन के अनुसार पर्यावरण को कार्बन फुट ङ्क्षप्रट की समस्या से निजात दिलाने के लिए बेहतर तकनीक विकसित की जाएगी। यह देश में पहली एकेडमिक-इंडस्ट्री पहल है, जिसके तहत शोधार्थी व उद्यम विशेषज्ञ एक साथ कार्य करेंगे। अनुसंधान के तहत कोयले की गुणवत्ता बढ़ा कर किस तरह कार्बन कम करें, इसकी भी तकनीक ईजाद होगी। स्वच्छ कोयला प्रौद्योगिकी पर शोध के लिए विभाग को अत्याधुनिक सुविधा से लैस किया गया है। इसके साथ ही कोयले की गुणवत्ता और ग्रेड का निर्धारण होगा। उन्होंने आश्वस्त किया कि आइआइटी और एनसीएल के वैज्ञानिक व सामूहिक प्रयास से स्वच्छ एवं सस्ती ऊर्जा की राह खुलेगी।

एनसीएल के विशेषज्ञ भी जुड़ेंगे

खनन विभाग में स्वच्छ ऊर्जा और कोयले की गुणवत्ता को बढ़ाने पर काम करने वाले डा. आरिफ जमाल ने बताया कि कोयला जलाकर हम बिजली प्राप्त करते हैं, इससे कार्बन का अत्यधिक उत्सर्जन होता है। इसे रोकने के लिए कोयले को अन्य पदार्थों में बदलकर ऊर्जा प्राप्त करने पर संस्थान और एनसीएल के विशेषज्ञ मिलकर शोध करेंगे।

1 करोड़ 80 लाख से शुरू होगा केंद्र

एनसीएल के सीएमडी पीके सिन्हा ने बताया कि आइआइटी-बीएचयू में केंद्र की शुरुआत करने के लिए कंपनी एक करोड़ 80 लाख रुपये खर्च कर रही है। एनसीएल ने आइआइटी संग कई शोध कार्यक्रम शुरू किए हैं, जिसका लाभ आगे मिलेगा। इससे पूर्व आइआइटी ने एनसीएल संग संयुक्त पीएचडी, लैब सुविधा, खदान व फील्ड डेटा के उपयोग आदि पर एमओयू किया है।

आधे देश को मिलेगा इसका लाभ

केंद्र पूर्वांचल, उत्तरी और मध्य भारत में कोयला उत्पादन व इस पर आधारित छोटे -मोटे उद्योगों की शोध आवश्यकता को पूरा करेगा। स्वच्छ ऊर्जा पर शोधकर्ताओं को भी प्रोत्साहित किया जाएगा। केंद्र का उद्देश्य एकेडमिक ज्ञान का स्तर बढ़ाने के लिए डाक्टरेट अनुसंधान, स्नातकोत्तर शोध प्रबंध और बीटेक प्रोजेक्ट््स के माध्यम से मानव संसाधन तैयार करने के साथ पेशेवर रूप से उद्योग की जरूरतों को पूरा करना है।

सरकारी व निजी कंपनियों को लाभ

केंद्र द्वारा किए गए अनुसंधान का लाभ कोल इंडिया लिमिटेड के अलावा इसकी सहायक, निजी कंपनियां और थर्मल पावर कारपोरेशन, राज्य बिजली संयंत्र व निजी क्षेत्रों के बिजली संयंत्र आदि को मिलेगा। रेलवे और तमाम कोयला व्यापारी भी केंद्र द्वारा किए गए शोध का लाभ ले सकते हैं। अनुसंधानकर्ताओं समेत तमाम कार्मिकों की भी कुशलता में उन्नयन किया जाएगा।


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