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IIT BHU के सिरेमिक लैब में आग लगने से करोड़ों की कीमत के उपकरण जलकर खाक

आइआइटी-बीएचयू के सिरेमिक लैब में अचानक लगी आग से डेढ़ करोड़ की अत्याधुनिक मशीनें लैपटॉप उपकरण और अत्याधुनिक बैटरियां व दस लाख के केमिकल जलकर राख हो गए। विभागीय सूत्रोंं के अनुसार आग की जानकारी देर से होने की वजह से लैब में काफी हिस्‍सा जलकर खाक हो गया।

By Abhishek sharmaEdited By: Published: Sat, 16 Jan 2021 06:33 PM (IST)Updated: Sat, 16 Jan 2021 08:29 PM (IST)
आइआइटी-बीएचयू के सिरेमिक लैब में अचानक लगी आग।

वाराणसी, जेएनएन। आइआइटी-बीएचयू के सिरेमिक लैब में अचानक लगी आग से डेढ़ करोड़ की अत्याधुनिक मशीनें, लैपटॉप, उपकरण और अत्याधुनिक बैटरियां व दस लाख के केमिकल जलकर राख हो गए। विभागीय सूत्रोंं के अनुसार आग की जानकारी देर से होने की वजह से लैब में काफी हिस्‍सा जलकर खाक हो गया। वहीं हादसे की जानकारी होने के बाद जबतक आग पर काबू पाया जाता तब तक काफी कीमती चीजें जलकर पूरी तरह खाक हो चुकी थीं। जानकारी होने के बाद विभागीय अधिकारियों ने भी मौके का जायजा लिया। बताया कि लैब में सुरक्षा कर्मी न होने की वजह से हादसे की जानकारी देर से हो सकी।  

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उत्तर भारत की सबसे एडवांस लैब के रूप में विख्यात आइआइटी-बीएचयू के सिरामिक इंजीनियरिंग विभाग की लैब पूरी तरह से जलकर खाक हो गई। देर करीब दो बजे भीषण आग लग गई, जिसमें प्रोफेसर और सात पीएचडी छात्रों द्वारा किया गया रिसर्च और देढ़ करोड़ से अधिक के तकनीकी उपकरण जलकर राख हो गए। हैरत की बात तो यह है कि इस आग का पता शनिवार की सुबह साढ़े दस बजे लगा, जब चहल पहल बढ़ी और पास में पीपल की कई टहनियां जली हुई मकलीं। वहीं बगल में ही प्राक्टोरियल बोर्ड का भी आफिस है।

जलने वाली सामग्रियों में कई मशीनें, अत्याधुनिक बैटरियां, पचास लाख के केमिकल, लैपटाप, कई हार्ड डिस्क व फर्नीचर आदि शामिल थे। यह लैब डा. प्रीतम सिंह की थी, जिन्होंने 2019 में नोबल विजेता जान गुडइनफ के निर्देशन में पोस्ट डाक्टाेरल की डिग्री हासिल की थी और पांच साल तक वह नोबल विजेता के मार्गदर्शन में काम करते रहे। बैटरी के क्षेत्र में इससे बड़ी लैब पूरे उत्तर भारत में नहीं थी। सात रिसर्च स्कालर अंतिम साल में हैं, जिनके द्वारा तैयार की जा रही थीसिस और मटेरियल सब जल गए।

एक बैटरी की कीमत थी पचास लाख

डा. प्रीतम लिथियम आयन बैटरी और हाइड्रोजन टेक्नोलाजी पर आधारित फ्यूल सेल पर काम कर रहे थे।

रिसर्च एंड डेवलपमेंट के डीन राजीव प्रताप मौके स्थल पर आए थे, जिन्होंने हरसंभव क्षतिपूर्ति की बात कही है। कहा जा रहा है जब से विभाग बना था तब से उसकी वायरिंग भी नहीं बदली गई, जिससे शार्ट सर्किट की आशंका बताई जा रही है। वहीं प्राक्टोरियल बोर्ड ने कुछ दिन पहले ही सुरक्षाकर्मियों की ड्यूटी बदल दी थी, जिससे वहां पर कोई सुरक्षाकर्मी आग लगने के दौरान नहीं था। विभागाध्यक्ष प्रो. वी के सिंह ने बताया कि एक बैटरी की कीमत पचास लाख रुपये थी, जो पूर्णत: जलकर राख बन गई है। एक छात्र ने बताया कि चार जनवरी को स्टाफ ने पत्र लिखकर सुरक्षा की बात कही थी, लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया गया। आग लग गई तो बुझाने का कोई रास्ता या समाधान भी नहीं है संस्थान के पास। सुरक्षागार्ड होता तो यह स्थिति नहीं देखनी पड़ती।


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