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    वाराणसी-गोरखपुर के बीच हाइड्रोजन ट्रेन चलाने की तैयारी, IIT BHU करेगा अनुसंधान

    Updated: Thu, 11 Dec 2025 08:36 AM (IST)

    प्रदेश को स्वच्छ ऊर्जा समाधानों का अग्रणी केंद्र बनाने की दिशा में, सरकार ने आइआइटी बीएचयू और मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय गोरखपुर में ग ...और पढ़ें

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     ग्रीन-हाइड्रोजन-चालित बसें चलाने की योजना बना रहा यूपीएसआरटीसी। जागरण

    जागरण संवाददाता, वाराणसी। प्रदेश को स्वच्छ ऊर्जा समाधानों का अग्रणी केंद्र बनाने की दिशा में बड़ी पहल हुई है। प्रदेश सरकार ने आइआइटी बीएचयू और मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमएमएमयूटी) गोरखपुर में संयुक्त रूप से ग्रीन हाइड्रोजन सेंटर आफ एक्सीलेंस स्थापित करने की स्वीकृति प्रदान की है।

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    अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण (यूपीनेडा) द्वारा अनुमोदित यह पहल प्रदेश में ग्रीन हाइड्रोजन से संबंधित अनुसंधान, प्रौद्योगिकी विकास और औद्योगिक अनुप्रयोगों को बढ़ावा देगी। प्रमुख लक्ष्य रेलवे मंत्रालय के सहयोग से वाराणसी और गोरखपुर के बीच भारत की पहली हाइड्रोजन-ईंधन से संचालित ट्रेन का संचालन करना है। यह परियोजना हाइड्रोजन के भंडारण, परिवहन और विभिन्न अनुप्रयोगों की संचालन दक्षता का व्यापक परीक्षण करेगी।

    इसके अलावा यूपी राज्य सड़क परिवहन निगम (यूपीएसआरटीसी) भी बनारस से गोरखपुर के मध्य ग्रीन हाइड्रोजन-चालित बसों की शुरुआत करने की योजना बना रहा है, जिससे यह क्षेत्र स्वच्छ गतिशीलता समाधान (क्लीन मोबिलिटी साल्यूशंस) का अग्रणी केंद्र बन सकेगा। परियोजना से संबंधित 50 प्रतिशत अवसंरचना एमएमएमयूटी गोरखपुर में विकसित की जाएगी, जिससे पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रौद्योगिकी तंत्र और सशक्त होगा।

    आइआइटी बीएचयू सेंटर का लीड इंस्टीट्यूशन होगा, जो अनुसंधान नेतृत्व, रणनीतिक दिशा और तकनीकी मार्गदर्शन प्रदान करेगा। सेरामिक इंजीनियरिंग विभाग के समन्वयक डा. प्रीतम सिंह के अलावा डा. जेवी तिर्की, डा. अखिलेंद्र प्रताप सिंह और डा. आशा गुप्ता टीम का हिस्सा रहेंगे।

    समन्वयक डा. प्रीतम सिंह ने बताया कि यूपी में बायोमास की प्रचुर उपलब्धता को देखते हुए सेंटर का मुख्य फोकस बायोमास-आधारित हाइड्रोजन उत्पादन तकनीकों पर होगा, क्योंकि यह इलेक्ट्रोलाइजर आधारित उत्पादन की तुलना में अधिक व्यवहारिक और आर्थिक रूप से लाभकारी है। सेंटर आफ एक्सीलेंस में समर्पित इनक्यूबेशन सेंटर भी स्थापित किया जाएगा, जिसका लक्ष्य ग्रीन हाइड्रोजन और क्लीन एनर्जी टेक्नोलाजी में नवाचार को प्रोत्साहित करना है।

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    प्रति वर्ष 10 स्टार्टअप, यानी पांच वर्षों में कुल 50 स्टार्टअप को तकनीकी मार्गदर्शन, मेंटरिंग और अनुसंधान सुविधाओं तक पहुंच प्रदान की जाएगी। सेंटर राज्य-स्तरीय तकनीकी एकीकरण के लिए हब-एंड-स्पोक माडल का उपयोग करेगा। आइआइटी हब के रूप में कार्य करते हुए आसपास के इंजीनियरिंग कालेजों को स्पोक के रूप में विकसित करेगा। स्पोक संस्थानों को पाठ्यक्रम विकास सहायता, प्रशिक्षण और फैकल्टी विकास व तकनीकी प्रदर्शनियां प्रदान की जाएंगी। यह सेंटर सरकार को नीतिगत सुझाव भी देगा।

    वैज्ञानिक उत्कृष्टता व नवाचार के लिए प्रतिबद्ध : निदेशक
    आइआइटी बीएचयू के निदेशक प्रो. अमित पात्रा ने बताया कि यह गौरव की बात है कि सेंटर आफ एक्सीलेंस के नेतृत्व की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी आइआइटी को सौंपी गई है। वाराणसी और गोरखपुर के बीच प्रस्तावित हाइड्रोजन-ईंधन से संचालित ट्रेन और बस सेवाएं भारत की ऊर्जा परिवर्तन यात्रा में ऐतिहासिक उपलब्धि होंगी। हम इस मिशन को वैज्ञानिक उत्कृष्टता, नवाचार और उच्चतम गुणवत्ता के साथ आगे बढ़ाने के लिए पूर्णत: प्रतिबद्ध हैं।