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    काशी को आज मिलेगा देश का पहला स्वदेशी हाइड्रोजन जलयान, गंगा के घाटों पर ईको-फ्रेंडली परिवहन की खुलेगी राह

    Updated: Thu, 11 Dec 2025 08:30 AM (IST)

    वाराणसी में देश का पहला स्वदेशी हाइड्रोजन ईंधन सेल जलयान गंगा में व्यावसायिक परिचालन के लिए तैयार है। केंद्रीय मंत्री सर्वानंद सोनोवाल 11 दिसंबर को नम ...और पढ़ें

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    हाइड्रोजन से चलने वाले जलयान का नमो घाट पर होगा उद्घाटन। जागरण

    जागरण संवाददाता, वाराणसी। स्वच्छ परिवहन और हरित ऊर्जा की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए देश का पहला स्वदेशी हाइड्रोजन ईंधन सेल जलयान अब गंगा में व्यावसायिक परिचालन शुरू करने के लिए तैयार है। केन्द्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्वानंद सोनोवाल 11 दिसंबर को नमो घाट से इस जलयान का शुभारंभ करेंगे।

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    यह जलयान गंगा के घाटों पर पर्यटकोें के लिए पर्यावरण-अनुकूल (ईको-फ्रेंडली) परिवहन की राह खोलेगा। यह तकनीक देश के अंतर्देशीय जलमार्गों को आधुनिक बनाने और जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने की दिशा में अग्रणी प्रयास है। शिपिंग कारपोरेशन आफ इंडिया लिमिटेड को जलयान के संचालन की जिम्मेदारी मिली है, इसे वाटर टैक्सी के रूप में सुबह दस बजे से रात आठ बजे तक नमोघाट से रविदासघाट के बीच चलाया जाएगा।

    50 यात्रियों के बैठने की क्षमता है, हालांकि अभी तक किराया तय नहीं किया जा सका है। इस पूर्णतया स्वदेशी जलयान का निर्माण कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड में हुआ है, यहीं पर इसकी डिजाइन भी तैयार की गई थी। हाइड्रोजन चलित जलयान के लिए रामनगर मल्टीमाडल टर्मिनल पर पंपिंग स्टेशन बनाया गया है। जलयान संचालन के लिए हाइड्रोजन की आपूर्ति बेंगलुरु की कंपनी न्यू इंडिया करेगी। हाइड्रोजन से जलयान का संचालन सीएनजी से भी बहुत सस्ता पड़ेगा, लेकिन अभी सिलेंडर बेंगलुरु से आएंगे, इसलिए फिलहाल लागत अधिक ही आएगी।

    प्रति किलोग्राम चार हजार रुपये की दर से हाइड्रोजन की आपूर्ति कंपनी करेगी। एक किलोग्राम हाइड्रोजन से जलयान को दो किलोमीटर चलाया जा सकता है, यानी दो हजार रुपये प्रति किलोमीटर खर्च आएगा। फिलहाल, रामनगर मल्टीमाडल टर्मिनल पर प्रस्तावित हाइड्रोजन प्लांट का निर्माण शुरू करने की तैयारी चल रही है। बता दें कि पिछले एक साल से जलयान को यहां पर कई तरह के परीक्षणों से गुजारा जा चुका है, इसकी हाइड्रोजन स्टोरेज क्षमता 40 किलोग्राम है।

    विकल्प के तौर पर इलेक्ट्रिक इंजन से भी लैस किया गया है। इस जलयान के सुचारु संचालन के लिए गंगा का जलस्तर कम से कम दो मीटर होना चाहिए। शून्य उत्सर्जन, शांत संचालन और पारंपरिक बैटरी जहाजों की तुलना में अधिक रेंज मिलेगी। यह जलयान अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन द्वारा वर्ष 2050 तक अंतरराष्ट्रीय शिपिंग से शुद्ध-शून्य ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन प्राप्त करने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए पायलट परियोजना है।

    हाइड्रोजन ईंधन सेल जलयान पारंपरिक बैटरियों का उपयोग प्राथमिक ऊर्जा भंडारण के रूप में नहीं करता है। यह जलयान हाइड्रोजन ईंधन पर चलता है, जिसे आनबोर्ड सिलेंडरों में संग्रहित किया जाता है। ईंधन सेल हाइड्रोजन को बिजली में परिवर्तित करते हैं, जिसका उपयोग जलयान को चलाने के लिए किया जाता है।

    इसमें हाइड्रोजन हवा में मौजूद आक्सीजन के साथ प्रतिक्रिया करता है और बिजली उत्पन्न करता है, इस प्रक्रिया का एकमात्र निकास उत्पाद शुद्ध जल होता है। संचालन शांत होता है और इसमें कम यांत्रिक भाग होते हैं, जिससे रखरखाव कम होता है। पर्याप्त हाइड्रोजन भंडारण क्षमता के कारण इसकी रेंज बैटरी चालित इलेक्ट्रिक जहाजों की तुलना में काफी अधिक होती है।

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    जलयान की तकनीकी खासियत

    • 50 यात्री प्रति फेरी बोट
    • 6.5 नाट्स गति
    • 48 किलोवाट ईंधन सेल
    • 5 सिलेंडर क्षमता
    • 40 किलोग्राम हाइड्रोजन के साथ आठ घंटे का संचालन


    नदियों को विकास और गतिशीलता का इंजन बना रहा पीएम का दृष्टिकोण : सर्वानंद
    शुभारंभ की पूर्व संध्या पर केंद्रीय मंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने इस पहल को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के परिवर्तनकारी दृष्टिकोण का प्रतीक बताया। कहा कि प्रधानमंत्री का दृष्टिकोण नदियों को विकास और गतिशीलता का इंजन बना रहा है। वाराणसी में हाइड्रोजन ईंधन सेल जलयान का शुभारंभ जनता के लिए स्वच्छ परिवहन के नए युग का प्रतीक है।

    देश की कालातीत आध्यात्मिक राजधानी में यह उन्नत हरित परिवहन दुनियाभर से आने वाले लोगों के अनुभव को बेहतर बनाएगा, जिससे वे पवित्र घाटों पर अधिक सुविधा, सम्मान और आराम के साथ यात्रा कर सकेंगे। यह पहल केंद्र सरकार और भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आइडब्ल्यूएआइ) द्वारा जल-आधारित संचार को मजबूत करने और रसद लागत को कम करने के लिए हो रहे आधुनिकीकरण प्रयासों का हिस्सा है।