Ring Road: रिंग रोड ने कैसे बदली बनारस की आर्थिकी? 300 कमाने वालों की रोजाना हो रही 10 हजार की आमदनी
60.80 किलोमीटर रिंग रोड नेटवर्क तैयार करने में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने करीब 2507 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। दो फेज का कार्य पूर्ण हो चुका है। तीसरा फेज चुनाव बाद पूरा हो जाएगा। रिंग रोड पर 500 से अधिक छोटी दुकानें पेट्रोल पंप रेस्टोरेंट व होटल निजी स्कूल-शिक्षण संस्थान ग्रुप हाउसिंग और मैरेज लान समेत कई व्यावसायिक गतिविधियां शुरू हो चुकी हैं।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। जनपद के राजातालाब से तीन किमी दूर परमपुर गांव जाने के लिए पहले कच्ची सड़क थी। रामकिशुन यादव राजातालाब में मिठाई की दुकान चलाते थे। जान झोंकने के बाद भी रोज की कमाई 700 रुपये से अधिक नहीं हो पाती। जिम्मेदारियों के बोझ तले जिंदगी झंझावत में फंसी थी। दो वर्ष पहले परमपुर से गुजरे रिंग रोड ने उनका नजरिया बदल दिया। गांव का चौराहा शहर की शक्ल ले चुका है। उन्होंने अपनी दुकान यहीं पर शिफ्ट कर ली।
आमदनी सात से नौ हजार के निकट पहुंच चुकी है। अब वह पांच लोगों को रोजगार दे रहे हैं। इसी तरह रिंग रोड पर हरहुआ से संदहां के बीच हरीबल्लमपुर के बब्लू गुप्ता का होटल भी गति पकड़ चुका है। दो साल पहले इन्होंने प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना से 30 हजार रुपये ऋण लिया और ठेले पर नाश्ते की दुकान शुरू की थी। लोगों को जायका पसंद आया और अब छोटी दुकान को ढाबा का आकार मिल चुका है।
भोजन और पार्टी के बड़े आर्डर भी ले रहे हैं। पहले उनकी रोजाना आमदनी 300 से 400 रुपये थी लेकिन इस समय 10 हजार से अधिक है। वह अपने साथ सात से आठ युवाओं को भी जोड़े हैं। रामकिशुन व बब्लू का किस्सा तो सिर्फ बानगी भर है। दरअसल, रिंग रोड पर सरपट दौड़ते वाहन लोगों को समय पर मंजिल तक पहुंचा ही रहे हैं, साथ ही पूर्वांचल की आर्थिक जिंदगी में बड़ा परिवर्तन आया है। लोकसभा चुनाव में परियोजना ‘टर्निंग प्वाइंट’ साबित हो रही है।
60.80 किलोमीटर रिंग रोड नेटवर्क तैयार करने में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने करीब 2507 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। दो फेज का कार्य पूर्ण हो चुका है। तीसरा फेज चुनाव बाद पूरा हो जाएगा। रिंग रोड पर 500 से अधिक छोटी दुकानें, पेट्रोल पंप, रेस्टोरेंट व होटल, निजी स्कूल-शिक्षण संस्थान, ग्रुप हाउसिंग और मैरेज लान समेत कई व्यावसायिक गतिविधियां शुरू हो चुकी हैं। गेल इंडिया और मोंटी कार्लो का दफ्तर यहीं पर है। शंकर नेत्रालय का निर्माण हो रहा है।
छह फ्लोर का अस्पताल पूर्वांचल के आंखों की पीड़ा दूर करेगा। गंजारी में बन रहा अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम भी विकास को पंख लगा रहा है। छोटे दुकानदारों की तो कोई गिनती ही नहीं है। रिंग रोड पर ही वाराणसी विकास प्राधिकरण चार बड़े टाउनशिप बनाएगा। हरहुआ के पास बस अड्डा और राजातालाब के पास ट्रांसपोर्ट नगर स्थापित किया जा रहा है। पांच बड़े होटलों को स्वीकृति मिली है। लग्जरी होटल और रिसार्ट स्थापित करने के लिए ओबेराय समेत कई ख्यात समूह संभावनाएं तलाश रहे हैं। देश भर के औद्योगिक घरानों की नजर में रिंग रोड ही है...।
वाराणसी में कनेक्टिविटी बढ़ाने और पांच से अधिक राज्यों के प्रमुख शहरों लखनऊ, नई दिल्ली, कोलकाता, बिहार, झारखंड और मुंबई को जोड़ने के लिए कई सड़क प्रोजेक्ट को धरातल पर उतारने का प्रयास चल रहा है, इससे आर्थिक गतिविधि में सुधार हुआ है।
फाइलों में दबी थी परियोजना 2019 के बाद मिली गति
रिंग रोड परियोजना फाइलों में दबी थी, लेकिन 2019 के बाद प्रोजेक्ट को गति मिली। संदहां से चंदौली तक नया सर्किट बन रहा है। इस रास्ते में गंगा पर पुल भी चालू होने वाला है। बनारस में आने वाले बड़े ट्रकों की संख्या कम हुई है। सिर्फ काशी ही नहीं, आसपास के जिलों को भी लाभ मिल रहा है। इसके अलावा बनारस के आसपास के जिलों को जोड़ने के लिए बनाई जा रही आउटर रिंगरोड से व्यापार बढ़ेगा और आसपास के जिलों की भी अर्थव्यवस्था सुधरेगी। वाराणसी बड़ी मंडी और बाजारों का गढ़ है। प्रतिदिन पांच हजार से अधिक लोग अन्य जिलों से खरीदारी करने आते हैं।
साकार होगी ग्रेटर बनारस की परिकल्पना, एक हजार करोड़ आवंटित
मुख्यमंत्री शहरी विस्तारीकरण योजना से टाउनशिप के लिए बजट जारी हो चुका है। करीब एक हजार करोड़ रुपये ग्रेटर बनारस बसाने के लिए आवंटित हुआ है। जमीन का सर्वे किया जा रहा है, जून में प्रोजेक्ट को गति मिलेगी। वाराणसी विकास प्राधिकरण रिंग रोड के किनारे एक हजार एकड़ में टाउनशिप विकसित करेगा। हरहुआ से राजातालाब के बीच रिंग रोड किनारे चार टाउनशिप के जरिये नया शहर बसाया जाएगा, इसे ग्रेटर बनारस का नाम दिया जाएगा।
ग्रेटर बनारस में बाजार, माल, होटल व अस्पताल बनाए जाएंगे, इससे गांवों का विकास भी तेजी से होगा। लोगों को सुविधाएं मिलेंगी, साथ ही बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मिलेगा। होटल, कमर्शियल कांप्लेक्स, आइटी इंडस्ट्रीज और ग्रीन एरिया भी विकसित होगा। स्कूल-कालेज व खेल मैदान आदि का भी निर्माण होगा। ग्रेटर बनारस में दूसरे जिलों या प्रदेशों से आने वालों को शहर के बाहर ही सुविधाएं मिलेंगी। शहर की भीड़ ग्रेटर बनारस में शिफ्ट होगी, इससे प्राचीन शहर में लोगों को दबाव कम होगा।
रिंग रोड परियोजना
1 चरण: राजातालाब से हरहुआ
- 16.98 किलोमीटर लंबाई
- 1044 करोड़ कुल लागत
- 2019 सितंबर में काम शुरू
- 2021 अक्टूबर में पूर्ण
2 चरण: हरहुआ से संदहां
- 16.55 किलोमीटर लंबाई
- 813 करोड़ कुल लागत
- 2015 सितंबर में कार्य शुरू
- 2018 नवंबर में पूर्ण
2 चरण (पैकेज-1): संदहां से रेवासा चंदौली
- 27.27 किलोमीटर लंबाई
- 650 करोड़ लागत
- 15.80 किलोमीटर फोरलेन तैयार
- 505 करोड़ रुपये पुल की लागत
- 2024 जून तक कार्य पूर्णता अवधि
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