Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    हृदय रोग विशेषज्ञों के सम्मेलन में आइंस्टीन और नेहरू की मौत का कारण और आधुनिक इलाज पर चर्चा

    Updated: Sun, 21 Sep 2025 11:26 AM (IST)

    वाराणसी में कार्डियोलाजिस्ट डा. एनएन खन्ना ने बताया कि आइंस्टीन और नेहरू की मौत अयोटा में ब्लॉकेज से हुई थी। अब नई तकनीक से बिना चीरे के इंडो वैस्क्युलर तकनीक से इलाज संभव है जिसमें 99% सफलता दर है। भारतीय स्टेंट 8-10 हजार में हैं। मेक इन इंडिया के तहत 50% दवाइयां और उपकरण भारत में बनने लगे हैं।

    Hero Image
    नई तकनीक से बिना चीरे के इंडो वैस्क्युलर तकनीक से इलाज संभव है।

    मुकेश चंद्र श्रीवास्तव, वाराणसी। अपोलो इंद्रप्रस्थ के विख्यात कार्डियोलाजिस्ट डा. एनएन खन्ना का कहना है कि अयोटा में ब्लाकेज से ही आइंस्टीन और जवाहरलाल नेहरू की मौत हुई थी। इस पर अब काफी नई तकनीक से काम किया जा रहा है, जिसमें सर्जरी संभव नहीं है उसमें इंडो वैस्क्युलर तकनीक से बिना किसी चीरे के ठीक किया जा रहा है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    इसमें सक्सेस रेट 99 फीसदी है। डा. एनएन खन्ना ने बताया कि इंडियन स्टेंट अब 8-10 हजार में उपलब्ध हो रहे है जिन्हें विदेशी स्टेंट के बराबर लाने पर तैयारी चल रही है। इसके अलावा इंटरवेंशन सर्जरी में प्रयोग होने वाली 50 फीसदी दवाइयां और सामान अब भारत में बनने लगे हैं एल वेड, ग्राफ्ट के अलावा इंडियन पेस मेकर और वाल्व बनाने की तैयारी है।

    डा. खन्ना इंडियन कालेज आफ कार्डियोलाजी द्वारा ताज होटल में आयोजित तीन दिवसीय हृदय रोग विशेषज्ञों के 32वें वार्षिक सम्मेलन आईसीसीकान-2025 के दूसरे दिन शनिवार को को बोल रहे थे। वे अब तक देश में सबसे ज्यादा 1000 से अधिक हार्ट आर्टरीज अयोटा की सर्जरी कर चुके हैं। सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मेक इन इंडिया मुहिम को डाक्टर्स का जबरदस्त समर्थन मिला है।

    इसे पहले सम्मेलन के दौरान दीक्षा समारोह का भी आयोजन हुआ। समारोह में देशभर के 13 विशिष्ट कार्डियोलाजिस्ट को उनके अविस्मरणीय योगदान के लिए विशेष एफआइसीसी फेलोशिप अवार्ड दिया गया। मुख्य अतिथि काशी हिन्दू विश्ववविद्यालय के कुलपति प्रो. अजीत कुमार चतुर्वेदी अवार्ड दिया। प्रो. चतुर्वेदी ने कहा कि देश में एक बड़ी आबादी अभी भी महंगे स्वास्थ्य सुविधाओं के कारण उचित इलाज से दूर है, ऐसे में मेडिकल साइंस और इंजीनियरिंग मिलकर काम करें तो हम समाज के लिए काफी सस्ता और उच्च तकनीकी इलाज, उपकरण और दवाइयां उपलब्ध करा सकते है

    । उन्होंने यह भी कहा की डाक्टर्स कार्य के प्रति समर्पण ही मरीजों की जान बचाता है जिसमें वे कभी भेदभाव नहीं करते। इसके पूर्व अवार्ड प्राप्त करने वाले डाक्टरों को अध्यक्ष डा. एस एन रौत्रेय ने शपथ दिलाई। स्वागत सचिव डा. एनएन खन्ना, संचालन डा. सीएम नागेश एवं संयोजन डा. नातेश ने किया। समारोह में निर्वाचित अध्यक्ष डा. केएच श्रीनिवास, डा. राजीव कुमार राजपूत भी मंच पर मौजूद रहे।

    दिनभर चलता रहा विमर्श

    सम्मेलन में देश के जाने माने कार्डियोलाजिस्ट और वैस्क्युलर सर्जन ने विभिन्न सत्रों में विचार रखें। जयदेवा इंस्टिट्यूट आफ कार्डियोलाजी बेंगलुरु के पूर्व अध्यक्ष एवं लोकसभा सांसद डा. सीएम मंजूनाथ ने रूमेटिक वाल्व के सिकुड़ने पर उसे बैलून डाल कर फुलाने की प्रक्रिया में काम्प्लेक्स बैलून मैथेड के सरलीकरण की बात कहीं। इसके साथ ही उन्होंने सरकारों से हार्ट अटैक में गोल्डन आवर के समय हब और स्पोक के प्रयोग को पूरे देश में लागू करने की बात कही, उन्होंने कहा कि यदि ऐसा होता है तो ज्यादा से ज्यादा लोगों की जान बचाई जा सकती है।

    विदेशी चिकित्सकों ने भी रखे विचार

    सम्मेलन में अमेरिका के राज मक्कड़ ने बिना सर्जरी के वाल्व बदलने पर, रमेश दुग्गबति ने एंजियोप्लास्टी की नवीन तकनीक पर और दुबई के राजीव लोचन ने बैलून एंजियोग्राफी के शुरुआत की बात कही। इसके अलावा दूसरे दिन 100 से ज्यादा शोध पत्र प्रस्तुत किये गए।