ज्ञानवापी मुकदमे में वादी स्व. हरिहर पांडेय की संस्तुति पर कोर्ट ने बनाया था वादमित्र, अर्जी पर विजय शंकर रस्तोगी ने दी दलील
ज्ञानवापी में नया मंदिर बनाने और हिंदुओं को पूजा-पाठ करने का अधिकार देने को लेकर 1991 में दाखिल मुकदमे के वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी को हटाने के प्रार्थना पत्र पर पारित आदेश में संशोधन के लिए दाखिल प्रार्थना पत्र पर गुरुवार को सुनवाई हुई। बहस को जारी रखते हुए अदालत ने सुनवाई के लिए अगली तिथि 19 अगस्त तय कर दी।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। ज्ञानवापी में नया मंदिर बनाने और हिंदुओं को पूजा-पाठ करने का अधिकार देने को लेकर 1991 में दाखिल मुकदमे के वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी को हटाने के प्रार्थना पत्र पर पारित आदेश में संशोधन के लिए दाखिल प्रार्थना पत्र पर गुरुवार को सुनवाई हुई।
इस मुकदमे के वादी रहे स्व. हरिहर पांडेय की बेटियों की ओर से दाखिल प्रार्थना पत्र पर सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्टट्रैक) भावना भारतीय की अदालत में वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी ने अपना पक्षा रखा।
उन्होंने दलील दी है कि हरिहर पांडेय की संस्तुति पर ही अदालत ने 11 अक्टूबर 2019 में उन्हें वादमित्र नियुक्त किया था। बहस को जारी रखते हुए अदालत ने सुनवाई के लिए अगली तिथि 19 अगस्त तय कर दी।
हरिहर पांडेय की बेटियों मणिकुंतला तिवारी, नीलिमा मिश्रा व रेणु पांडेय द्वारा मुकदमे में पक्षकार बनाए जाने का प्रार्थना पत्र अदालत पहले ही निरस्त कर चुकी है, जिसे उन्होंने चुनौती दी है।
विजय शंकर रस्तोगी ने कहा कि आदेश में संशोधन के लिए दिया गया प्रार्थना पत्र पोषणीय नहीं है। इसमें लगाए गए आरोपों के समर्थन में कोई शपथ पत्र अदालत में नहीं दिया गया है।
प्रार्थना पत्र में कहा गया है कि वादमित्र को हटाने की मांग और पक्षकार बनाने के प्रार्थना पत्रों को निरस्त करने का अदालत का आदेश एक पक्षीय है जबकि अदालत ने हरिहर पांडेय की बेटियों के वकील की दलीलें सुनने के बाद ही आदेश दिया था।
अदालत का यह आदेश ही अंतिम है, क्योंकि इसके खिलाफ ऊपरी अदालत में कोई पुनरीक्षण याचिका या अपील दाखिल नहीं गई है। पक्षकार बनाने के लिए मणिकुंतला तिवारी, नीलिमा मिश्रा व रेणु पांडेय के प्रार्थना पत्र पर वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी और अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद की ओर से आपत्ति जताई जा चुकी है।
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