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    UP News: ऊसर भूमि में भी मिर्च की खेती कर सकेंगे किसान, खूब लहलाएगी फसल... जानें कौन सी है किस्म और फायदा?

    Updated: Tue, 03 Dec 2024 06:27 PM (IST)

    ऊसर भूमि में भी मिर्च की खेती अब संभव है। यूपी के वाराणसी स्थित भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (आइआइवीआर) के वैज्ञानिकों ने मिर्च की ऐसी प्रजातियां विकसित की हैं जिन्हें ऊसर भूमि में भी उगाया जा सकता है। यह मिर्च तीखी भी खूब है और गुणवत्ता के मामले में भी उत्कृष्ट है। आइए जानते हैं इस शोध के बारे में विस्तार से।

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    किसान अब ऊसर भूमि में भी मिर्च की खेती कर सकते हैं। (तस्वीर जागरण)

    मुकेश चंद्र श्रीवास्तव, वाराणसी। खेती के लिए ऊसर भूमि उपयुक्त नहीं मानी जाती। ऐसे में गांवों में इसे यूं ही छोड़ दिया जाता है। एक आंकड़े के अनुसार, भारत में 67.27 लाख हेक्टेयर भूमि ऊसर है। यह आंकड़ा देश के संपूर्ण भौगोलिक क्षेत्र का लगभग 2.1 प्रतिशत है। बेतहाशा आबादी, आवासीय क्षेत्र का प्रसार व विकास कार्य के कारण कृषि भूमि घट रही है।

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    ऐसे में ऊसर भूमि में फसल उगाने की दिशा में कृषि विज्ञानियों की ओर से निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं, जिसमें से कुछ प्रयास सफल भी हो रहे हैं। भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (आइआइवीआर) के विज्ञानियों ने मिर्च की ऐसी प्रजातियां विकसित की हैं, जिन्हें ऊसर भूमि में भी उगाया जा सकता है।

    यह मिर्च तीखी भी खूब है और गुणवत्ता के मामले में भी उत्कृष्ट है। कुशीनगर स्थित आइआइवीआर के सरगठिया सेंटर में इसका सफल परीक्षण किया चुका है। ऊसर में उगाई गई मिर्च की चार किस्मों की उत्पादकता सामान्य फसल के मुकाबले अधिक पाई गई।

    ऊसर भूमि में सब्जियों की उत्पादकता बढ़ाना चुनौती

    ऊसर भूमि में गुणवत्ता युक्त मिर्च की चार किस्मों को तैयार कर उनके उत्पादन का यह शोध आइआइवीआर के प्रमुख विज्ञानी व परियोजना समन्वयक (सब्जी फसल) डॉ. राजेश कुमार, डॉ. नकुल गुप्ता के निर्देशन में शोध छात्र शिवम कुमार राय ने किया है। शिवम ने अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (इरी) के दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र (सार्क) में 28 से 30 नवंबर तक हुई 13वीं राष्ट्रीय बीज कांग्रेस में अपना शोध पत्र प्रस्तुत किया।

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    उन्होंने बताया कि ऊसर या बंजर भूमि में विशेष रूप से सोडियम की अधिकता होती है। इस जमीन में कृषि उत्पादन न्यून या नगण्य होता है। जलवायु परिवर्तन, कीटनाशकों-रासायनिक उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग के कारण ऊसर भूमि का दायरा बढ़ रहा है। ऐसे में सब्जियों की उत्पादकता बढ़ाना वर्तमान समय की सबसे बड़ी चुनौती है।

    जमीन के बजाय बीज को उपचारित कर किया शोध 

    इस शोध को सरगठिया, कुशीनगर के फार्म में किया गया। सर्वप्रथम मिट्टी में सोडियम क्लोराइड का पानी मिलाकर उसे ऊसर बनाया गया। जमीन को उपचारित करने के बजाय नई मिर्च की किस्मों को चिह्नित कर बीज को ही स्कार्बिक एसिड और गिब्रेलिक एसिड से उपचारित किया। इसके बाद अन्य सभी कृषि क्रियाएं सामान्य उपजाऊ भूमि में जैसे करते हैं, वैसे ही की गईं।

    जिसके बाद उत्पादकता सामान्य किस्मों की अपेक्षा 30 से 50 प्रतशित अधिक पाई गईं। चारों किस्मों को राष्ट्रीय पादप आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो (एनबीपीजीआर) में जेनेटिक स्टाक रजिस्ट्रेशन के लिए भेजा गया है, ताकि विज्ञानी नए लवणीय सहिष्णु किस्मों को विकसित करने में इसका उपयोग कर सकें। इनका उपयोग ग्राफ्टेड पौधों (दो या इससे पौधों का संयोजन) के रूट स्टाक के रूप में भी किया जा सकेगा। आइआइवीआर में निक्रा प्रोजेक्ट (जलवायु अनुकूल कृषि पर राष्ट्रीय नवाचार) के तहत टमाटर पर वृहत रूप से शोध कार्य हुआ है। अन्य फसलों में धान, गेहूं आदि की फसलों में बड़े पैमाने पर लवणीय सहनशील किस्में चिह्नित की गई है।

    सर्वाधिक बंजर भूमि गुजरात में

    देश में लवणीय प्रभावित मिट्टी का क्षेत्रफल लगभग 67.3 लाख हेक्टेयर है। इसमें गुजरात पहले स्थान पर है, जहां 22.3 लाख हेक्टेयर भूमि लवणीय प्रभावित है। इसके बाद उत्तर प्रदेश (13.7 लाख हेक्टेयर), महाराष्ट्र (6.1 लाख हेक्टेयर), बंगाल (4.4 लाख हेक्टेयर) और राजस्थान ( 3.8 लाख हेक्टेयर) का स्थान है। देश में कुल मिलाकर लगभग 75 प्रतिशत लवणीय और सोडियम बंजर भूमि के लिए जिम्मेदार है।

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