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    पंडालों में विराजे प्रथम पूज्‍य श्री गणेश, मंदिरों में उमड़ी सुबह से ही आस्‍था की भीड़ Varanasi news

    By Abhishek SharmaEdited By:
    Updated: Mon, 02 Sep 2019 10:04 PM (IST)

    गणेश चतुर्थी व गणेश पूजनोत्सव के अवसर में विभिन्‍न पंडालों में प्रथम पूज्‍य श्री गणेश की मूर्तियां स्‍थापित हो गई हैं। मंदिरों में दर्शन और पूजन का दौर सुबह से ही चल रहा है।

    पंडालों में विराजे प्रथम पूज्‍य श्री गणेश, मंदिरों में उमड़ी सुबह से ही आस्‍था की भीड़ Varanasi news

    वाराणसी, जेएनएन। भगवान गणेश के जन्म दिन के उत्सव को गणेश चतुर्थी के रूप में जाना जाता है। गणेश चतुर्थी के दिन, भगवान गणेश को बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता के रूप में पूजा जाता है। गणेशोत्सव अर्थात गणेश चतुर्थी का उत्सव 10 दिन के बाद अनन्त चतुर्दशी के दिन समापन होता है। यह दिन गणेश विसर्जन के नाम से जाना जाता है। अनन्त चतुर्दशी के दिन श्रद्धालुजन बड़े ही धूम-धाम के साथ सड़क पर शोभा यात्रा निकालते हुए भगवान गणेश की प्रतिमा का सरोवर, झील, नदी इत्यादि में विसर्जन करते हैं।

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    इस वर्ष दो सितंबर से महोत्सव का आरंभ हो रहा है जबकि 11 सितंबर को समापन हो रहा है। दो सितंबर को श्री सिद्ध विनायक मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा विभिन्न पंडालों में की जाएगी। इसके साथ ही महोत्सव आरंभ हो जाएगा। भगवान गणेश का जन्म मध्याह्न काल के दौरान हुआ था, इसीलिए मध्याह्न के समय को गणेश पूजा की जाएगी। हिन्दू समय गणना के आधार पर, सूर्योदय और सूर्यास्त के मध्य के समय को पांच बराबर भागों में विभाजित किया जाता है। गणेश चतुर्थी के दिन, गणेश स्थापना और गणेश पूजा, मध्याह्न के दौरान होती है। विधि-विधान से गणेश पूजा को षोडशोपचार गणपति पूजा के नाम से जाना जाता है।

    विभिन्न संस्थाओं द्वारा पहले दिन का आयोजन 

    श्रीरामतारका आंध्रा आश्रम मानसरोवर : सुबह नौ बजे गणेश प्रतिमा प्राण प्रतिष्ठा, कलश स्थापना, नवग्रह पूजा, रुद्राभिषेक, अष्ट दिव्य पालक पूजा, मंत्र पुष्पम, मंगला आरती, प्रसाद वितरण होगा। शाम 4 बजे जे अय्यपेश्वर द्वारा श्री गणेशोत्पति समन्तकोपाख्यानम कथा होगी। यह जानकारी मैनेजिंग स्ट्रस्टी वीवी सुंदर शास्त्री व उप प्रबंधक वीवी सीताराम ने दी।

    नूतन बालक गेणेशोत्सव समाज सेवा मंडल नाना फडवनीस बाड़ा दुर्गाघाट : सुबह आठ बजे गणेशोत्सव का उद्घाटन समारोह, अध्यक्षता कुलपति संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के डा. राजाराम शुक्ल करेंगे। मूर्ति स्थापना आचार्य धनंजय शास्त्री व पंडित हेमंत जोशी के आचायत्र्व में होगी। पूर्वाह्न 11 बजे गणेश याग कार्यक्रम, शाम छह बजे वैदिक ब्राह्मणों द्वारा वसंत पूजा, साढ़े 7 बजे हरि भक्त पारायण श्याम बुआ घुमकेकर, नागपुर का नारदीय पद्धति में हरि कीर्तन होगा। यह जानकारी प्रवीण वसंत पटवर्धन ने दी।

    श्रीकाशी विश्वनाथ एकविंश: गणपति महोत्सव, श्री काशी विद्या मंदिर, मछोदरी गायघाट : सुबह 10 बजे प्राण प्रतिष्ठा, शाम छह बजे उद्घाटन समारोह होगा। यह जानकारी संस्थापक व अध्यक्ष रामचरण ने दी। 

    श्री गणेशोत्सव सेवा समिति, श्री राधाकृष्ण मंदिर अगस्त कुंड : सुबह नौ बजे प्राण प्रतिष्ठा व उद्घाटन समारोह, शाम 5 बजे स्व. अनिल घोड़ेकर स्मृति वेद परायण, शाम 6 बजे श्री गणेशलक्षार्चन अनुष्ठान, शाम 7 बजे आरती, शाम 8 बजे श्री गणेश अथर्वशीर्ष सहस्रावर्तन होगा। यह जानकारी उत्सव प्रबंधक षडानन पाठक ने दी।

    समीप के कुंड-तालाबों में विसर्जन

    नगर निगम की ओर से गणेश प्रतिमा के विसर्जन की तैयारी हो रही है। इसके लिए पंडालों के सापेक्ष सूची तैयार की जा रही है। अफसरों के अनुसार समीप के कुंड व तालाबों को निश्चित करते हुए गणेश प्रतिमा का विसर्जन कराया जाएगा।

    इको फेंडली बनी हैं प्रतिमाएं 

    गणेश महोत्सव का आयोजन कर रहीं संस्थाओं के अनुसार भगवान गणेश की प्रतिमाओं को इको फ्रेंडली बनाया गया है। इसमें मिट्टी के साथ फूलों के रंग का इस्तेमाल किया गया है जिससे सरोवर, झील, नदी आदि का पानी प्रदूषित नहीं होगा।     

    सोमवार की सुबह से ही जय जयकार : गणेश चतुर्थी व गणेश पूजनोत्सव के अवसर में विभिन्‍न पंडालों में प्रथम पूज्‍य श्री गणेश की मूर्तियां स्‍थापित हो गई हैं। वहीं विभिन्‍न मंदिरों में दर्शन और पूजन का दौर सुबह से ही चल रहा है। इन दौरान विभिन्‍न मंदिरों में लालबाग के राजा के स्‍वागत में विशिष्‍ट साज सज्जा की गई है। वहीं हरितालिका तीज के मौके पर तीसरे पहर शिव-पार्वती मंदिरों में दर्शन पूजन और कथा श्रवण का भी दौर चलेगा। दूसरी अोर आस भैरव पास अग्रवाल भवन के पूजनोत्सव पंडाल में सीवर ओवर फ्लो होने से आयोजकों में प्रशासनिक व्‍यवस्‍था को लेकर काफी रोष है। स्‍थानीय लोगों ने भी प्रशासन से समस्‍या के त्‍वरित निस्‍तारण की मांग की गई है। 

    40 खंभों पर बना है लोहटिया का बड़ा गणेश मंदिर

    श्रीकाशी विश्वनाथ की नगरी काशी में गणेश चतुर्थी के अवसर पर लोहटिया स्थित बड़ा गणेश मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ती है। 40 खंभों पर बने इस मंदिर में लाखों श्रद्धालु दर्शन, पूजन, अर्चन और नमन करते हैं। इस वर्ष तीन सितंबर को मेला आयोजित होगा। भगवान गणेश का यह मंदिर काशी का विख्यात मंदिर है। यहां गणेश भगवान के स्वयंभू मूर्ति का दर्शन होता है। यहां बंद कपाट में खास पूजा होती है। इसे देखने की किसी को अनुमति नहीं है। यहां भादो माघ माह में गणेश चतुर्थी पर भव्य मेला लगता है। मंदिर का इतिहास दो हजार साल पुराना है। यहां पर भगवान के शृंगार और दर्शन पूजन की विशेष महत्ता है। किसी भी भवन और मंदिर का 40 खंभों पर टिका होना शुभ होता है। यह मंदिर भी 40 खंभों पर ही टिका है। मंदिर में कुछ जगहों पर मीनाकारी के निशान हैं। पत्थरों को तराश कर इस मंदिर को बेहद खूबसूरत रूप दिया गया है। यहां के  नक्काशीदार दरवाजे से लेकर पाए तक निराले हैं। चांदी के छत्र के नीचे भगवान विराजमान हैं। एक मान्यता यह भी है कि 2000 साल पहले जब काशी में गंगा के साथ मंदाकिनी का अस्तित्व था। उसी समय ये प्राकृतिक प्रतिमा निकली थी जो आज भी अपने मूल रूप में है। मूर्ति के  पीछे का हिस्सा देखकर आप खुद भी अंदाजा लगा सकते हैं कि इसमें कुछ अलग ही बात है। करीब साढ़े पांच फीट की प्रतिमा है जो त्रिनेत्र के रूप में विद्यमान है। यहां गणेश भगवान बीते दो हजार सालों से अपने परिवार के साथ वास कर रहे हैं। 

    गणेशोत्सव पर प्रेस कांफ्रेंस : सिद्धि विनायक मंदिर में प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी पांच दिवसीय गणेशोत्सव का आयोजन किया गया है। मैदागिन स्थित पराड़कर स्मृति भवन में रविवार को आयोजित प्रेसवार्ता में कार्यक्रम के संयोजक पं. राजेंद्र सुलेरिया ने बताया दो से छह सितंबर तक सुनिश्चित हुआ है। इस दौरान पांच दिवस विभिन्न सांस्कृतिक व पूजन कार्यक्रम होंगे। विशेष रूप से दो सितंबर सोमवार को प्रात: सहस्त्र पाठ विविध सांस्कृतिक कार्यक्रम तीन सितंबर को श्रृंगार की झांकी, चार सितंबर को बाल अन्त्याक्षरी प्रतियोगिता, पांच सितंबर विद्वानों व कलाकारों को पुरस्कार वितरण, छह सितंबर को दंडी संन्यासियों का भोजन व भंडारा कार्यक्रम होगा। इसमें मुख्य अतिथि माननीय सतुआ बाबा आश्रम के महामंडलेश्वर संतोष दास, विशिष्ट दर्जा प्राप्त मंत्री दयाशंकर मिश्रा दयालु गुरु उपस्थित रहेंगे।