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    वाराणसी से मुंबई का किराया जानकर चकरा जाएगा सिर, जाने का 3500 और आने का 30000

    Updated: Fri, 17 Oct 2025 10:58 AM (IST)

    दिवाली के मौके पर घर लौटने की होड़ में विमान कंपनियों ने वाराणसी से आने-जाने वाले किरायों में भारी बदलाव किया है। मुंबई से वाराणसी का किराया 30,000 रुपये तक पहुंच गया है, जबकि यहां से जाने का किराया काफी कम है। त्योहारों के कारण किराए में यह वृद्धि हुई है, क्योंकि लोग बड़ी संख्या में अपने घरों की ओर लौट रहे हैं।

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    दीप ज्योति पर्व दीपावली पर वाराणसी आने वाले यात्रियों की संख्या में वृद्धि

    जागरण संवाददाता, बाबतपुर। दीप ज्योति पर्व पर घर लौटने की होड़ से विमानन कंपनियों ने अपने किराए में बड़ा बदलाव किया है। वाराणसी सहित पूर्वांचल के अन्य जिलों में रहने वाले लोगों को दिवाली पर सपरिवार घर आने में जेब ढीली करनी पड़ रही है।

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    विमान किराया आसमान छू रहा है। वहीं वाराणसी से अन्य शहरों को जाने वाले यात्रियों में कमी आई है। इससे वाराणसी से अन्य शहरों का किराया काफ़ी कम हो गया है।

    बुधवार को विभिन्न शहरों से वाराणसी आने वाले यात्रियों की संख्या पर नजर डालें तो आने वाले कुल यात्रियों की संख्या 6700 थी जबकि वाराणसी से विभिन्न शहरों को जाने वाले यात्रियों की संख्या 4500 ही रही।

    शुक्रवार को वाराणसी से मुंबई का किराया 3525 रुपये है जबकि मुंबई से वाराणसी का अधिकतम किराया करीब 30,000 रुपये है। हालांकि कुछ विमानों का किराया 15000-20000 के बीच है और यह लगातार बढ़ रहा है।

    वहीं, वाराणसी से दिल्ली का किराया करीब 3200 रुपये है। दिल्ली से वाराणसी का अधिकतम किराया 23,000 के करीब है। वहीं कुछ विमानों का किराया 12000-15000 के बीच है।

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    यही नहीं वाराणसी से सबसे लंबी दूरी बेंगलुरु की है जहां का किराया मात्र 4000 रुपये है। वहीं बेंगलुरु से वाराणसी का किराया 23,000 के करीब है। इस दृष्टि से देखें तो जाने का किराया तो ट्रेन के किराए से भी कम है।

    वाराणसी से बेंगलुरु सेकेंड एसी का किराया भी लगभग 4,000 रुपये है जबकि फर्स्ट क्लास एसी का किराया 6400 रुपये है। ट्रेन से बेंगलुरु जाने में 40-50 घंटे लगते हैं जबकि विमान से ढाई से तीन घंटे ही समय लगता है।

    ट्रैवल कारोबार से जुड़े संजीव कुमार ने बताया कि अभी दीवाली और छठ पूजा के लिए पूर्वांचल और बिहार के लोग अपने घरों को आ रहे हैं। इसलिए किराया बढ़ा है। त्योहार छोड़कर कोई भी दूसरे शहर को नहीं जाना चाहता है। इसलिए यहां से जाने का किराया कम है। दिवाली बाद यही किराया आसमान छूने लगेगा।