काशी में धीरेंद्र शास्त्री ने किया बाबा दरबार में दर्शन पूजन, सनातन यात्रा की बाबा से ली अनुमति, देखें वीडियो...
पंडित धीरेंद्र शास्त्री काशी में बाबा विश्वनाथ के दर्शन करने पहुंचे। मणिकर्णिका घाट पर उन्होंने अपने दादा गुरुजी के शवदाह स्थल पर जाकर श्रद्धांजलि अर्पित की और सतुआ बाबा के आश्रम में ध्यान लगाया। उन्होंने कहा कि विश्व में हिंदू विरोधी ताकतें सक्रिय हैं जो हिंदुओं की संख्या को कम करने की कोशिश कर रही हैं।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। पंडित धीरेंद्र शास्त्री बाबा दरबार में दर्शन पूजन करने काशी पहुंचे। यहां मणिकर्णिका घाट पर अपने दादा गुरुजी के शवदाह स्थल पर गए। इसके बाद, उन्होंने सतुआ बाबा के आश्रम में बैठकर रात बिताई और ध्यान लगाया।
भोर में गंगा स्नान के बाद, उन्होंने बाबा विश्वनाथ के दर्शन किए। धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि पूरे विश्व में जहां-जहां हिंदू हैं, वहां विरोधी ताकतें सक्रिय हैं, जो हिंदुओं की संख्या को घटाने का प्रयास कर रही हैं। उन्होंने पाकिस्तान का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां हिंदुओं की संख्या 22% से घटकर 2% रह गई है।
देखें वीडियो :
#Varanasi में बागेश्वर धाम के पण्डित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने पत्रकारों से वार्ता की। pic.twitter.com/8qYq4Oweer
— Abhishek sharma (@officeofabhi) September 13, 2025
हालांकि, वर्तमान में साधु-संत और देश के प्रति चिंतन करने वाले लोग प्रखरता से आगे आ रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वे किसी राजनेता या उसके बयान पर टिप्पणी नहीं करते, लेकिन किसी की मां पर बयानबाजी करना निंदनीय है। मां सभी की पूजनीय होती हैं।
धीरेंद्र शास्त्री ने बताया कि हर वर्ष की तरह इस बार भी उन्होंने मणिकर्णिका घाट पर रात्रि व्यतीत की है। उनके दादा गुरु का शरीर यहीं पूर्ण हुआ था, जिससे उनका मणिकर्णिका घाट से संबंध 2010 से जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि वर्ष में एक रात वे पूरी रात मणिकर्णिका करते हैं। इसके बाद, उन्होंने बाबा विश्वनाथ का अभिषेक किया।
उन्होंने यहां की स्वच्छता, अभियंता साधु संतों की साधना और आनंदमय कॉरिडोर को देखकर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ही सनातन के मार्ग पर चल रहे हैं, चाहे वह विश्वनाथ धाम का गलियारा हो या प्रभु राम का मंदिर। जिस देश का राजा सनातनी है, उसकी प्रजा भी सनातनी हो जाती है।
धीरेंद्र शास्त्री ने यह भी कहा कि हमें ऐसा प्रधानमंत्री मिला है जो खेल, रेल और समाज की चर्चा के साथ देश को एक साथ लेकर चल रहे हैं। हिंदू राष्ट्र की परिकल्पना यही है कि मंदिर का जीवन उद्धार हो और उसका विस्तार हो।
पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने अपने विचारों के माध्यम से हिंदू संस्कृति और परंपराओं के संरक्षण की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि साधु-संतों की भूमिका इस दिशा में महत्वपूर्ण है और समाज को एकजुट होकर आगे बढ़ने की आवश्यकता है। उनकी बातें न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक एकता की भी प्रेरणा देती हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि भारत की संस्कृति और परंपराएं आज भी जीवित हैं और उन्हें आगे बढ़ाने की आवश्यकता है।
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