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    वाराणसी के पिंडरा विकास खंड के 15 ग्राम पंचायतों में विकास कार्य ठप, अधिकारियों व सेक्रेटरियों के न होने से परेशानी

    By Saurabh ChakravartyEdited By:
    Updated: Mon, 13 Jul 2020 05:40 PM (IST)

    वाराणसी के पिंडरा विकास खंड के 15 गांवों में ग्राम पंचायत अधिकारियों व सेक्रेटरियों के न होने से विकास कार्य ठप पड़ा है। ...और पढ़ें

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    वाराणसी के पिंडरा विकास खंड के 15 ग्राम पंचायतों में विकास कार्य ठप, अधिकारियों व सेक्रेटरियों के न होने से परेशानी

    वाराणसी, जेएनएन। पिंडरा विकास खंड के 15 गांवों में ग्राम पंचायत अधिकारियों व सेक्रेटरियों के न होने से विकास कार्य ठप पड़ा है। इसमें किसी का स्थानांतरण हो गया है तो कोई स्वास्थ्य अवकाश पर है। अधिकारियों के न होने से जनता परेशान हैैं। जानकारी के मुताबिक सेक्रेटरी कमलेश गोड़ का स्थानांतरण सेवापुरी विकास खंड में हो गया है। जिससे विक्रमपुर, नेवादा, लोकापुर सहित पांच गांवों में डेढ़ माह से विकास कार्य ठप है। वहीं दो ग्राम पंचायत अधिकारियों संजय शर्मा व अखंड प्रताप सिंह के स्वास्थ्य अवकाश पर जाने से 10 गांवों में एक माह से विकास कार्य बाधित है। इन गांवों में वित्तीय कार्य के तहत मनरेगा, ऑपरेशन कायाकल्प के तहत परिषदीय स्कूलों में शौचालय व 14 वें वित्त आयोग से होने वाले अनेक कार्य प्राथमिकता से करने के निर्देश दिए गए हैैं लेकिन अधिकारियों के न होने से विकास कार्य अवरूद्ध है। विक्रमपुर में गोवंश आश्रय स्थल के लिए भूसा खरीदने में परेशानी हो रही है। आने वाले समय पंचायत चुनाव की तैयारी होगी जिससे वर्तमान जनप्रतिनिधियों को बेहतर विकास कार्य प्रस्‍तुत करने की जरूरत है।

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    बीडीओ वीके जायसवाल ने बताया कि 15 गांवों में सचिव न होने के कारण केवल वित्तीय कार्य ठप है। प्रशासनिक कार्य के लिए दूसरे सेक्रेटरी को संबंद्ध किया गया है। वहीं वित्तीय अधिकार की संस्तुति के लिए अधिकारियों को पत्र लिखा गया है।

    चोलापुर की 15 ग्राम पंचायतों में धन के अभाव में विकास कार्य ठप

    चोलापुर विकास खंड के एक दर्जन गांवों में धन के अभाव के कारण विकास कार्य ठप है। ग्राम प्रधान व सचिव के मुताबिक सीडीओ के निर्देश पर प्रत्येक गांव में 5 लाख 71 हजार की लागत से सार्वजनिक सुलभ शौचालय का निर्माण होना है। जबकि ग्रामसभा के खाते में एक लाख, दो लाख या पचास हजार से ज्यादा धनराशि नहीं उपलब्ध है। जिससे शौचालय का निर्माण संभव नहीं है। साथ ही अन्य विकास कार्य भी ठप पड़े हैं।