शतरुद्र प्रकाश ने की मांग, नाटीइमली के भरत मिलाप को राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया जाए
शतरुद्र प्रकाश ने नाटीइमली के भरत मिलाप को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि इस सांस्कृतिक स्थल को सुरक्षित रखने के लिए इसके आसपास अवैध निर्माण पर रोक लगाना आवश्यक है। उन्होंने बताया कि प्रयासों के बाद इस स्थल को वाराणसी महायोजना 2031 में शामिल करवाया गया।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। शहर के नाटीइमली में आयोजित होने वाले पौराणिक-ऐतिहासिक भरत मिलाप को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने की मांग शतरुद्र प्रकाश ने की है। उन्होंने एक पत्र जारी कर कहा कि यदि इस महत्वपूर्ण सांस्कृतिक स्थल को भविष्य में सुरक्षित रखना है, तो इसके आस-पास अवैध निर्माण, विशेषकर बहुमंजिली इमारतों, पर रोक लगाना आवश्यक है।
बताया कि अन्यथा की स्थिति में इस क्षेत्र का मूल स्वरूप संकुचित हो जाएगा, जिससे राम-लक्ष्मण और भारत-शत्रुघ्न के दौड़ते हुए मिलाप का दृश्य सूर्यास्त से पहले ही धूमिल हो जाएगा।
शतरुद्र प्रकाश ने बताया कि उन्होंने अथक प्रयासों के बाद इस सांस्कृतिक स्थल को वाराणसी महायोजना 2031 में सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर क्षेत्र की सूची में शामिल करवाया। इस महायोजना के प्रस्तर 2.4 पृष्ठ 21 में इसे 7वें स्थान पर लिपिबद्ध किया गया।
इससे पहले, सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर क्षेत्र में केवल 6 क्षेत्र थे, जिसमें भारत मिलाप शामिल नहीं था। उत्तर प्रदेश सरकार ने इस महायोजना को तभी अनुमोदित किया जब नाटीइमली के भारत मिलाप को इस सूची में 7वें स्थान पर रखा गया।
इसके अतिरिक्त, राम-भारत के मिलाप के कच्चे मिलन-मार्ग (Runway) को इंटरलाकिंग कर मजबूत किया गया है। हालांकि, इस कार्य में अभी कई सुधार किए जाने बाकी हैं। वाराणसी महायोजना 2031 को वाराणसी दैनिक जागरण और हिंदुस्तान के संस्करण में 20 जुलाई 2017 को प्रकाशित करने के बाद लागू किया गया था।
महायोजना 2031 के प्रस्तर-2.4 में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि वाराणसी नगर हिन्दुओं का अति प्राचीन तीर्थ स्थल है। यहां ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक स्थलों की प्रमुखता है। देश-विदेश से पर्यटक और बुद्धिजीवी इन पुरातात्विक भवनों, स्थलों, मठों और मंदिरों के दर्शन के लिए आते रहते हैं। साथ ही, वर्ष भर तीर्थ यात्रियों का आवागमन बना रहता है। नगर के पुरातात्विक, ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहरों वाले क्षेत्रों को 7 रूपों में अभिज्ञात किया गया है-
1. गंगातटीय घाटों और मंदिरों का क्षेत्र।
2. दुर्गा मंदिर, संकटमोचन मंदिर, मानस मंदिर क्षेत्र।
3. कमच्छा भेलूपुर क्षेत्र।
4. कबीर मठ (लहरतरा) क्षेत्र।
5. सारनाथ क्षेत्र।
6. पंचकोसी यात्रा का क्षेत्र।
7. नाटीइमली (भारत मिलाप)।
पत्र में बताया है कि यह ध्यान रखना आवश्यक है कि वाराणसी के इन 7 पुरातात्विक, ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहरों को महायोजना 2031 में किसी भी प्रकार से मिटाया या हटाया नहीं जा सकता। यह उचित और आवश्यक है कि काशी के इस विश्वप्रसिद्ध अलौकिक भारत मिलाप के मूल स्वरूप को अक्षुण्ण बनाए रखा जाए।
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