Srikashi Vishwanath temple corridor क्षेत्र से सुरक्षित स्थल पर ले जाए गए दुर्मुख विनायक का विग्रह
वाराणसी में श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर से गंगा तट तक बनाए जा रहे कारिडोर क्षेत्र से दुर्मुख विनायक का विग्रह विधि विधान से विस्थापित कर सुरक्षित स्थान पर रख दिया गया।
वाराणसी, जेएनएन। Srikashi Vishwanath Temple Corridor श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर से गंगा तट तक बनाए जा रहे कारिडोर क्षेत्र से Durmukh Vinayak दुर्मुख विनायक का विग्रह विधि विधान से विस्थापित कर सुरक्षित स्थान पर रख दिया गया। इससे पहले अक्षांश, देशांतर, दशा-दिशा कागज पर दर्ज पर वीडियोग्राफी कराई गई। शास्त्र सम्मत तरीके से प्राण-प्रतिष्ठा के स्वरूप में अन्य स्थल पर सुरक्षित रखा गया।
विधि सम्मत तरीके से विग्रहों को सुरक्षित स्थल पर स्थापित किया गया
मंदिर सीईओ विशाल सिंह ने बताया कि काशी के पौराणिक पंच विनायकों में शामिल विग्रह भवन संख्या सीके. 33/07 में था। भवन ध्वस्तीकरण के बाद काशी खंडोक्त विग्रह खुले में आ गया था। इससे पहले अलग अलग भवनों में विराजमान रहे सुमुख विनायक व प्रमोद विनायक को भी विधि-विधान से विस्थापित किया गया था। विग्रह मंदिरों के बजाय भवनों के कक्ष में थे। भवनों पर न शिखर था और न ही स्वरूप मंदिर का था। पूर्व में काशी विद्वत मंडल द्वारा लिए गए निर्णय अनुसार विधि सम्मत तरीके से विग्रहों को सुरक्षित स्थल पर स्थापित किया गया है। कारिडोर बनने के बाद निर्धारित स्थल पर पुन: स्थापना की जाएगी।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने लगाया मंदिर तोडऩे का आरोप
परमधर्मसंसद् 1008 के प्रवर धर्माधीश स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि कारिडोर बनाने में अनेक मंदिरों के बाद अब स्कंद पुराण के काशी खंड में वर्णित दुर्मुख विनायक मंदिर भी सरकार ने तोड़ दिया है और मूॢत गायब कर दी है। दुर्मुख विनायक मंदिर काशी खंडोक्त व पौराणिक पंच विनायक मंदिरों में एक था। उसमें दर्शन-पूजन के बाद काशी यात्रा आरंभ होती थी। उन्होंने सोमवार को जारी विज्ञप्ति में कहा कि मंदिर तोड़ देना और मूॢत गायब करना हम जैसे सनातनधर्मी किसी हालत में स्वीकार नहीं करेंगे। इसके लिए जहां तक भी आवाज उठानी पड़ेगी, उठाते रहेंगे। उन्होंने सवाल उठाया कि एक तरफ देश कोरोना महामारी की चपेट में है। ऐसे समय में केंद्र व प्रदेश सरकार अयोध्या-काशी में मंदिर बनवा रही हैं जो उचित नहीं है। उन्होंने कहा हम मंदिर के विरोधी नहीं। हम चाहते हैं मंदिर बने लेकिन आपातकाल हटने के बाद ताकि उसमें सनातन धर्मी कार सेवा कर सकें। उन्होंने मंदिरों में लॉकडाउन के नियमों को मानते हुए दर्शन-पूजन का अवसर प्रदान करने की मांग की।
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