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    Cyber Crime: काशी में महिला को 48 घंटे तक किया डिजिटल अरेस्ट, 81 लाख कराए RTGS

    Updated: Sun, 06 Jul 2025 12:33 PM (IST)

    वाराणसी में एक महिला साइबर ठगी का शिकार हुई जहाँ अपराधियों ने उसे डिजिटल अरेस्ट कर 81 लाख रुपये लूट लिए। महिला ने पति के इलाज और जीवन यापन के लिए संपत्ति बेचकर यह राशि बैंक में जमा की थी। ठगों ने उसे अश्लील मैसेज भेजने और मनी लांड्रिंग के केस में फंसाने का डर दिखाकर पैसे ट्रांसफर करवा लिए। पुलिस ने 18 लाख रुपये फ्रीज कराए हैं।

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    तस्वीर का इस्तेमाल प्रतीकात्मक प्रस्तुतीकरण के लिए किया गया है। जागरण

    जागरण संवाददाता, वाराणसी। साइबर अपराधियों ने एक महिला को 48 घंटे तक डिजिटल अरेस्ट कर 81 लाख रुपये तीन अलग-अलग बैंक खाते में आरटीजीएस (रीयल टाइम ग्रास सेटलमेंट) करा लिया। बदमाशों ने महिला को पहले उसके मोबाइल से अश्लील मैसेज भेजे जाने और मनीलांड्रिंग का केस आरबीआइ में दर्ज होना बताकर डराया फिर उसे बचाने का भरोसा देते हुए घटना को आंजाम दिया।

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    दो जुलाई को 14 लाख रुपये के अंतिम ट्रांजेक्शन के बाद अपराधियों का मोबाइल स्वीच आफ हुआ तो पीड़िता को ठगी का एहसास हुआ। महिला ने दो दिन की उधेड़बुन के बाद साइबर थाना में केस दर्ज कराया। पुलिस ने तेजी दिखाते हुए 18 लाख रुपये फ्रीज कराए और शेष के लिए कसरत कर रही है।

    कोतवाली क्षेत्र के चौखंभा में गोपाल मंदिर निवासी मीतू गोठी के मोबाइल पर 30 जून की शाम चार बजे फोन आया कि आपके फोन से अश्लील मैसेज भेजे जा रहे हैं। एक मुकदमा मनी लांड्रिंग का पहले से आरबीआइ ने दर्ज कर रखा है। इसलिए बैंक में जमा सारे रुपये आरबीआइ को ट्रांसफर करिए, जो जांच के बाद आपको लौटा दिए जाएंगे।

    डरी-सहमी मीतू ने एक जुलाई को यूनियन बैंक में रखे 30 लाख रुपये, दो जुलाई को दो बार में क्रमश: 37 लाख और 14 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए। मीतू ने साइबर अपराधी को फोन करना चाहा तो मोबाइल स्वीच आफ बताने पर ठगी का अहसास हुआ।

    जानिए मनी लांड्रिंग का मायने, जिससे कांप गई मीनू

    मनी लांड्रिंग ऐसी प्रक्रिया है जिससे अपराधी अवैध रूप से अर्जित धन के स्रोत को छिपाते हैं। इस तरह समझें कि अपराधी ने मादक तस्करी, भ्रष्टाचार से धन कमाए और उसे विभिन्न बैंक खातों के जरिए दूसरे के पास पहुंचा दें।

    इसके बाद उसी रुपये को व्यापार में लगा दें जिससे होने वाली कमाई वैध धन होगी। रियल एस्टेट, होटल में ऐसे धन ज्यादा इस्तेमाल होते हैं। मीतू के पास 81 लाख रुपये संपत्ति बेचने से मिले थे। उसका ध्येय रुपये से जीवन यापन और पति का इलाज करना था। इसलिए मनी लांड्रिंग की बात जान वह सकते में आ गई।

    बैंक सक्रिय होता तो बच जाती रकम

    यूनियन बैंक से मीतू ने तीन बार में 81 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिया। महिला गृहिणी थी, इसलिए वह नासमझी कर गई लेकिन बैंक को जरूर टोकना चाहिए था। ज्यादा दिन नहीं हुए होंगे जब एचडीएफसी बैंक के लंका शाखा के प्रबंधक की सक्रियता से एक डाक्टर के एक करोड़ रुपये बच गए थे।

    तय करेंगे बैंकों की जवाबदेही : सरवणन टी

    वाराणसी : डीसीपी क्राइम सनवणन टी ने कहा कि बैंकों की जवाबदेही तय करेंगे। बैंक ने तनिक भी जिम्मेदारी समझता तो साइबर बदमाश वारदात करने में सफल नहीं होते।