कब्ज पर जल्द पा सकते हैं नियंत्रण, आयुर्वेद में है सबसे सरल उपचार
आयुर्वेद में कब्ज पर लगाम लगाने के लिए सबसे सरल व घरेलू उपाय मौजूद हैं।
वंदना सिंह, वाराणसी : इस वक्त ज्यादातर लोग अनियमित दिनचर्या के कारण किसी न किसी बीमारी से पीडित हैं। ऐसे ही एक समस्या जो इन दिनों बहुतायत से लोगों को शिकार बना रही है वह कब्ज यानी कास्टिपेशन है। कास्टिपेशन पाचन तंत्र से जुड़ी एक गंभीर समस्या है जो सामान्य रूप से अधिक आयु वर्ग के लोगों को प्रभावित करती है। कब्ज एक ऐसी समस्या है जिससे आज भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में करोड़ों लोग पीड़ित है। ऐसा माना जाता है की 70 से 80 फीसद बीमारियों की शुरुआत पाचन क्रिया में असंतुलन से शुरू होती है। इसे नजरंदाज करने से बुरा परिणाम होता है जिससे एसिडिटी, सिर दर्द, बवासीर, अनिंद्रा, आतों और पेट में दर्द आदि समस्याएं उत्पन्न होने लगती है। कब्ज क्यों होती है और इससे कैसे बचा जा सकता है इस बारे में राजकीय स्नातकोत्तर आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय, वाराणसी के कायचिकित्सा एवं पंचकर्म विभाग के वैद्य डा. अजय कुमार से जानते हैं। आयुर्वेद में इसे विबंध रोग के नाम से जाना जाता है। कास्टिपेशन होने की वजह व्यक्ति का पेट ठीक से साफ नहीं हो पाना है जिसके कारण मल अधिक मात्रा में एवं देर तक एकत्रित होने लगता है और सूख जाता है। इस कारण मल त्याग करने में परेशानी होती है। शौच साफ नहीं होता है, मल सूखा और कम मात्रा में निकलता है। जहा आम तौर पर लोग दिन में कम से कम एक बार शौच करते हैं वहीं कास्टीपेशन का मरीज कई दिनों तक मल त्याग नहीं कर पाता। कब्ज होने की वजह--
1-वक्त-बेवक्त भोजन करने की आदत।
2-तले हुए मैदे के व्यंजन, तेज मिर्च-मसालेदार चटपटे भोजन करना।
3-पहले का भोजन हजम हुए बिना फिर से भोजन खाना।
4-पानी कम पीना और खाने को ठीक से चबा-चबा कर न खाना।
5-मानसिक तनाव, चिंता, क्रोध या शोक की अवस्था से भी कब्ज होता है।
6-भोजन में रेशेदार आहार की कमी होना।
7-ज्यादा चाय, कॉफी, तंबाकू, सिगरेट, शराब आदि का सेवन करना कब्जियत को बढ़ाता है।
8-लगातार पेनकिलर्स या नॉरकोटिस या दर्द निवारक दवाएं खाने से कास्टिपेशन हो जाता है।
9-कई बार हॉरमोंस की गड़बड़ी, थाइरॉयड या शुगर की बीमारी होने से भी कास्टिपेशन बना रहता है। कास्टिपेशन के लक्षण--
1- मल का बहुत कड़ा और सूखा होना।
2- हफ्ते में 3 बार से कम मल त्याग करना।
3- मल त्याग करते समय बहुत दर्द होना।
4- मल त्याग में बहुत ज़ोर लगाने की जरूरत पड़ना।
5- पेट में मरोड़ के साथ दर्द बना रहना।
6- ऐसे लोगो में पाइल्स की समस्या होना जो की मल त्याग के समय ज्यादा जोर लगाते हैं।
7- पेट में भारीपन लगना। कैसे पा सकते है छुटकारा
1- पर्याप्त मात्रा में पानी पीएं - बहुत कम पानी पीने से कब्ज की समस्या हो सकती है। इससे मल आतों में सूख जाता है और मल त्याग करने के लिए जोर लगाना पड़ता है। कब्ज के रोगियों को चाहिए कि वे पर्याप्त मात्रा में लगभग 2 लीटर पानी एक दिन में पीने की आदत डालें।
2- खाना खाने के तुरंत बाद पानी न पिएं और इसकी बजाय खाने के बीच बीच में घूंट घूंट करके व खाने से आधा या एक घटा बाद पानी पी सकते हैं।
3- गरम दूध - रात को गाय का गरम दूध पीकर सोना चाहिए। अगर मल आतों में चिपक गया है तो दूध में अरंडी का तेल मिलाकर पिने से भी आराम मिलता है।
4. रेशेदार आहार - रेशेदार सब्जियों से युक्त भोजन करना चाहिए। हरे पत्तेदार सब्जियों, फलों और सलाद में फाइबर अधिक होता है। फाइबर युक्त आहार से कब्ज की शिकायत ठीक हो जाती है।
5. मुनक्का - बीज निकले हुए 12 मुन्नके दूध में उबालकर खाएं और दूध पी जाएं। इसमे विरेचन का गुण होता है जिससे सुबह होने तक कब्ज ठीक हो जाती है।
6. ईसबगोल की भूसी- 10 ग्राम ईसबगोल की दुग्ध या पानी में घोलकर सुबह शाम पीने से कब्ज खत्म हो जाता है।
7. अंजीर - सूखी अंजीर को रात के समय पानी में भिगोकर सुबह चबाकर खाएं। इसके साथ दूध भी ले सकते हैं। 5-6 दिन इसका सेवन करने से कब्ज दूर हो जाएगी। आयुर्वेद में है इलाज--
आयुर्वेद में कब्ज का वर्णन विबंध नाम से किया गया है। इस रोग में हजारो औषधिया महर्षियों द्वारा बताई गई है। किसी अच्छे आयुर्वेद चिकित्सक की सलाह से त्रिफला चूर्ण, षटसकार चूर्ण, हिंग्वाष्टक चूर्ण, लवण भास्कर चूर्ण आदि औषधियों द्वारा सफलतापूर्वक इसका इलाज बगैर किसी साइड इफेक्ट के किया जा सकता है। इसके अलावा इसमें वस्ति और विरेचन आदि पंचकर्म चिकित्सा द्वारा बेहतर इलाज किया जा सकता है।