बीएचयू के पत्रकारिता विभाग में मिड-सेमेस्टर परीक्षा हुई नहीं, दे दिए गए अंक, आरटीआइ से हुआ उजागर
काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग में अनियमितता पाई गई। शिक्षकों ने बिना मिड टर्म परीक्षा के ही अंक दे दिए जिससे छात्रों को नुकसान हुआ। आरटीआई से खुलासा होने पर ओवरसाइट कमेटी ने जांच की जिसमें कई अनियमितताएं मिलीं। दोषी शिक्षकों पर कार्रवाई और परीक्षा दोबारा कराने का सुझाव दिया गया है।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग में एक गंभीर अनियमितता सामने आई है। शिक्षकों ने बिना मिड टर्म सेमेस्टर परीक्षा कराए ही छात्रों को एंड-सेमेस्टर परीक्षा के आधार पर अंक दे दिए।
इस बात की जानकारी विभाग के ही एसोसिएट प्रोफेसर डा. ज्ञानप्रकाश मिश्र द्वारा मांगी गई एक आरटीआइ में मिले जवाब से हुई। पता चला कि इससे 2022-23 सत्र के सैकड़ों छात्रों का नुकसान हुआ। इस मामले की जांच के लिए गठित ओवरसाइट कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार, एमसी-105 (कंप्यूटर एप्लीकेशन प्रैक्टिकल) पेपर के सत्रीय अंक एक शिक्षक द्वारा नहीं जमा किए गए जो नियमों के तहत उनकी जिम्मेदारी थी।
कमेटी ने 21 नवंबर 2023 तक अंक जमा करने का आदेश दिया लेकिन असफल रहने पर 70 अंकों को यूनिटरी मेथड से 30 में कन्वर्ट कर सत्रीय अंक देने का फैसला लिया गया। इसी तरह, एक अन्य शिक्षक ने एमसी-104 के अंक जमा करने में देरी की, और पीजीडीजे-03 (हिंदी पत्रकारिता) के अंक प्रस्तुत करने में विफल रहे।
इन शिक्षकों को कई नोटिस भेजे गए, लेकिन परिणाम शून्य रहा। इसके अलावा, एमसी-303 (आनलाइन जर्नलिज्म) और एमसी-302 जैसे व्यावहारिक पेपरों की परीक्षाएं दोबारा आयोजित करने की सलाह दी गई, क्योंकि इनमें भी सत्रीय अंक जमा नहीं हुए थे।
ओवरसाइट कमेटी के अध्यक्ष कला वरिष्ठ प्रो. एमआर मेहता ने पाया कि बिना सत्रीय परीक्षा के नंबर देना विश्वविद्यालय के अध्यादेशों का उल्लंघन है। कमेटी ने सुझाव दिया कि दोषी शिक्षकों को हटाकर डा. नागेंद्र कुमार सिंह (एमजीकेवीपी) और डा. अनिल कुमार उपाध्याय को पेपर सेटिंग की जिम्मेदारी सौंपी जाए। इसके अलावा, 20 नवंबर 2023 को माडरेटर्स बोर्ड की बैठक आयोजित की गई, जिसमें अंकों की समीक्षा और संशोधन की प्रक्रिया शुरू की गई।
कमेटी ने यह भी नोट किया कि कई पेपरों के सवाल और सत्रीय अंक गलत तरीके से हेड आफ डिपार्टमेंट द्वारा अपलोड किए गए, जो प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठाता है। कमेटी के अन्य सदस्यों में प्रो.एमएस पांडेय, प्रो.सुषमा घिल्डियाल, और आमंत्रित सदस्यों में प्रो. अनुराग दवे और डा. ज्ञान प्रकाश मिश्र शामिल थे।
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