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    धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए शोध करेगा बीएचयू, म‍िला आठ करोड़ रुपये का अनुदान

    By Abhishek sharmaEdited By: Abhishek sharma
    Updated: Tue, 30 Dec 2025 01:30 PM (IST)

    बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के पर्यटन प्रबंधन विभाग को यूरोपीय संघ से 8 करोड़ रुपये का इरास्मस अनुदान मिला है। यह राशि प्रदेश में धार्मिक पर्यट ...और पढ़ें

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    इस परियोजना में 8 देशों के 16 संस्थान शामिल होंगे, जो सतत विकास पर केंद्रित होगी।

    जागरण संवाददाता, वाराणसी। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के पर्यटन प्रबंधन विभाग को यूरोपीय संघ की ओर से इरास्मस और कैपेसिटी बिल्डिंग इन हायर एजुकेशन के तहत आठ करोड़ रुपये का अनुदान प्राप्त हुआ है। इस अनुदान का उपयोग प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए शोध कार्य करने में किया जाएगा। यह अनुदान कला संकाय को मिलने वाला पहला अनुदान है और बीएचयू द्वारा अब तक प्राप्त सबसे बड़ा इरास्मस फंड भी है। यह परियोजना नवंबर से अक्टूबर 2028 तक तीन वर्षों की अवधि के लिए चलेगी।

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    इस परियोजना के तहत धार्मिक पर्यटन के माध्यम से उच्च शिक्षा और सतत विकास के लिए आठ देशों के 16 संस्थानों के विशेषज्ञ एक मंच पर आएंगे। इनमें अल्बानिया, भारत, स्पेन, ग्रीस, स्लोवेनिया, मोल्दोवा, माल्टा और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं। भारत का प्रतिनिधित्व बीएचयू और कर्नाटक विश्वविद्यालय करेंगे। इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य धार्मिक पर्यटन, सांस्कृतिक धरोहर संरक्षण और सतत क्षेत्रीय विकास के क्षेत्र में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाना है। इसके लिए यूरोपीय साझेदार देशों की श्रेष्ठ प्रथाओं और विशेषज्ञता से सीखने पर जोर दिया जाएगा।

    इरास्मस कार्यक्रम यूरोपीय संघ का एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसकी शुरुआत 2014 में शिक्षा, प्रशिक्षण, युवा विकास और खेलों से संबंधित विभिन्न कार्यक्रमों को एकीकृत करके की गई थी। यह कार्यक्रम मूल रूप से छात्र विनिमय कार्यक्रम के रूप में 1987 में शुरू हुआ था। अब तक यह कार्यक्रम 1.2 करोड़ से अधिक लोगों को लाभान्वित कर चुका है।

    इस परियोजना के अंतर्गत धार्मिक पर्यटन से संबंधित समकालीन और समावेशी पाठ्यक्रम का विकास किया जाएगा, साथ ही यूरोपीय शिक्षण- अध्ययन मानकों एवं अनुसंधान पद्धतियों का एकीकरण भी होगा। यह पहल न केवल धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देगी, बल्कि सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

    बीएचयू के पर्यटन प्रबंधन विभाग के प्रमुख ने कहा कि इस अनुदान से न केवल विश्वविद्यालय को लाभ होगा, बल्कि इससे पूरे प्रदेश में पर्यटन को एक नई दिशा मिलेगी। उन्होंने यह भी बताया कि इस परियोजना के माध्यम से छात्रों और शोधकर्ताओं को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनुभव प्राप्त करने का अवसर मिलेगा, जिससे उनकी शिक्षा और शोध में गुणवत्ता में वृद्धि होगी।

    इस परियोजना के तहत विभिन्न कार्यशालाओं, सेमिनारों और शोध गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा, जिसमें विभिन्न देशों के विशेषज्ञ भाग लेंगे। यह एक ऐसा मंच होगा, जहां पर विभिन्न संस्कृतियों और परंपराओं का आदान-प्रदान होगा, जिससे सभी प्रतिभागियों को एक-दूसरे के अनुभवों से सीखने का अवसर मिलेगा।

    इस प्रकार, बीएचयू का यह कदम न केवल धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने में सहायक होगा, बल्कि यह उच्च शिक्षा के क्षेत्र में भी एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा। इस परियोजना के माध्यम से बीएचयू ने एक बार फिर से यह साबित कर दिया है कि वह शिक्षा और शोध के क्षेत्र में अग्रणी है और वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना रहा है। बीएचयू का यह अनुदान प्रदेश के पर्यटन को नई ऊँचाइयों पर ले जाने में सहायक सिद्ध होगा और धार्मिक पर्यटन के क्षेत्र में एक नई दिशा प्रदान करेगा।