Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    गंगा घाटी की विरासत प्राचीन मृदभांड बीएचयू ने राष्ट्रीय समुद्री संग्रहालय लोथल को दान किए

    Updated: Wed, 10 Sep 2025 05:35 PM (IST)

    काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्राचीन भारतीय इतिहास संस्कृति और पुरातत्व विभाग ने गंगा घाटी से प्राप्त पुरातात्विक महत्व के मृदभांडों का एक संग्रह राष्ट्रीय समुद्री विरासत संग्रहालय लोथल को दान किया है। यह संग्रहालय भारत सरकार के बंदरगाह जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय द्वारा गुजरात सरकार के सहयोग से बनाया जा रहा है।

    Hero Image
    विभाग के विभागाध्यक्ष द्वारा पुरातात्विक स्थलों से प्राप्त मृदभांड संग्रहालय को सौंपे गए।

    जागरण संवाददाता, वाराणसी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति और पुरातत्व विभाग ने गंगा घाटी से प्राप्त पुरातात्विक महत्व के मृदभांडों का एक संग्रह "राष्ट्रीय समुद्री विरासत संग्रहालय, लोथल" को दान/लोन किया है। विश्व स्तरीय यह संग्रहालय भारत सरकार के बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय द्वारा गुजरात सरकार के सहयोग से बनाया जा रहा है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    नौ सितंबर को प्राचीन भारतीय इतिहास संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के विभागाध्यक्ष द्वारा अलमगीरपुर, राईपुरा, अनाई, लतीफशाह, खपुरा और महावन के पुरातात्विक स्थलों से प्राप्त मृदभांड राष्ट्रीय समुद्री विरासत संग्रहालय के महानिदेशक प्रोफेसर वसंत शिंदे को आधिकारिक तौर पर सौंपे गए ताकि उन्हें विश्व स्तरीय सबसे बड़े समुद्री संग्रहालय में प्रदर्शित किया जा सके। इनमें मुख्य मिट्टी के बर्तन प्रकारों में पेंटेड ग्रे वेयर, ग्रे वेयर, ब्लैक स्लिप्ड वेयर और रेड वेयर शामिल थे, जो 1200 ईसा पूर्व से 800 ईस्वी तक की अवधि के हैं, जो गंगा मैदान के लगभग 4000 वर्षों के इतिहास को कवर करते हैं।

    यह भी पढ़ेंनेपाल में फैली व्‍यापक हिंसा, बनारस में फंसे नेपाल के लोगों को सता रही अपनों की चिंता

    प्रोफेसर शिंदे के अनुरोध पर, राष्ट्रीय समुद्री विरासत संग्रहालय, लोथल (गुजरात) के महानिदेशक ने विभाग द्वारा खोदाई से प्राप्त उपरोक्त मिट्टी के बर्तन के टुकड़े दान करने के लिए इस सहयोग की प्रशंसा की है। इस अवसर पर विभागाध्यक्ष प्रोफेसर अहिरवार ने कहा, " विभाग के लिए यह विशेष सम्मान और गौरव का क्षण है, जब अपने अध्ययन और अनुसंधान की उपलब्धियों का शताब्दी वर्ष का जश्न मना रहे हैं तब विभाग द्वारा किए गए उत्खननों से प्राप्त हजारों साल पुरानी वस्तुओं को अब राष्ट्रीय समुद्री विरासत संग्रहालय में प्रदर्शित करने के लिए ले जाया जा रहा है।"

    प्रोफेसर शिंदे ने इस योगदान की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे प्रयास न केवल संग्रहालय के संग्रह को समृद्ध करते हैं, बल्कि गंगा घाटी की सांस्कृतिक परंपराओं को राष्ट्रीय मान्यता और वैश्विक पहचान देने में भी मदद करते हैं। इस अवसर पर प्रोफेसर पुष्प लता सिंह, प्रोफेसर सुमन जैन, डॉ. प्रभाकर उपाध्याय, डॉ. विनय कुमार, डॉ. उमेश कुमार सिंह, डॉ. विकास कुमार सिंह, डॉ. सचिन कुमार तिवारी विभाग के अन्य संकाय सदस्यों के साथ उपस्थित थे। सेवानिवृत्त प्रोफेसर ओ.एन. सिंह और डॉ. अशोक कुमार सिंह ने भी इस अवसर पर प्रोफेसर वसंत शिंदे के साथ बातचीत की।

    यह भी पढ़ेंवाराणसी में स्वामी विवेकानंद क्रूज से मॉरीशस के प्रधानमंत्री देखेंगे दशाश्‍वमेध घाट की गंगा आरती