खुला भगवती दरबार, आरंभ हुए आध्यात्मिक-धार्मिक-तांत्रिक अनुष्ठान, जानें संपूर्ण अनुष्ठान के विधान
शारदीय नवरात्र सोमवार से शुरू हो रहा है जिसके लिए सभी तैयारियाँ पूरी कर ली गई हैं। घरों में माँ की चौकी स्थापित की गई है और मंदिरों में साफ़-सफ़ाई की गई है। इस बार नवरात्र 10 दिनों का है जिसमें श्रद्धालु माँ दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा करेंगे।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। मां आदिशक्ति की आराधना-उपासना का पवित्र काल शारदीय नवरात्र सोमवार से आरंभ हो रहा है। इसके लिए रविवार को ही सारी तैयारियां पूरी कर ली गईं। घर-घर में साफ-सफाई कर मां की चौकी स्थापित की गई। अब प्रतीक्षा है तो मां के आगमन की। सोमवार प्रात: कलश स्थापना की जाएगी। चित्रा या वैधृति योगों का प्रभाव न होने के कारण पूरे दिन घट स्थापना का मुहूर्त है।
इसके साथ हर घर और मंदिर में आरंभ हो जाएंगे दस दिवसीय साधना के अनुष्ठान। प्रथम दिन मां दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप के दर्शन-पूजन के विधान को देखते हुए रविवार को मां शैलपुत्री के धाम में पूरे दिन साफ-सफाई का क्रम चला और रंग-रोगन किया गया। दुर्गाकुंड स्थित मां कूष्मांडा देवी और अन्य देवी मंदिरों में बांस-बल्लियां लगाकर मां की आराधना के लिए आने वाले भक्तों की सुविधा सुनिश्चित की गई। श्रीकाशी विश्वनाथ दरबार में भी मां आदिशक्ति के पूजन-अर्चन का विधान आरंभ होगा। प्रत्येक नौ दिन नौ प्रकार के धार्मिक व सांस्कृतिक अनुष्ठान भी किए जाएंगे।
विंध्याचल में उचित दर पर मिलेगा प्रसाद
मीरजापुर : नवरात्र मेला में विंध्याचल के दुकानदार निर्धारित दर से अधिक दाम पर प्रसाद की बिक्री नहीं कर सकेंगे। जिलाधिकारी पवन कुमार गंगवार के निर्देश पर सहायक श्रमायुक्त सतीश कुमार ने मेला क्षेत्र में प्रसाद के दाम की सूची लगवाई है। उन्होंने बताया कि एक माला फूल और छोटा इलायची दाने का प्रसाद 31 रुपये, नारियल, प्रसाद, रोली, धागा, माला और चुनरी 101 रुपये, नारियल, मेवा छोटा पैक, सिंदूर, रोली, धागा, माला के प्रसाद का दाम 151 रुपये तय किया गया है। वहीं 251 रुपये में नारियल, छोटी चुनरी, सिंदूर, रोली, धारा, गुड़हल का माला और प्रसाद प्रसाद मिलेगा।
वहीं सर्वाधिक 501 रुपये के प्रसाद में नारियल, गमछा, दीपक, मेवा बड़ा पैक, सिंदूर, रोली, गुड़हल की बड़ी माला, गुलाब और श्रृंगार का सामान दुकानदार द्वारा दिया जाएगा। दुकानदार करें परेशान तो श्रद्धालु इन नंबरों पर करें काल : विंध्याचल क्षेत्र में किसी दुकानदार द्वारा प्रसाद का अधिक दाम लिया जा रहा है अथवा श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा होने पर इन नंबरों पर काल कर सकते हैं। श्रद्धालु नगर मजिस्ट्रेट व सचिव विंध्याचल मेला 9454416809, थानाध्यक्ष विंध्याचल 9454404016, सहायक श्रमायुक्त सतीश कुमार 9335289045, श्रम प्रवर्तन अधिकारी आलोक रंजन 7499299967 तथा ज्ञानेंद्र सिंह 9415182840 के इस नंबर पर फोन कर सकते हैं।
आदिशक्ति की आराधना उपासना का उपक्रम
वाराणसी : आदिशक्ति की आराधना, उपासना और शक्ति संचयन का महापर्व शारदीय नवरात्र आश्विन शुक्ल प्रतिपदा सोमवार 22 सितंबर से प्रारंभ हो गया, जो महानवमी एक अक्टूबर तक रहेगा। अबकी नवरात्र 10 दिनों का है। भोर के साथ देवी मंदिरों के पट खुले और गूंज उठी माता रानी की जयकार। सोमवार को प्रतिपदा तिथि अनुसार घर-घर कलश स्थापना संग मां दुर्गा का आह्वान किया जाएगा। श्रीदुर्गा सप्तशती पाठ के साथ ही अन्य अनेक अनुष्ठान आरंभ हो जाएंगे। गायत्री परिवार के साधक जहां गायत्री अनुष्ठान करेंगे, वहीं तंत्र साधना के लोग भी अपनी-अपनी परंपराओं व विधानों के अनुसार साधना-अनुष्ठान आरंभ करेंगे।
महाष्टमी व महानवमी व्रत 30 को : ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी के अनुसार नवरात्र में चतुर्थी तिथि की वृद्धि है। महाष्टमी एवं महानवमी व्रत 30 सितंबर होगा। महानवमी एक अक्टूबर को दिन में 2:37 बजे तक है। इसके पूर्व महानवमी का होम आदि तथा महानवमी के अंत में बलिदान आदि करके देवी पूजन करना चाहिए।
शास्त्रों में कहा गया है कि ‘महानवमी तु बलिदानव्यरित विषय मे पूजोपोष्णा। दापष्टमी विद्धाग्राह्या महानवमी” अर्थात, पूजा तथा उपवास में अष्टमीयुक्त नवमी ग्राह्य है तथा नवमी युक्त दशमी बलिदान के लिए प्रशस्त है। महानिशा पूजन 29/30 सितंबर की रात्रि होगी अर्थात, सप्तमी युक्त अष्टमी में होगी। संधि पूजन 30 सितंबर की मध्यरात्रि के बाद होगा। महाष्टमी व्रत की पारण एक अक्टूबर को दिन में 2:37 बजे के पूर्व कर लेना होगा, जबकि संपूर्ण नवरात्र व्रत की पारणा एक अक्टूबर को प्रात: सूर्योदय किया जाएगा। उस दिन दिन में 2:37 मिनट बजे के बाद दशमी तिथि लग जाएगी।
आश्विन शुक्ल दशमी तथा श्रवण नक्षत्र के संयोग से विजयादशमी पर्व दो अक्टूबर को मनाया जाएगा। दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन भी होगा। संकल्प धारण कर करें अनुष्ठान: प्रथम दिन तैलाभ्यंग स्नानादि कर। तिथि, वार, नक्षत्र, गोत्र, नाम आदि लेकर माता के प्रसन्नार्थ पित्यर्थ प्रसाद स्वरूप दीर्घायु, विपुल धन, पुत्र-पौत्र, स्थिर लक्ष्मी, कीर्ति लाभ, शत्रु पराजय, सभी तरह के सिद्ध्यर्थ कलश स्थापन, दुर्गा पूजा या कुमारी पूजन के लिए संकल्पित होना चाहिए। गणपति पूजन, स्वस्तिवाचन, नांदीश्राद्ध, मातृका पूजन इत्यादि करना चाहिए। तदुपरांत मां दुर्गा का पूजन षोडशोपचार या पंचोपचार करना चाहिए।
चतुर्थी तिथि की वृद्धि होने से पक्ष 16 दिन का, महाष्टमी व महानवमी व्रत 30 सितंबर को l संपूर्ण नवरात्र व्रत का पारण एक अक्टूबर को 2:37 बजे के बाद दशमी तिथि शुरू होगी।
22 सितंबर : प्रतिपदा, शैलपुत्री दर्शन।
23 सितंबर : द्वितीया, ब्रह्मचारिणी दर्शन
24 सितंबर : तृतीया, चंद्रघंटा दर्शन
25 सितंबर : चतुर्थी, कुष्मांडा दर्शन
26 सितंबर : चतुर्थी
27 सितंबर : पंचमी, स्कंदमाता दर्शन
28 सितंबर : महाषष्ठी, कात्यायनी दर्शन
29 सितंबर : महासप्तमी, कालरात्री दर्शन
30 सितंबर : महाष्टमी, महागौरी दर्शन व सिद्धिदात्रि दर्शन
01 अक्टूबर: महानवमी, दोपहर 2:37 से पूर्व होम, बलि आदि
02 अक्टूबर : संपूर्ण नवरात्र व्रत पारण, विजयादशमी।
कलश स्थापना मुहूर्त : ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी ने बताया कि आश्विन शुक्ल प्रतिपदा 22 सितंबर को कलश स्थापना प्रात: छह बजे से दोपहर तक कभी की जा सकती है। इस बार अभिजीत मुहूर्त दिन में 11 बजकर 33 मिनट से 12 बजकर 23 मिनट तक है। कलश स्थापना के लिए अमृत मुहूर्त प्रात: छह बजे से आठ बजे तक एवं सुबह 8:30 बजे से 10:30 बजे तक है।
माता का आगमन
हाथी पर मां आगमन होगा शुभ फलदायी पं. द्विवेदी बताते हैं कि इस बार माता का आगमन हाथी पर हो रहा है, जिसका फल अधिक वर्षा तथा माता गमन मानव कंधे पर हो रहा, जिसका फल अत्यंत लाभकारी एवं सुखदायक होता है। इस प्रकार माता का आगमन एवं गमन दोनों अति शुभकारी है। इसके साथ ही आश्विन शुक्ल पक्ष में चतुर्थी तिथि की वृद्धि से यह पक्ष 16 दिनों का है जिससे यह पक्ष भी सुख-समृद्धि एवं शांति प्रदायक होगा।
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