संकट मोचन मंदिर में लोगों की जान बचाने वाला वह पेड़ जिसने बम के असर को झेला और बन गया आस्था का केंद्र
Varanasi Seerial Blast Case संकट मोचन मंदिर में बम धमाके के दौरान विवाह का मंजर था और पेड़ के पास रखे विवाह की सामग्री में ही आतंकी ने प्रेशर कुकर रखक ...और पढ़ें

वाराणसी, जागरण संवाददाता। Varanasi Serial Blast Case सात मार्च 2006 की उस शाम संकट मोचन मंदिर में सात लोगों की बम धमाके में जहां मौत हो गई वहीं दर्जन भर से अधिक लोग घायल भी हो गए। संकट मोचन मंदिर में मंगलवार की उस अमंगल बेला को रीठा के पेड़ ने अपने पर झेल कर व्यापक आस्था आज भी बटोर रखी है। जी हां, संकट मोचन मंदिर परिसर में जिस जगह धमाका हुआ वहां रीठा का पुराना पेड़ भी था जिसके मोटे तने में बम का असर कुछ ऐसा हुआ कि तने की छाल का बड़ा हिस्सा आज भी वारदात की गवाही देता नजर आता है।
संकट मोचन मंदिर में विस्फोट वाले स्थान से लेकर पूरे परिसर की बारीकी की जांच की गई थी। यहां भी जो आरडीएक्स और एल्यूमीनियम के टुकड़े मिले उससे साफ जाहिर हो गया कि कैंट स्टेशन जैसा ही कुकर बम यहां भी इस्तेमाल किया गया था। उसे हाई इंटेंसिटी का बनाने के लिए अमोनियम नाइट्रेट और फ्यूल आयल का भी प्रयोग हुआ था। जिस जगह विस्फोटक रखा गया था वहीं पास में एक रीठा का बड़ा पेड़ था। ब्लास्ट का फोर्स काफी हद तक उस पेड़ ने झेल लिया नहीं तो संकट मोचन मंदिर में मृतकों की सूची और भी लम्बी होती। दरअसल विवाह का एक आयोजन होने के साथ ही मंगलवार का दिन होने की वजह से पूरा परिसर लोगों की भीड़ से पटा हुआ था।
बम धमाके का असर जिस पेड़ ने झेला उसपर लंबे समय तक बम धमाके के निशान मौजूद रहे। पेड़ की छाल भी इस वारदात में उतर गया और पूरा पेड़ ही उस धमाके की जद में आने से थर्रा उठा और दूसरी ओर बम के धमाके का असर जा ही नहीं सका और कई लोगों की जान उस पेड़ ने बचा लिया। हादसे के बाद वह रीठा का पेड़ लोगों के बीच आस्था का केंद्र बन गया। लोग लंबे समय तक उस पेड़ की पूजा करते रहे। चंदन और दीपक जलाने के साथ ही आज भी जानने वाले लोग उस पेड़ को नमन करना नहीं भूलते।

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