यूपी के इस जिले में बनेगी 450 मीटर टनल और 2.40 KM ग्रीनफील्ड सड़क, 440 करोड़ की धनराशि स्वीकृत
वाराणसी एयरपोर्ट के रनवे विस्तारीकरण परियोजना के तहत बनने वाली टनल का निर्माण पूरा होने तक वाराणसी-सुलतानपुर-लखनऊ राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच-31) को नहीं तोड़ा जाएगा। एनएचएआइ और एएआइ के बीच इस पर सहमति बन गई है। टनल से कनेक्टिविटी के लिए ग्रीनफील्ड फोरलेन सड़क भी बनेगी। दो वर्ष में निर्माण करना होगा। करीब 440 करोड़ की स्वीकृति मिली है लेकिन धनराशि तीन किस्तों में आवंटित होगी।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। एयरपोर्ट के रनवे विस्तारीकरण परियोजना की जद में आए वाराणसी-सुलतानपुर-लखनऊ राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच-31) को बाबतपुर के पास तभी तोड़ा जाएगा, जब टनल का निर्माण शत प्रतिशत पूर्ण होगा। टनल के बनने तक वाहनों की आवाजाही इसी हाईवे से होती रहेगी।
ऐसे ही कई गंभीर मुद्दों पर सोमवार को एनएचएआइ (भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण) और एएआइ (भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण) के मध्य सहमति बनी है। दोनों विभागों के शीर्ष अफसरों ने टनल परियोजना के एमओयू (मेमोरेंडम आफ अंडरस्टैंडिंग) पर हस्ताक्षर किए हैं।
टनल से कनेक्टिविटी के लिए बनेगी ग्रीनफील्ड फोरलेन सड़क
बैठक के दौरान एएआइ के महाप्रबंधक राजीव कुलश्रेष्ठ और एनएचएएआइ के परियोजना निदेशक प्रवीण कुमार कटियार के मध्य दोनों तरफ से समझौते के नियम-शर्तें तय किए गए। छह लेन टनल का हिस्सा करीब 450 मीटर होगा और उसकी कनेक्टिविटी के लिए करीब 2.40 किलोमीटर ग्रीनफील्ड फोरलेन सड़क बनेगी।
बाबतपुर चौराहे से करीब दो किलोमीटर पहले पुरारघुनाथपुर, बसनी होते हुए सिसवां गांव तक प्रोजेक्ट को पूर्ण किया जाएगा। दो वर्ष में निर्माण करना होगा। करीब 440 करोड़ की स्वीकृति मिली है, लेकिन धनराशि तीन किस्तों में आवंटित होगी। प्रथम किस्त 20 प्रतिशत (करीब 88 करोड़ रुपये), दूसरी 30 प्रतिशत जबकि अंतिम किस्त 50 प्रतिशत होगी।
IIT Delhi ने तैयार की डिजाइन
आईआईटी दिल्ली ने टनल की डिजाइन तैयार कर ली है, उसे एनएचएआइ को सौंपा गया है। करीब 10.60 हेक्टेयर जमीन हैंडओवर होने के बाद ही टेंडरिंग की प्रक्रिया शुरू होगी। दो महीने में टेंडर फाइनल होगा। विशेषज्ञ कंपनियों को प्रोजेक्ट से जोड़ने की प्राथमिकता होगी। टनल करीब 500 टन भार झेल सकेगा, इसके ऊपर से ही रनवे गुजरेगा। 1700 मीटर रनवे का विस्तारीकरण होना है। इसी टनल के ऊपर से ही 'बोइंग-777' समेत कई विमान गुजरेंगे।
टनल की गहराई साढ़े छह मीटर होगी। कार्यदायी एजेंसी को निर्माण के अलावा 10 साल तक देखरेख और मरम्मत की जिम्मेदारी निभानी होगी। भूमि अधिग्रहण के लिए एनएचएआइ ने करीब 218 करोड़ रुपये की डिमांड की थी, इसमें करीब 114 करोड़ रुपये आवंटित हो चुके हैं।
एनएचएआइ, परियोजना निदेशक, प्रवीण कुमार कटियार ने बताया
भूमि मिलने के बाद ही टेंडर अपलोड किया जाएगा। हालांकि डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट स्वीकृत हो चुकी है। शीघ्र काम शुरू होगा। दोनों विभागों के बीच कई मुद्दों पर सहमति बनने से प्रोजेक्ट को आसानी से धरातल पर उतारा जाएगा।
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