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    अल्जाइमर दिवस : आयुर्वेदिक उपचार से खुशियों को याद रखने में नहीं होगी भूल

    By Abhishek SharmaEdited By:
    Updated: Fri, 21 Sep 2018 11:14 AM (IST)

    अल्जाइमर डिमेंशिया का एक प्रकार है जिसके होने पर याददाश्त कम होने लगती हैं, सही समय पर ठीक से कोई निर्णय लेने, बोलने में और चीज़ों को समझने में समस्‍या होने लगती हैं।

    अल्जाइमर दिवस : आयुर्वेदिक उपचार से खुशियों को याद रखने में नहीं होगी भूल

    वाराणसी [कृष्‍ण बहादुर रावत] : अल्जाइमर रोग डिमेंशिया का एक प्रकार है जिसके होने पर व्यक्ति की याददाश्त कम होने लगती हैं। वो सही समय पर ठीक से कोई निर्णय लेने में,  बोलने में और चीज़ों को समझने में भी दिक्क्तें होने लगती हैं। 2015 में हुए एक सर्वे के आधार पर ऐसा अनुमान है की पूरे विश्व में लगभग 30 मिलियन लोग इससे पीड़ित है। यह रोग रोगी के शारीरिक व मानसिक रूप से काम करने पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। चौकाघाट स्थित राजकीय स्नातकोत्तर आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय, वाराणसी के कायचिकित्सा एवं पंचकर्म विभाग के वैद्य डॉ अजय कुमार ने बताया की लोगों में इस बीमारी के प्रति जागरूकता लाने के उदेश्य से प्रत्येक वर्ष 21 सितंबर को विश्व अल्जाइमर दिवस मनाया जाता है।

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    अल्जाइमर का पता कैसे चलता है

    शुरुआत में इसके मरीजों को कई बातें भूलने की बीमारी होती है। धीरे-धीरे यह बीमारी इतनी प्रबल हो जाती है कि व्यक्ति रोजमर्रा की छोटी-छोटी बातें भी भूलने लगता है। कुछ समय बीतने पर वह लोगों के नाम, अपने घर का पता या नंबर, खाना, बैंक संबंधी काम, नित्य क्रिया, दैनिक कार्य तक भूलने लगते है। अलजाइमर से पीड़ित इंसान के लिए किसी नयी जानकारी या घटना को याद करना और याद रख पाना मुश्किल हो जाता है। धीरे धीरे पुरानी यादें भी मिटती रहती हैं। 

    अल्जाइमर के क्या लक्षण है

    1. अपना घर का पता भूलना, अपने आसपास के माहौल तक को व्यक्ति भूल जाता है. 

    2. भूलने की बीमारी होने पर पीड़ित व्यक्ति को कोई भी गेम खेलने, खाना पकाने में कठिनाई होने लगते हैं।

    3. अल्जाइमर रोग से पीड़ित व्यक्ति को बोलने में दिक्कतें आने लगती हैं. यहां तक की साधारण वाक्य या शब्द तक नहीं बोल पाता।

    4. ना सिर्फ बोलने में फर्क आता है बल्कि उसकी लेखनशैली बदल जाती है उसकी लिखावट को पहचान पाना मुश्किल होता है।

    5. कोई भी निर्णय लेने में उसे काफी दिक्कतें आती हैं।

    6. अपनी चीजों को रखकर भूल जाना भी एक बड़ी समस्या बन जाती हैं।

    7. अचानक मूड में बदलाव आ जाना, 

    8. बिना वजह गुस्सा करना 

    9. बिना वजह घंटों तक एक ही काम में व्यस्त रहना सभी अल्जाइमर रोग के लक्षण है. 

     

    अल्जाइमर के क्या कारण है

    अल्जाइमर रोग होने के कई कारण हो सकते हैं लेकिन अधिकांश मामलो में इसके कारणों का पता नही चलता है। केवल लगभग 5 प्रतिशत रोगियों में इसके कारण ज्ञात होते है। कुछ मामलो में  हाई ब्लड प्रेशर होना, डायबिटीज होना और लाइफस्टाइल खराब होना भी इसकी एक बड़ी वजह है। किसी दुर्घटना के दौरान सिर में चोट लगने से भी भूलने का रोग हो जाता है।

    आयुर्वेद और अल्जाइमर

    डॉ अजय कुमार ने बताया की आयुर्वेद के ग्रंथो में इस बीमारी का वर्णन स्मृतिभ्रंश नाम से मिलता है जो उन्माद और अपस्मार जैसे रोगों का भी एक प्रमुख लक्षण माना गया है। इसमे रोगी धीरे धीरे भूलने की बीमारी से परेशान हो जाता है। उन्माद नामक बीमारी में मन, बुद्धि, संज्ञा, ज्ञान ,स्मृति, भक्ति, शील, चेष्टा, और आचार यानी आदते धीरे धीरे खराब होने लगती है तथा कुछ समय के बाद जब पूरी तरह स्मृति का नाश हो जाता है तब इसे अपस्मार कहते है। इन सभी रोगों को मानस रोगों के अंतर्गत वर्णन किया गया है और विस्तार से इसकी चिकित्सा भी बताई गयी है। 

    आयुर्वेद चिकित्सा

    इस बीमारी के लक्षण दिखाई देने पर आयुर्वेद चिकित्सा प्रारम्भ कर देनी चाहिए। इसकी चिकित्सा संशमन और संशोधन दोनो प्रकार से की जाती है। संशमन चिकित्सा के अंतर्गत अश्वगंधा, सर्पगंधा, शंखपुष्पी, ब्राम्ही, ज्योतिष्मती, हरिद्रा, कपिकछू आदि औषधियों का चूर्ण बनाकर गाय के दूध के साथ ले सकते है। इसके अलावा पंचगव्य घृत, ब्राम्ही घृत आदि बहुत से सैकड़ो औषधियों के द्वारा योग्य वैद्य की देखरेख में इसकी सफल चिकित्सा की जा सकती है। मानस रोगों में घृत से बानी औषधियों का अत्यधिक मात्रा में प्रयोग करते है। संशोधन चिकित्सा में पंचकर्म चिकित्सा करते है जिसमे से शिरोधारा और शिरोबस्ति से बहुत लाभ मिलता है।