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    अमीरन से बनीं उमराव जान, फैजाबाद से लखनऊ का सफर तय करके काशी में गुजारी शेष ज‍िंंदगी

    By Abhishek sharmaEdited By: Abhishek sharma
    Updated: Fri, 26 Dec 2025 05:12 PM (IST)

    महान अभिनेत्री रेखा और ऐश्वर्या राय ने जिस उमराव जान के किरदार को अमर किया, उनकी 88वीं पुण्यतिथि वाराणसी में मनाई गई। डर्बीशायर क्लब के तत्वावधान में ...और पढ़ें

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    शकील ने राज्य सरकार से मकबरे पर मार्क्स लाइट लगवाने की मांग की है।

    जागरण संवाददाता, वाराणसी। महान अभ‍िनेत्री रेखा और एश्‍वर्या राय ने ज‍िस उमराव जान के क‍िरदार को अमर क‍िया वो अवध से लेकर काशी प्रांत तक अपने दौर में सक्र‍िय रहीं। फैजाबाद की अमीरन उमराव जान बनीं तो अवध क्षेत्र में उनका नाम लंबे समय तक चमकता रहा। लेक‍िन अपने उम्र के आख‍िरी पड़ाव पर उन्‍होंने मोक्ष नगरी काशी का रुख क‍िया और अपने प्राण यहीं त्‍यागे। काशी में ही उनकी मजार पर पुण्‍यत‍िथ‍ि के मौके पर याद करने के ल‍िए लोगों का हुजूम उमड़ा। 

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    डर्बीशायर क्लब के तत्वावधान में 26 दिसंबर 2025, शुक्रवार को दोपहर 1:30 बजे क्लब अध्यक्ष शकील अहमद जादूगर के साथ उमराव जान की 88वीं पुण्यतिथि मनाई गई। यह आयोजन फातमान स्थित मस्जिद काली गुम्बज के पास सिगरा में हुआ। इस अवसर पर उपस्थित जनों ने उमराव जान के मकबरे पर फातिहा पढ़ा और माला फूल चढ़ाकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।

    क्लब अध्यक्ष शकील अहमद जादूगर ने इस अवसर पर कहा कि फैजाबाद में पली-बढ़ी उमराव जान किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं। उन्होंने बताया कि उमराव जान का बचपन का नाम अमीरन था और उन्होंने नृत्य-गायन की बारीकियां लखनऊ में सीखी। लखनऊ के नवाबों के महल में अपनी नृत्य-गायन की प्रतिभा से उन्होंने नवाबों को अपना दीवाना बना दिया। अमीरन को नवाबों ने उमराव जान का नाम दिया, और तब से हर जुबां पर बस उमराव जान का ही नाम था। इज्जत और शोहरत उनके कदम छू रही थी।

    उमराव जान की अदाओं और हुस्न को मशहूर निर्देशक मुजफ्फर अली ने परदे पर जीवंत किया, जहां रेखा ने उमराव जान का किरदार निभाया। इसके बाद, दूसरी फिल्म में एश्वर्या राय ने भी इस किरदार को बखूबी पेश किया, जिससे दुनिया को उमराव जान का तसव्वुर कराया गया। यह किरदार आज भी लोगों के दिलों में बसा हुआ है।

    शकील ने आगे बताया कि अपने अंतिम समय में उमराव जान बनारस आकर अपनी तनहा जिंदगी गुजारने लगीं। उन्होंने 26 दिसंबर 1937 को बनारस में अंतिम सांस ली और अपनी प्रतिभा, शोहरत और इस दुनिया को छोड़कर हमेशा के लिए रूख्सत हो गईं।

    बरसी के इस मौके पर शकील ने राज्य सरकार से मांग की कि उमराव जान के मकबरे के ऊपर मार्क्स लाइट लगवाई जाए, ताकि उनका मकबरा हमेशा रोशन रहे। इस मांग के पीछे उनका उद्देश्य यह है कि उमराव जान की यादें और उनकी कला को हमेशा जीवित रखा जा सके।

    उमराव जान का जीवन समाज में भी एक महत्वपूर्ण स्थान संगीत के माध्‍यम से रखती है। उनका संगीत को लेकर योगदान आज भी लोगों के दिलों में जीवित है। उनके नृत्य और गायन की कला ने भारतीय संस्कृति को समृद्ध किया है। उमराव जान का नाम आज भी उन सभी के लिए एक प्रेरणा है, जो कला और संस्कृति के प्रति समर्पित हैं। 

    उमराव जान की पुण्यतिथि पर आयोजित यह कार्यक्रम न केवल उनकी यादों को ताजा करने का एक अवसर था, बल्कि यह भी दर्शाता है कि हम अपनी भारतीय सांगीत‍िक सांस्कृतिक धरोहर को कैसे संजो सकते हैं। उमराव जान की कला और उनके जीवन के प्रति यह श्रद्धांजलि लोगों के दिलों में बसी रहेगी।

    इस अवसर पर मुख्य रूप से प्रमोद वर्मा, हैदर मौलाई, आफाक हैदर, चिंतित बनारसी, विक्की यादव, बाले शर्मा, मो. राजू जैसे गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। सभी ने मिलकर उमराव जान की कला और उनके योगदान को याद किया और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।