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    वीरान हवन कुंड फैलाएंगे यज्ञ परंपरा की सुवास, तीन दशक बाद प्रज्‍जवलित होंगे 14 हवन कुंड

    By Vandana SinghEdited By:
    Updated: Fri, 31 May 2019 06:17 PM (IST)

    तीन दशक से वीरान पड़े संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के वेद विभाग के हवन कुंडों से जल्द ही वेद व यज्ञ परंपरा की सुवास फैलेगी।

    वीरान हवन कुंड फैलाएंगे यज्ञ परंपरा की सुवास, तीन दशक बाद प्रज्‍जवलित होंगे 14 हवन कुंड

    वाराणसी, जेएनएन। तीन दशक से वीरान पड़े संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के वेद विभाग के हवन कुंडों से जल्द ही वेद व यज्ञ परंपरा की सुवास फैलेगी। एक बार फिर वीरान कुंडों से हवि सुवासित होगी तो वेद मंत्रोचार भी सुनाई देगा। विश्वविद्यालय ने इसके लिए हाल ही में हैदराबाद की इंडिक एकेडमी से समझौता किया है ताकि शास्त्री व आचार्य के विद्यार्थियों को वैदिक हवन की महत्ता बताते हुए उनकेमाध्यम से दुनिया में वेदों का प्रचार-प्रसार किया जा सके। इस क्रम में दोनों संस्थानों ने संयुक्त रूप से योजना भी तैयार कर ली है।

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    विवि में बने हैं 14 हवन कुंड

    संविवि के वेद विभाग में 14 हवन कुंड हैं। शास्त्रों में इन हवन कुंडों की अलग -अलग महत्ता दी गई है। हवन करने को विवि के पास संसाधन है। इसके बावजूद योग्य प्रशिक्षक न होने से ज्यादातर वेद विद्यार्थी कुंडों की महत्ता से अनजान हैं।

    दस लाख रुपये किए स्वीकृत

    इंडिक एकेडमी ने इसके लिए प्रथम चरण में विश्वविद्यालय को दस लाख रुपये की स्वीकृति प्रदान कर दी है। जिससे विवि 12 जुलाई से तीन दिवसीय महायज्ञ कराने जा रहा है। इस दौरान विद्यार्थियों को यज्ञ की विभिन्न विधियों के बारे में बताया जाएगा।

    हवन के प्रकार 

    अग्निहोत्रम्

    दर्शपूर्ण मासौ

    चातुर्मस्यानि

    पशुयांग

    सोमयज्ञ 

    कुंड के प्रकार व विशेषता

    -योग्य पुत्र की प्राप्ति के लिए योनि कुंड

    -सुख शांति के लिए अर्धचंद्राकार कुंड

    -शत्रुओं पर विजय के लिए त्रिकोण कुंड

    - जन के कल्याण के लिए वृत्त कुंड

    -रोग निवारण के लिए समअष्टस्त्र कुंड

    -शत्रुओं में झगड़े को समषडास्त्र कुंड

    -सर्वकार्यसिद्धि के लिए चतुष्कोणा कुंड

    -मारण प्रयोग से बचने के लिए पद्म कुंड

    भारतीय परंपरा में हवन से शुद्धिकरण होता है। कुंड में हवन अग्नि के माध्यम से ईश्वर की उपासना की प्रक्रिया है। इसमें मंत्रोचार संग आहुति का महत्व है। हवन की विधि का ज्ञान जरूरी है। वेद के छात्रों को इसका बोध कराया जाता है। 

    - प्रो. महेंद्र पांडेय, विभागाध्यक्ष, वेद विभाग, संविवि ।

    कुलपति प्रो. विद्यानिवास मिश्र के बाद हवन कुंड वीरान हैं। विद्यार्थियों को हवन -पूजन में दक्ष करने को इंडिक एकेडमी से समझौता हुआ है। शास्त्री-आचार्य के 20 छात्रों को दस-दस हजार वार्षिक छात्रवृत्ति देने की घोषणा भी एकेडमी ने की है।

    -प्रो. राजाराम शुक्ल, कुलपति

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