Varanasi News: सावन में 1.63 करोड़ भक्तों ने किए बाबा विश्वनाथ के दर्शन, प्रतिदिन डेढ़ लाख से अधिक रहा आंकड़ा
काशी विश्वनाथ धाम में इस सावन में 1.63 करोड़ भक्तों ने बाबा के दर्शन किये। हर सोमवार को श्रद्धालुओं ने यह आंकड़ा पांच लाख के पार पहुंचाया और अंतिम सोमवार को अब तक सर्वाधिक 7.25 लाख लोगों ने हाजिरी लगाई। इस तरह श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में अबकी सावन में दो रिकार्ड बने। श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के नव्य भव्य स्वरूप का लोकार्पण दिसंबर 2021 में किया गया था।

वाराणसी, प्रमोद यादव। देवाधिदेव महादेव को प्रिय मास सावन में शिव भक्ति गंगा का प्रवाह उफान पर रहा। सावन के 59 दिनों में श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में 1,63,17,000 भक्तों ने बाबा का दर्शन-पूजन और दूध-जल से अभिषेक किया। इस खास मास में हर दिन रेला उमड़ा और कतार का पारावार न रहा। प्रतिदिन भोर के चार बजे मंगला आरती से लेकर रात में 11 बजे शयन आरती तक औसतन डेढ़ लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने बाबा की देहरी पर शीश नवाया।
हर सोमवार को श्रद्धालुओं ने यह आंकड़ा पांच लाख के पार पहुंचाया और अंतिम सोमवार को अब तक सर्वाधिक 7.25 लाख लोगों ने हाजिरी लगाई। इस तरह श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में अबकी सावन में दो रिकार्ड बन गए। श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के नव्य भव्य स्वरूप का लोकार्पण दिसंबर 2021 में किया गया था। इसका असर पिछले साल सावन में दिखा।
पहली बार बाबा को प्रिय मास में एक करोड़ श्रद्धालुओं ने काशीपुराधिपति का दर्शन किया था। अबकी सावन में अधिक मास के कारण दिनों की संख्या 59 रही। सावन चार जुलाई को शुरू हुआ तो 18 जुलाई से अधिक मास का आरंभ हो गया। पुनः 17 अगस्त से 31 अगस्त तक शुद्ध सावन शुक्ल पक्ष चला। इस अवधि में श्रद्धालुओं को आठ सोमवार मिले। दो मास शिवरात्रि के साथ ही चार प्रदोष का भी संयोग बना।
सिर्फ आठ सोमवार में ही पहुंच गए 49.66 लाख श्रद्धालु
- पहला सोमवार (10 जुलाई) - 5.15 लाख
- दूसरा सोमवार (17 जुलाई) - 6.09 लाख
- तीसरा सोमवार (24 जुलाई) - 5.87 लाख
- चौथा सोमवार (31 जुलाई) - 5.73 लाख
- पांचवां सोमवार (7 अगस्त) - 6.57 लाख
- छठां सोमवार (14 अगस्त) - 7.05 लाख
- सातवां सोमवार (21 अगस्त) - 5.95 लाख
- आठवां सोमवार (28 अगस्त) - 7.25 लाख
59 दिनों में 10 शृंगार झांकी दर्शन का सौभाग्य
सावन में हर सोमवार बाबा का अलग-अलग रूप में शृंगार का विधान है। इसमें बाबा की चल प्रतिमा का शृंगार, गौरी शंकर शृंगार, अमृत वर्षा शृंगार, भागीरथी शृंगार, तपस्यारत पार्वती शृंगार, शंकर-पार्वती-गणेश शृंगार, अर्द्धनारीश्वर शृंगार, रुद्राक्ष शृंगार शामिल रहे। इनमें आठ सोमवार पड़ने के कारण अमृत वर्षा शृंगार, भागीरथी शृंगार, तपस्यारत पार्वती शृंगार पहली बार किए गए। दो पूर्णिमा भी मिली। इसमें भक्तों को बाबा का झूलनोत्सव समेत दो झांकियों का दर्शन मिला।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।