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    आयुर्वेद अपनाएं, जीवन स्वस्थ बनाएं

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    Updated: Mon, 21 Oct 2013 12:35 AM (IST)

    वाराणसी : बीएचयू में रविवार को आयुर्वेद के गुणों का बखान किया गया। सर सुंदरलाल चिकित्सालय के व्याख्यान कक्ष संकुल में आयोजित व्याख्यान में विशषज्ञों ने कहा कि वनस्पतियों में निहित नए गुणों को सामने लाने पर अनुसंधान चल रहा है। महिमा रिसर्च फाउंडेशन एण्ड वेलफेयर की ओर से 'स्कोप आफ ट्रांसनेशनल रिसर्चेस इन आयुर्वेदिक मेडिसीन' विषयक संगोष्ठी में बीएचयू व अन्य संस्थाओं के विशेषज्ञों के विचारों का मूल था कि आयुर्वेद अपनाएं, जीवन स्वस्थ बनाएं।

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    दिनचर्या रखे नियमित : बीएचयू के काय चिकित्सा विभाग के डा. जेएस त्रिपाठी ने बताया कि एक से दस वर्ष की आयु में विकलांगता अधिक पाई जाती है। यह खान-पान और रहन- सहन के असंतुलन से होती है। दिनचर्या संयमित रखने से विकार उत्पन्न नहीं होते। मधुमेह, नींद की कमी, रक्तचाप, अर्थराइटिस, गठिया आदि से बचा जा सकता है।

    औषधियों का परीक्षण : हैदराबाद से आए डा. गोली प्रसाद पंचेला ने कहा कि अभी देश में मौजूद फलों, जड़ी-बूटियों, सब्जियों के गुणों के बारे में लोगों को कम जानकारी है। अश्वगंधा, कंटककारी, शंखपुष्पी, ब्राह्मी, अमलतास, सहजन आदि के गुणों का परीक्षण चल रहा है, इसका लाभ मिल रहा है। कहा कि रोगी को सबसे पहले आयुर्वेदिक चिकित्सा करनी चाहिए क्योंकि आयुर्वेद में रोग को पूरी तरह से ठीक करने का वर्णन है। कर्नाटक से आए डा. कावेरी हिरामठ ने बताया कि गरिष्ठ भोजन लीवर को खराब करता है, पाचन शक्ति कमजोर करता है।

    इनकी भागीदारी : संगोष्ठी में अमेरिका से आए डा. आरएस पांडेय सहित प्रो. सीबी झा, डा.केआरसी रेड्डी, डा.केएन मुर्ती, डा.डीएनएस गौतम, डा. अजय कुमार पांडेय, डा. दिनेश कुमार मीना आदि ने विचार व्यक्त किए। संचालन संस्था के सचिव रत्नेश कुमार व धन्यवाद ज्ञापन अध्यक्ष श्रीमती उर्मिला राव ने किया।

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