वंचितों को लालच देकर मतांतरण कराता, पत्नी भी देती है साथ; उन्नाव में फेरी लगाने वाला पंकज 4 साल में बना करोड़पति
उन्नाव के हुलासखेड़ा गांव निवासी पंकज पर अपनी पत्नी के साथ मिलकर वंचित लोगों को प्रार्थना सभाओं और आर्थिक प्रलोभन के माध्यम से मतांतरण के लिए प्रेरित ...और पढ़ें

जागरण संवाददादा, उन्नाव। ईसाई मिशनरी से जुड़े हुलासखेड़ा गांव निवासी पंकज के मतांतरण कराने में शामिल होने का दावा कर रहे बजरंग दल के पदाधिकारियों की बात पर ग्रामीणों ने मुहर लगा दी।
ग्रामीणों के अनुसार पंकज के साथ उसकी पत्नी भी वंचित लोगों को एकजुट कर घर में प्रार्थना सभा में बुलाकर मतांतरण के लिए प्रेरित करती है। इसके प्रमाण पंकज के इंटरनेट मीडिया पर बने अकाउंट पर मिले हैं।
उसने ईसाई मिशनरी से जुड़े होने के वीडियो प्रमाण के तौर पर अपने अकाउंट के जरिए पोस्ट किए हैं। जिसमें प्रार्थना सभा के दौरान पंकज इसी धर्म की बातों को माइक के जरिए प्रार्थना सभा में मौजूद लोगों को बताता दिख रहा है।
पिता तुल्ली खुद को कबीरपंथी व परिवार के अन्य लोग जय गुरुदेव व सतपाल के अनुयायी बताते हैं। पंकज ने जब ईसाई मिशनरी का रास्ता चुना तो परिवार के लोगों ने विरोध किया। कम समय में अमीर बनने व जरूरतों को पूरा करने के जुनून में पंकज ने परिवार से खुद को अलग कर लिया। पत्नी के साथ वह गांव के बाहर रहने लगा।
इसाई मिशनरी से जुड़े पंकज के विरोध में अधिकांश ग्रामीण हैं, जिन्होंने उसके कारनामों को खुलकर बताया। चार साल में पंकज के फर्श से अर्श पर पहुंचने के पीछे इसाई मिशनरियों से हो रही फंडिंग की गांव में जोरों पर चर्चा है। पंकज अपने तीन भाइयों में सबसे बड़ा है। सबसे छोटे भाई की शादी नहीं हुई है।
दोनों भाई पिता के साथ रहकर खेतीबाड़ी में हाथ बंटाते हैं। पिता के नाम गांव में एक बीघे से भी कम जमीन है। इसके विपरीत पंकज के ठाट-बाट चार साल में बिल्कुल अलग हो गए। वह परिवार से इस तरह अलग हुआ कि 19 नवंबर को बहन अंजली की शादी में भी अलग-थलग रहा।
सिल पोहन में भी पत्नी के साथ शामिल नहीं हुआ। चार साल में पंकज अर्श से फर्श पर कैसे पहुंचा, पुलिस इसकी ही जांच कर ले तो मतांतरण के खेल से पर्दा उठने में देर नहीं लगेगी।
कपड़े की फेरी लगाने के दौरान ही मिशनरी से जुड़ा
ग्रामीणों ने बताया कि पंकज आर्थिक रूप से कमजोर होने से गांव-गांव फेरी लगाकर कपड़े बेचता था। इसी दौरान उसे किसी ने ईसाई मिशनरी से जोड़ा और पंकज फेरी लगाने के दौरान ही वंचित लोगों की बस्तियों में जाकर इसका प्रचार-प्रसार करने लगा। उसने इस खेल में ज्यादातर महिलाओं को जोड़ रखा है।
उनके समस्त कष्टों, समस्याओं का खात्मा व लालच का सब्जबाग दिखा कर उन्हें अपने जाल में फंसा मतांतरण के लिए प्रेरित करता है। चर्चा है कि उसके सैकड़ों समर्थक हो चुके हैं।
जिन्हें वह धनलाभ भी कराता है। जिससे वह इसके विरोध में कुछ भी बोलने से बचते हैं। पिछले चार साल में ही उसकी हैसियत बदल गयी। उसने अपना एक अलग घर बनाने के साथ कपड़े की बड़ी दुकान तक खोल ली है।
वंचित लोगों का मत भंगकर लालच के बाद होता मतांतरण
बिना मेहनत शार्ट-कट के जरिए कम समय में ऐशो-आराम की जिंदगी जीने का सपना देखने वाले वंचित लोगों का मत भंग कर कुछ मिशनरियां उन्हें मतांतरण करने पर मजबूर कर अपने धर्म में मिला रही हैं। पुलिस की निष्क्रियता के चलते बड़ी संख्या में यह खेल जिले के अलग-अलग क्षेत्रों में चल रहा है।
वर्ष 2024 में बिहार क्षेत्र में प्रार्थना सभा की आड़ में चल रहे मतांतरण के इस खेल को हिंदू संगठनों ने पकड़ा तो पुलिस ने छह के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर एक महिला समेत दो को जेल भेजा था।
सिविल लाइंस मुहल्ला की कमलेश कुमारी ने मतांतरण के विरोध में आगे आकर कई साक्ष्य जुटा पुलिस से कार्रवाई की मांग की पर पुलिस ने उनकी एक नहीं सुनी। वह कहती है कि उसके पास इतने प्रमाण है कि पुलिस कार्रवाई करने पर उतर आए तो एक बड़े नेटवर्क का पर्दाफाश हो सकता है।
कमलेश कुमारी ने इस तरह पकड़ा था खेल
जय शिव शक्ति सेवा संस्थान की प्रबंधक/सचिव कमलेश कुमारी के अनुसार डेढ़ साल पहले उन्होंने कुछ महिलाओं को अपने साथ जोड़कर मतांतरण के विरोध में काम करना शुरू किया था।
अजगैन क्षेत्र स्थित एक चर्च पहुंचकर हिडन कैमरे की मदद से प्रार्थना सभा के नाम लोगों को यहां बुलाकर मतांतरण के सुबूत जुटाकर पुलिस को दिए। कमलेश के अनुसार पुलिस ने कार्रवाई की जगह उसे जांच की बात कह चलता कर दिया था। बाद में मामले पर पर्दा डाल दिया गया।
इस तरह होता मतांतरण
- वंचित लोगों तक पहुंचकर उन्हें लालच में फंसा किया जाता मत भंग ।
- वंचित परिवारों को रुपये, नौकरी, शिक्षा, इलाज का लालच दिया जाता है।
- धीरे-धीरे धार्मिक साहित्य दिया जाता है और अगली बैठकों में नया विश्वास अपनाने को कहा जाता है।
- गांव-स्तर पर गुप्त सभाएं, घरों या किराए के भवनों में छिपी हुई प्रार्थना सभाएं होती हैं।
- बीमारी में मुफ्त दवा व सुविधा दिलाने के बदले धर्म बदलने के लिए प्रेरित किया जाता है।
- चमत्कार या दिव्य उपचार का दावा कर भ्रम फैलाकर धार्मिक सभा में प्रार्थना करवाकर कहा जाता है कि इससे बीमारी ठीक हो जाएगी।
धर्म बदलने से पहले डीएम को देनी होती सूचना
यदि कोई चाहे कि वह अपनी मनमर्जी से धर्म बदल सकता तो कानून इसकी अनुमति नहीं देता है। धर्म बदलने के लिए संबंधित जिलाधिकारी को सूचना देना आवश्यक है। प्रलोभन, दबाव, जबरदस्ती या धोखे से मतांतरण कराना अपराध है। ऐसा कराने वाले को 1-10 साल तक की सजा और जुर्माना तक का प्राविधान है।
मतांतरण कराए जाने संबंधित यदि कोई भी प्रमाण किसी के पास हैं, तो वह संबंधित थाना जाकर शिकायत कर सकता है। यदि ऐसा लगता है कि पुलिस ने सुनवाई नहीं की तो वह सीधे आकर मुझसे मिल सकता है। जांच में यदि मतांतरण की बात सही निकली तो संलिप्त लोगों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
- जयप्रकाश सिंह, एसपी

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