'थकी हूं, डरी हूं...', सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कुलदीप सेंगर की छोटी बेटी का भावुक पोस्ट
सुप्रीम कोर्ट ने उन्नाव दुष्कर्म मामले में भाजपा के निष्कासित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की सजा निलंबन पर रोक लगा दी है। इस फैसले से पीड़िता को राहत मिल ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, उन्नाव। उन्नाव रेप मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है। आरोपी पूर्व विधायक कुलदीप सेंगर को बीते दिनों हाई कोर्ट ने जमानत दे दी थी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से रेप पीड़िता को राहत मिली हैं।
रेप पीड़िता ने कहा कि हाई कोर्ट ने बिना तथ्यों को देखे सजा निलंबित करने का फैसला सुनाया था। अब सुप्रीम कोर्ट ने उसी फैसले पर रोक लगा दी है। कहा कि उसे विश्वास था कि सुप्रीम कोर्ट उसके दर्द को जरूर समझेगी।
वहीं, सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद कुलदीप खेमे में मायूसी छा गई। सोशल मीडिया पर कुलदीप को निर्दोष बताकर पीड़िता को कटघरे में खड़ा करने वाली पोस्ट व कमेंट पर भी विराम लग गया है।
कुलदीप के माखी वाले घर पर ताला लग गया। उनके स्वजन भी सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से मायूस हैं। इसी बीच कुलदीप की छोटी बेटी का एक भावुक पोस्ट एक्स पर आया है।
हाई कोर्ट ने आरोपी को दी थी जमानत
माखी दुष्कर्म कांड में दिल्ली हाई कोर्ट ने सजायाफ्ता विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की सजा को 23 दिसंबर को निलंबित कर दिया था। इसके बाद ऐसा घमासान मचा कि देश भर से लोग फैसले को गलत ठहरा पीड़िता को न्याय दिलाने की मांग करने लगे।
दुष्कर्म पीड़िता ने भी फैसले को गलत बता महिला संगठनों के साथ धरना प्रदर्शन शुरू किया था। सीबीआई ने हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान फिलहाल के लिए सजा निलंबन पर रोक लगा दी गई। दुष्कर्म पीड़िता ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला सुनाया, वह सच की जीत है। उम्मीद है कि आगे भी सुप्रीम कोर्ट उसके पक्ष में ही सारे फैसले सुनाएगी।
'थकी हूं, डरी हूं, धीरे-धीरे विश्वास खो रही हूं, फिर भी उम्मीद से जुड़ी हूं'
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कुलदीप की बेटी ने एक्स पर भावुक पोस्ट किया। उन्होंने भारत गणराज्य के माननीय अधिकारियों को संबोधित करते हुए व लाइव लॉ इंडिया व ब्रांड बेंच को टैग कर लिखा, 'वह यह पत्र एक ऐसी बेटी के रूप में लिख रही हैं, जो थकी हुई, डरी हुई है, धीरे-धीरे विश्वास खो रही है, फिर भी उम्मीद से जुड़ी हुई है। क्योंकि अब कहीं और जाने की जगह नहीं बची है।'
आगे लिखा, 'आठ वर्षों से, मैं और मेरा परिवार चुपचाप, धैर्यपूर्वक प्रतीक्षा कर रहा है। यह मानते हुए कि यदि हम सब कुछ सही तरीके से करेंगे तो अंततः सच्चाई स्वयं सामने आ जाएगी। हमने कानून पर भरोसा किया। आज मैं इसलिए लिख रही हूं, क्योंकि मेरा यह विश्वास टूट रहा है।'
To
— Dr Ishita Sengar (@IshitaSengar) December 29, 2025
The Hon’ble Authorities of the Republic of India,
I am writing this letter as a daughter who is exhausted, frightened, and slowly losing faith, but still holding on to hope because there is nowhere else left to go.
For eight years, my family and I have waited. Quietly.…
'जिन लोगों ने मुझसे कभी मुलाकात नहीं की, एक भी दस्तावेज नहीं पढ़ा, एक भी अदालती रिकॉर्ड नहीं देखा, उन्होंने तय कर लिया है कि मेरे जीवन का कोई मूल्य नहीं है। आठ साल से इंंटरनेट मीडिया पर मेरी लज्जा को तार-तार किया जा रहा है। हमने विरोध प्रदर्शन नहीं किए।'
'हमने टेलीविजन बहसों में शोर नहीं मचाया। हमने इंतजार किया, क्योंकि हमारा मानना था कि सच्चाई को तमाशे की जरूरत नहीं होती। ऐसा कोई प्राधिकरण नहीं था, जिससे हम संपर्क न कर सकें। ऐसा कोई मीडिया हाउस नहीं था, जिसे हमने पत्र न लिखा हो। फिर भी किसी ने नहीं सुना।'
'मुझे अब भी विश्वास है कि कोई न कोई, कहीं न कहीं, मेरी बात सुनने की परवाह करेगा। हम न्याय मांग रहे हैं क्योंकि हम भी इंसान हैं। मैं एक बेटी हूं, जिसे अब भी इस देश पर और न्यायपालिका पर भरोसा है। मुझे अपने इस विश्वास पर पछतावा न होने दें।'

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