UP News: बाग में अमिया बीनने गए बच्चे, पेड़ पर लटके दो शव देख पैरों तले खिसकी जमीन; गांव वालों को बताया सच
UP News उत्तर प्रदेश के आसीवन में एक प्रेमी युगल ने दूसरी जगह तय हुई शादी के गम में जान दे दी। चावली और पंकज की चार साल से गहरी नजदीकी थी लेकिन उनके परिवार इस रिश्ते के खिलाफ थे। दोनों ने घर से 200 मीटर दूर आम के पेड़ से फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। इस घटना से पूरे गांव में शोक की लहर है।

संवाद सूत्र, जागरण आसीवन। UP News: क्षेत्र के लोचनखेड़ा गांव में दूसरी जगह शादी तय होने के गम में प्रेमी युगल ने गुरुवार को घर से 200 मीटर दूर बाग में आम के पेड़ से फंदा लगाकर जान दे दी। दोपहर करीब दो बजे अमिया बीनने गए बच्चों ने शव लटके देख ग्रामीणों को जानकारी दी।
स्वजन शव देख बेहाल हो गए। एक ही गांव में अगल-बगल घर होने से दोनों के स्वजन इस शादी के लिए तैयार नहीं थे। सीओ ने फोरेंसिक टीम की मदद से जांच के बाद शव पोस्टमार्टम के लिए भेजा है।
चार साल से थी गहरी नजदीकी
लोचनखेड़ा गांव निवासी सुरेश व बउवा लोध का घर अगल-बगल है। दोनों की छत मिली हुई है। सुरेश की सबसे छोटी बेटी 19 वर्षीय चावली की बउवा के 21 वर्षीय बेटे पंकज से करीब चार साल से गहरी नजदीकी थी। ग्रामीणों के अनुसार दोनों में प्रेम प्रसंग था और शादी भी करना चाहते थे। घर अगल-बगल होने से दोनों परिवारों को इस शादी से एतराज था।
चावली के पिता ने दोस्ती नगर में उसकी शादी तय कर दी थी। 20 अप्रैल को लड़के वालों को चावली को देखने आना था। उधर पंकज के स्वजन ने भी उसकी शादी आसीवन के रसूलाबाद में पक्की कर दी थी। पंकज व चावली एक-दूसरे से जुदा होने का गम सह नहीं पाए।
दिवंगत पंकज (फाइल फोटो)।
घर पर चल रही थी छठी की तैयारी
गुरुवार सुबह चावली अपने बड़े भाई अनिल व पिता सुरेश के साथ अरेरकला गांव निवासी बउवा प्रधान के खेत की फसल काटने गई थी। वहां से दोपहर 12 बजे के बाद घर लौटी। उसके भाई अनिल की पत्नी रिंकी को छह दिन पहले बेटी हुई थी। आज उसकी छठी थी। घर पर छठी की तैयारी चल रही थी।
खेत से घर पहुंची चावली को देख उसकी मां गुना ने बेटी से काम में हाथ बंटाने की बात कही। गुमसुम चावली ने मां की बात को अनसुना किया और कमरे में जाकर लेट गई। स्वजन काम में व्यस्त हो गए। इसी बीच चावली स्वजन की नजर से बचकर घर से निकल गई।
दोपहर करीब दो बजे घर से 200 मीटर दूर शिवबालक के बाग में अमिया बीनने गए गांव के बच्चों ने आम के पेड़ की अलग-अलग डाल में चावली का शव दुपट्टे से व पंकज का शव साड़ी से लटका देखा। यह दृृश्य देखकर वह भागकर गांव पहुंचे बच्चों ने इसकी जानकारी उनके स्वजन को दी। बिलखते हुए दोनों के स्वजन बाग पहुंचे और चावली व पंकज के शव देख कांप गए। एसओ आसीवन अजय सिंह व सीओ बांगरमऊ अरविंद चौरसिया मौके पर पहुंचे।
ग्रामीणों की मदद से शव नीचे उतरवाए। फोरेंसिक टीम की जांच के बाद शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। दोनों के स्वजन का कहना है कि उन्हें नहीं पता था कि दोनों शादी करना चाहते थे।
सीओ बांगरमऊ अरविंद चौरसिया ने बताया कि जांच में सामने आया है कि प्रेमी युगल के अगल-बगल मकान हैं। दोनों शादी करना चाहते थे। स्वजन को दोनों ने यह बात बताई थी पर वह इस शादी से तैयार नहीं थे और दूसरी जगह शादी की तैयारी कर रहे थे। इसी से आहत होकर प्रेमी युगल ने जान दे दी।
44 दिन पहले हरियाणा से लौटकर गांव आया था पंकज
पंकज हरियाणा में एक किराना की दुकान में काम करता था। छह माह पहले वह घर से काम पर हरियाणा गया था। होली मनाने के लिए 26 फरवरी को शिवरात्रि के दिन वह गांव लौटा था, तब से यहीं था। चर्चा है कि चावली व पंकज को जब से इस बात की जानकारी हुई कि स्वजन ने उनकी शादी दूसरी जगह तय कर दी है, वह परेशान रहने लगे थे। एक-दूसरे से जुदा होने के गम में ही दोनों ने जान देने का फैसला लिया।
दोनों के पास मिले मोबाइल, पुलिस ने कब्जे में लिए
घटनास्थल पर पहुंची पुलिस को दोनों के पास मोबाइल मिले। जिन्हें कब्जे में लिया गया है। पुलिस मोबाइल की काल डिटेल खंगाल रही है। वहीं इस घटना के बाद दोनों परिवारों में कोहराम मचा रहा। जिसने सुना मौके पर पहुंच गया। चावली के स्वजन ने बताया कि उसके पिता दो दिन पहले ही शादी के लिए लड़का देखने दोस्तीनगर गए थे।
पंकज दो बहनों के बीच था इकलौता, स्वजन बेहाल
पंकज दो बहनों के बीच इकलौता था। मां शिवदेवी की सात साल पहले बीमारी से मौत हो गई है। एक बड़ी विवाहित बहन प्रीती व छोटी बहन साधना हैं। जैसे ही इकलौते भाई की मौत की खबर प्रीती तक पहुंची वह ससुराल से घटनास्थल पर पहुंची और भाई का शव देख कांप गई।
वहीं छोटी बहन साधना व पिता बउवा भी चीखते-चिल्लाते रहे। वहीं चावली पांच भाई बहनों में सबसे छोटी थी। दो अन्य बहनें अनिला व गुड़िया हैं। भाई बड़े अनिल व सुनील हैं। मां गुना व पिता सुरेश के अलावा अन्य स्वजन का रो-रोकर बुरा हाल है। चावली की मौत से घर में छठी कार्यक्रम की खुशियां मातम में बदल गईं।
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