भाई के गुनाहों पर पर्दा डालने में मात खा गए कुलदीप सिंह सेंगर, अर्श से फर्श पर पहुंचाया
लगातार चार बार विधायक रहे सजायाफ्ता विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की दिल्ली हाईकोर्ट ने सजा निलंबित की तो आठ साल पुराना वाक्या फिर सामने आ गया। जिस कुलदीप ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, उन्नाव। लगातार चार बार विधायक रहे सजायाफ्ता विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की दिल्ली हाईकोर्ट ने सजा निलंबित की तो आठ साल पुराना वाक्या फिर सामने आ गया। जिस कुलदीप को पीड़िता बाहुबली बताती है उनकी बर्बादी के पीछे काफी हद तक उनके भाई अतुल सेंगर का योगदान रहा। इसी भाई की वजह से कुलदीप की विधायकी तो गई ही दुष्कर्म के दोषी ठहराए जाने पर सामाजिक प्रतिष्ठा भी मिट्टी में मिल गई। वह आठ साल से सलाखों के पीछे हैं।
विधायक के रुतबे का सबसे ज्यादा गलत फायदा उनका छोटा भाई अतुल सेंगर उठाता था। विधायक के दबाव में पुलिस उसका साथ देती थी। पीड़िता के पिता को इसी भाई ने अपने लोगों से पिटवाया। आठ अप्रैल 2018 की रात पिता की जेल में हालत बिगड़ी तो जेल प्रशासन ने जिला अस्पताल भेजा था। नौ अप्रैल को तड़के 3:49 बजे पीड़िता के पिता की मौत हो गई थी। इसी के बाद कुलदीप की मुश्किलें बढ़ी और उनका कोई दांवपेंच काम न आया। पीड़िता व उसके परिवार को तुच्छ मानसिकता के लोग बताने वाले कुलदीप आठ साल से जेल की सलाखों के पीछे हैं।
कुलदीप के दबाव में पुलिस भी छिपाती रही भाई का गुनाह
चार बार के विधायक रहे कुलदीप का तिलिस्म इतना मजबूत था कि पुलिस उनके अनुसार ही हर कार्य करती थी। इसका उदाहरण उस समय देखने को मिला, जब दुष्कर्म पीड़िता के पिता को कुलदीप के भाई अतुल सेंगर ने अपने लोगों से पिटवाया। इस मामले में पुलिस ने उल्टे पीड़ित के पिता को मारपीट व तमंचा रखने का आरोपित बना जेल भेज दिया था।
एएसपी रामलाल वर्मा को मारी थी गोली
कुलदीप के इसी छोटे भाई अतुल सिंह ने एक मामले की जांच कर रहे तत्कालीन एएसपी रामलाल वर्मा को 18 जुलाई 2004 में गोली मारी थी। घटना में विधायक के भाई समेत 20 पर जानलेवा हमला, 7 क्रिमिनल एक्ट में रिपोर्ट भी दर्ज हुई थी। हालांकि चार्जशीट के बाद मुकदमे की फाइल ही गायब हो गई। इसके बाद वर्ष 2014 में भी अतुल ने कानपुर में एक व्यक्ति को गोली मार दी थी। विधायक की ऊंची पहुंच के चलते यह मामला भी रफा दफा हो गया था। दुष्कर्म पीड़िता के पिता की हत्या में अतुल के साथ कुलदीप सेंगर को भी 10 साल की सजा हुई थी।
समर्थक बोले, कोर्ट ने तथ्यों को समझने के बाद ही लिया फैसला
दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा कुलदीप की सजा निलंबित करने को लेकर जहां पीड़िता व उसके पक्ष के लोगों में उबाल हैं, वहीं समर्थकों का एक बड़ा खेमा कोर्ट के इस फैसले को सही करार देते हुए स्वागत योग्य बता रहा है। इंटरनेट मीडिया पर कुलदीप के समर्थक अपनी टिप्पणी देते हुए कह रहे हैं कि कुलदीप के पक्ष व उनके द्वारा दिए गए साक्ष्यों को न ही सीबीआइ ने सुना और न ही किसी कोर्ट ने। कुलदीप के राजनीति से जुड़े होने पर साक्ष्यों को नजरंदाज कर उन्हें सजा की दहलीज तक पहुंचा दिया गया। अब हाईकोर्ट ने कुलदीप के उन्हीं साक्ष्यों को देखा और सुना। इसके बाद अपना फैसला सुनाया है।

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