उन्नाव में कफ सिरप बनाने वाली फैक्ट्री में छापा, लिया सिरप व प्रयोग की जाने वाली सामग्री का सैंपल
राजस्थान में बच्चों की मौत के बाद उन्नाव में कफ सिरप फैक्ट्री पर छापा मारा गया। औषधि निरीक्षक ने अकरमपुर स्थित फैक्ट्री से कफ सिरप और तीन दवाओं के नमूने लिए और उन्हें जाँच के लिए लखनऊ प्रयोगशाला भेजा। फैक्ट्री मालिक ने बताया कि वे शुगर से कफ सिरप बनाते हैं और पॉलीइथाइलीन ग्लाइकाल का उपयोग नहीं करते। औषधि निरीक्षक ने निर्माण मानकों का पालन करने के निर्देश दिए।

औषधि निरीक्षक द्वारा लिए गये सैंपल। कर्मचारी
जागरण संवाददाता, उन्नाव। राजस्थान में खांसी का कफ सिरप पीने से बच्चों की मौत होने के बाद कफ सिरप की जांच तेज हो गई है। आयुक्त खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन ने कफ सिरप का निर्माण करने वाली औद्योगिक इकाइयों और कफ सिरफ के निर्माण में उपयोग होने वाले साल्ट का भी सैंपल लेने का आदेश जारी किया है।
आयुक्त के निर्देश पर शुक्रवार को औषधि निरीक्षक ने औद्योगिक क्षेत्र अकरमपुर स्थित कफ सिरप बनाने वाली फैक्ट्री में छापामार कर जांच की। इस दौरान उन्होंने तैयार कफ सिरप और उसमें मिश्रित की जाने वाली तीन दवाओं के साल्ट का सैंपल लेकर जांच के लिए लखनऊ प्रयोगशाला भेजा है।
औषधि निरीक्षक अशेकर कुमार ने बताया कि औद्योगिक क्षेत्र अकरमपुर स्थित कफ सिरफ बनाने वाली निर्माण इकाई डाक्टर फार्मास्युटिकल्स प्रवि लिमिटेड का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान फैक्ट्री में पालीइथाइलीन ग्लाइकाल व डाई एथिलीन ग्लाइकाल नहीं मिला। औषधि निरीक्षक ने बताया कि निरीक्षण के समय साथ रहे फैक्ट्री के मालिक व निदेशक निखिल चंडक ने बताया कि उनकी फैक्ट्री में बनने वाले कफ सिरप में पालीइथाइलीन ग्लाइकाल व डाई एथिलीन ग्लाइकाल का उपयोग नहीं किया जाता है। हमारे यहां शुगर से कफ सिरप बनता है।
औषधि निरीक्षक अशोक कुमार ने बताया कि फैक्ट्री से तैयार डोरिल कफ सिरप और उसे बनाने में उपयोग की जाने वाले तीन साल्ट का सैंपल लेकर परीक्षण के लिए लखनऊ प्रयोगशाला भेजा है। औषधि निरीक्षक ने कहा कि फैक्ट्री में कोई और कमी नहीं मिली है। निर्माण के मानकों पर ध्यान रखने को कहा है। उन्होंने कहा कि फुटकर और थोक दवा विक्रेताओं से लेकर निर्माण इकाइयों तक में कफ सिरप की जांच का अभियान लगातार जारी रहेगा।
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