इंसास की जगह AK-203 राइफल से लैस होंगे जवान, मोर्चे पर ज्यादा देर तक टिके रहने में है सक्षम
भारतीय सशस्त्र बल अब इंसास राइफल की जगह एके-203 राइफल का इस्तेमाल करेंगे। एके-203 कलाश्निकोव राइफल सीरीज का आधुनिक संस्करण है जो इंसास से बेहतर है। एके-203 की मैगजीन में 30 कारतूस आ सकते हैं और इसका वजन भी इंसास से कम है। कंपनी का लक्ष्य 2030 तक छह लाख एके-203 राइफलें बनाकर सेना को देना है।

विवेक मिश्र, कानपुर। अब इंडियन स्माल आर्म्स सिस्टम (इंसास) की जगह एके-203 राइफल लेगी। इंसास का प्रयोग भारतीय सशस्त्र बलों के जवान 30 वर्षों से अधिक समय से कर रहे हैं। आयुध निर्माणियों में प्रसिद्ध कलाश्निकोव राइफल सीरीज का आधुनिक वर्जन एके-203, एके-47 और एके-56 राइफालों के सापेक्ष कहीं अधिक आधुनिक है।
इंसास में 5.56 गुणा 45 मिमी कारतूस प्रयोग होता है, जबकि एके-203 में 7.62 गुणा 39 मिमी कारतूस के प्रयोग से मारक क्षमता अधिक होती है। एके-203 की मैगजीन में 30 कारतूस तक आ सकते हैं, जिससे किसी भी मोर्चे पर जवानों को ज्यादा देर तक टिके रहने में मदद मिलेगी।
इसी तरह यह राइफलें 3.8 किग्रा वजन की होंगी, जबकि इंसास 4.15 किलोग्राम वजनी है। इससे इन्हें लेकर चलन भी आसान होगा व जवानों की ताकत बढ़ेगी। अगले चार साल में छह लाख जवान एके-203 असाल्ट राइफल से लैस हो जाएंगे।
एडवांस वेपन्स एंड इक्विपमेंट इंडिया लिमिटेड (एडब्ल्यूईआइएल) कानपुर मुख्यालय के अधीन स्माल आर्म्स फैक्ट्री (अर्मापुर) व अमेठी समेत देश के अन्य प्लांटों में इन राइफलों को बनाने का काम तेजी से चल रहा है। इसमें 45 प्रतिशत योगदान स्माल आर्म्स फैक्ट्री के इंजीनियर दे रहे हैं।
कंपनी ने प्रति वर्ष 1.5 लाख राइफल बनाने का लक्ष्य लिया है। सेना को अब तक 18 हजार एके-203 राइफलों की आपूर्ति की जा चुकी है। इन राइफलों का निर्माण इंडो-रशियन राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड (आइआरआरपीएल) द्वारा किया जा रहा है।
स्माल आर्म्स फैक्ट्री के महाप्रबंधक सुरेन्द्र पति ने बताया कि एके-203 असाल्ट राइफलें की आपूर्ति शुरू कर दी गई है। कंपनी का लक्ष्य वर्ष 2030 तक छह लाख राइफलें बनाकर सशस्त्र बलों के जवानों को उपलब्ध कराना है।
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