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    Gandhi Jayanti 2025: यूपी में इस जगह पत्नी के साथ रुके थे गांधी, जनसभा कर अंग्रेजों के खिलाफ लोगों में भरा था जोश

    Updated: Thu, 02 Oct 2025 03:48 PM (IST)

    बीसवीं सदी के तीसरे दशक में महात्मा गांधी अपनी पत्नी कस्तूरबा गांधी के साथ सुल्तानपुर आए थे। वे सीता कुंड केश कुटीर में ठहरे और जगराम धर्मशाला में उनकी सभा हुई जहां भारी संख्या में लोग उन्हें सुनने आए। उस समय संचार के साधन सीमित थे पर लोगों का उत्साह चरम पर था। बाबू गनपत सहाय जैसे स्थानीय युवाओं ने स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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    यहां पत्नी कस्तूरबा के साथ आए गांधी ने अंग्रेजों के खिलाफ लोगों में भरा था जोश।

    जागरण संवाददाता, सुलतानपुर। 20वीं सदी के तीसरे दशक में ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ पूरे देश में ज्वाला फैल चुकी थी। अफ्रीका से आकर स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व संभाल चुके महात्मा गांधी पूरे देश में अपने अनोखे कार्यशैली से पूरे देश में चर्चित हो चुके थे। वह जहां भी जाते, भीड़ उन्हें सुनने व देखने के लिए उमड़ पड़ती थी।

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    देश के आजादी की लड़ाई में गांधी के आंदोलन का यह जनपद भी साक्षी बना, जब वे 1929- 30 में पत्नी कस्तूरबा गांधी के साथ शहर में आए। तब वह सीता कुंड केश कुटीर में रात में ठहरे थे। अगले दिन जगराम धर्मशाला में उनकी सभा हुई थी।

    तब आज जैसा संचार का माध्यम नहीं था। टीवी न इंटरनेट मीडिया, न ही मोबाइल... फिर भी उन्हें देखने व सुनने के लिए बड़ी संख्या में लोग एकत्र हो गए थे।

    उस वक्त बाबू गनपत सहाय, सुंदरलाल, राम नारायण सिंह, चंद्रबली पाठक आदि युवा आजादी के लिए संघर्ष के वाहक बन गए थे। सुलतानपुर इतिहास की झलक में राजेश्वर सिंह गांधी के यहां आने का जिक्र करते हैं।

    जिस तरह यहां की जनता ने उन्हें अपना समर्थन दिया, उससे वह लोगों से भावनात्मक रूप से जुड़ गए। उन्हाेंने आंदाेलन को तेज करने का आह्वान लोगो से किया। उनके भाषण से युवाओं में जोश आ गया था। यहां के वणिक समाज ने उन्हें चंदा भी दिया था।

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