अधिक यूरिया डालने से खेत की मिट्टी होती है खराब
जागरण संवाददाता, सोनभद्र : फसलों में नाइट्रोजन की कमी को पूरा करने के लिए डाली जाने वाली
जागरण संवाददाता, सोनभद्र : फसलों में नाइट्रोजन की कमी को पूरा करने के लिए डाली जाने वाली यूरिया खाद अब नये पैक में आएगी। इससे किसान के साथ ही उसके खेत की मिट्टी की सेहत भी सुधरेगी। कृषि विभाग के लोग किसानों के लिए यह बेहतर सुधार की दिशा में कदम बढ़ाया जाना मान रहे हैं।
सहायक निबंधक सहकारिता त्रिभुवन नारायण ¨सह ने बताया कि पहले पचास किलो के पैक में आने वाली यूरिया अब नये पैक में भी आएगी। यह नया पैक 45 किलो का होगा। इसका लाभ किसानों को दो तरह से मिलेगा। एक तो कम लागत में मिलेगी और दूसरे खेत में जब कम खाद डाली जाएगी तो खेतों की सेहत भी सुधरेगी। यह नया पैक खेती के इसी सीजन से मिलने भी लगेगा। बताया कि ऐसा इसलिए किया गया है ताकि किसान कम खाद का इस्तेमाल करें। बताया कि किसानों में एक धारणा है कि यूरिया प्रति बीघा एक बोरी डालते हैं। इससे फसल को नाइट्रोजन तो 46 फीसद ही मिलता है। लेकिन बाकी जो अतिरिक्त होता है वह खेत की सेहत को खराब करता है, जो आगे चलकर दिक्कत खड़ी करता है।
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किस काम आती है यूरिया
यहां नीम कोटेड यूरिया का इस्तेमाल किया जाता है। कृषि विभाग के विषयवस्तु विशेषज्ञ बताते हैं कि यूरिया का इस्तेमाल नाइट्रोजन की कमी को पूरा करने के लिए कहया जाता है। नीम कोटेड यूरिया में 46 फीसद नाइट्रोजन पाया जाता है। यानि अगर एक कुंतल यूरिया डाली जाती है फसल में नाइट्रोजन की मात्रा 46 किलो ही मिलती है। बाकि वेस्टेज ही होता है। जो खेती को प्रभावित करता है। नाइट्रोजन से ही पौधा विकास करता है, वह अपना भोजन बनाता है।
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