सोनभद्र में यूरेनियम के लिए 25 वर्षों से चल रही खोज, मात्रा को लेकर लगाया जा रहा अनुमान
सोनभद्र में यूरेनियम की खोज जारी है जहाँ परमाणु खनिज अन्वेषण एवं अनुसंधान निदेशालय की टीम दुद्धी में डेरा डाले हुए है। फरवरी 2020 में हुए हवाई सर्वेक्षण के बाद म्योरपुर के नकटू में ड्रिलिंग चल रही है। हालांकि यूरेनियम की सटीक मात्रा अज्ञात है लेकिन इसके पुख्ता सुबूत मिलने पर सोनभद्र पत्थर और कोयले के साथ इस बहुमूल्य अयस्क के लिए भी जाना जा सकता है।

जागरण संवाददाता, सोनभद्र। विंध्य पर्वत क्षेत्र दुनिया की सबसे पुरानी चट्टानों में से एक है। इसमें अपार संपदा हैं। इनकी खोज के लिए यहां कई वर्षों से शोध प्रक्रिया चल रही है। यूरेनियम की खोज यहां पर लगभग 25 वर्षों से चल रही है। पिछला सर्वे फरवरी 2020 में किया गया था।
इस दौरान परमाणु खनिज अन्वेषण एवं अनुसंधान निदेशालय की टीम ने जनपद के चोपन, म्योरपुर व दुद्धी ब्लाक का हवाई सर्वेक्षण किया था। अब एक बार फिर से टीम दुद्धी में डेरा जमाए हुए है। हालांकि जनपद के भूगर्भ में कितना यूरेनियम है इसकी कोई सटीक मात्रा किसी को नहीं पता।
विदित हो कि यूरेनियम की खोज व इसको निकालने की प्रक्रिया बहुत कठिन होती है। सरल शब्दों में समझें तो एक लाख टन पत्थर निकालने के बाद एक या दो किलो यूरेनियम मिलेगा। यूरेनियम होने की पुष्टि के बाद ही खनन संभव है।
यूरेनियम की खोज के लिए परमाणु खनिज अन्वेषण एवं अनुसंधान निदेशालय की टीम समय-समय पर जनपद के दौरे पर रहती है। वर्तमान समय में म्योरपुर के नकटू में इसके लिए ड्रिलिंग के लिए काम चल रहा है।
हालांकि यहां पर कितनी मात्रा में यूरेनियम है इसका दावा करना बहुज जल्दबाजी होगा। इसका कोई आधिकारिक दावे भी मौजूद नहीं है। हालांकि यूरेनियम के पुख्ता सुबूत मिले तो पत्थर, बालू, अयस्क व कोयले की खदानों से पहचाना जाने वाला सोनभद्र इस बहुमूल्य अयस्क के लिए भी जाना जाएगा।
एक माह तक हेलीकाप्टर से चला था सर्वे का काम
जियोलाजिकल सर्वे आफ इंडिया व परमाणु ऊर्जा विभाग की टीम ने फरवरी 2020 में करीब एक माह तक हेलीकाप्टर से जिले के चोपन, म्योरपुर व दुद्धी ब्लाक का हवाई सर्वेक्षण किया था। इन इलाकों में यूरेनियम के भंडार होने की संभावना जताई थी। नाम नहीं छापने की शर्त पर एक अधिकारी ने बताया कि सर्वे टीम को कोन ब्लाक में एक-दो स्थानों पर यूरेनियम होने की संभावना है।
यह अनुमान 1998 से लेकर 2012 तक के सभी सर्वेक्षणों में जताया जा चुका है। हालांकि यूरेनियम की मात्रा को लेकर संशय है। बता दें कि कोन के हरदी में यूरेनियम का भंडार का पता लगाने के लिए 2009 से कई बार खोदाई कार्य किया गया। 1998 से 2012 तक के सर्वे के अनुसार पड़ोसी राज्य झारखंड के जादूगोड़ा में मिले यूरेनियम के बड़े भंडार के बाद सोनभद्र में इस अयस्क के मिलने की संभावना सबसे ज्यादा है।
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