यूपी में परिषदीय विद्यालयों में बच्चों को कुत्तों ने काटा तो शिक्षक कराएंगे उपचार, लगेगा एंटी रैबिज इंजेक्शन
सोनभद्र के 30 परिषदीय विद्यालयों में शिक्षकों को आवारा कुत्तों से बच्चों की सुरक्षा के लिए नोडल अधिकारी बनाया गया है, खासकर बाउंड्रीवाल रहित स्कूलों म ...और पढ़ें

परिषदीय विद्यालयों में बच्चों को कुत्तों ने काटा तो शिक्षक कराएंगे उपचार।
जागरण संवाददाता, सोनभद्र। स्कूली परिसरों को आवारा कुत्तों से संरक्षित करने के लिए जनपद में शिक्षकों को नोडल नामित किया गया है। सोनांचल के ऐसे 30 परिषदीय विद्यालयों को चिह्नित किया गया है, जहां बाउंड्रीवाल नहीं है। इन जगहाें पर स्कूली परिसर में ईर्द-गिर्द भी आवारा कुत्ते न मंडराएं इसकी जिम्मेदारी नोडल शिक्षकों को सौंप दी गई है।
हालांकि किन किन विद्यालयों में नोडल शिक्षक बनाए गए हैं, बेसिक शिक्षा विभाग ने उसका नाम सार्वजनिक नहीं किया है। यदि किसी स्कूली छात्र-छात्रा को कुत्ता काटता है तो यह नोडल शिक्षक उन्हें लेकर सरकारी अस्पताल जाएंगे और एंटी रैबिज इंजेक्शन लगवाएंगे।
यदि बच्चा कुत्तों के हमले से ज्यादा घायल है तो उसका उपचार कराने के साथ ही उसकी नियमित मानीटरिंग भी करेंगे। विभाग नोडल शिक्षकों की सूची बेसिक शिक्षा निदेशालय को भी भेजेगा।
न्यायालय के आदेश के बाद सरकार के निर्देश पर परिषदीय विद्यालयों में कुत्तों से बचाव के लिए नाेडल अधिकारी तो नामित कर दिये गए लेकिन सवाल यह भी उठता है कि जिन परिषदीय विद्यालयों में महज एक शिक्षक हैं, वे बच्चों को पढ़ाएंगे, मोबाइल, टैबलेट या लैपटाप पर विभागीय कार्य करेंगे या फिर दिन पर निगरानी करेंगे कि परिसर के ईर्द गिर्द कोई कुत्ता न मंडराए।
बगैर आश्रय स्थल के निकाल दिया कुत्तों को पकड़ने का टेंडर
आवारा कुत्ताें को पकड़ने के लिए नगर पालिका ने टेंडर तो निकाल दिया लेकिन उनके आश्रय का कोई इंतजाम नहीं किया गया। नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी मुकेश कुमार ने बताया कि दो बार कुत्तों को पकड़ने के लिए टेंडर निकाला गया था। तीसरी बार फिर एक माह पूर्व टेंडर निकला था लेकिन किसी ने उसे भरा ही नहीं। उन्होेंने बताया कि कोई टेंडर ले लेता तो उनके आश्रय के लिए व्यवस्था की जाती।
70 प्रतिशत आवारा कुत्तों के नसबंदी, टीकाकरण की है अनिवार्यता
केंद्र सरकार ने 70 प्रतिशत आवारा कुत्तों की नसबंदी व टीकाकरण अनिवार्य कर दिया है। इसके लिए उन्हें पकड़ने, रखने के लिए शेल्टर हाउस बनवाने और फिर बंध्याकरण व टीकाकरण की प्रक्रिया होनी है, लेकिन वर्तमान में पशु चिकित्सा विभाग के पास भी इससे जुड़ी कोई व्यवस्था नहीं है।
पशु चिकित्सा विभाग अभी तक सिर्फ 305 पालतू कुत्तों का ही बंध्याकरण व टीकाकरण कर सका है। वह भी तब हो सका है जब पशु पालक उन्हें लेकर पशु अस्पताल पहुंचे हैं।
परिषदीय विद्यालयाें के बच्चों को आवारा कुत्तों से बचाव के लिए शासन से आदेश है। जिन छात्र-छात्राओं को कुत्ता काटेगा उनके उपचार के लिए फिलहाल 30 ऐसे विद्यालयों पर नोडल शिक्षक तैनात किये गए हैं, जहां बाउंड्रीवाल नहीं है। यह नोडल शिक्षक घायल बच्चों को एंटी रैबिज इंजेक्शन लगवाएंगे और उनका उपचार कराएंगे। -मुकुल आनंद पांडेय, बीएसए।

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