अमिला धाम की यात्रा में हर साल जाती है जान
जागरण संवाददाता, सोनभद्र : जिले के कोन थाना क्षेत्र स्थित अमिलाधाम में दर्शन-पूजन करने जाने वालों मे
जागरण संवाददाता, सोनभद्र : जिले के कोन थाना क्षेत्र स्थित अमिलाधाम में दर्शन-पूजन करने जाने वालों में से हर साल कुछ न कुछ लोग यात्रा के दौरान सड़क हादसे का शिकार होकर काल के गाल में समा जाते हैं। दुर्घटनाओं की मुख्य वजह अत्यधिक ढलान वाली सड़कें हैं। अब तक हुई दुर्घटनाओं में ज्यादातर मामले ट्रैक्टर व आटो में बैठकर यात्रा करने वालों के साथ हुए हैं। इस तरह की दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस व प्रशासन ने कई अहम फैसला किया है लेकिन इस पर अभी पूरी तरह से पाबंदी नहीं लग सकी है।
बुधवार को अमिलाधाम से लौटते समय नाव में सवार होने वाले दर्शनार्थियों के दुर्घटनाग्रस्त होने व उसमें भगवानदास की मौत होने, विजयगढ़ दुर्ग के पास ढलान पर उतरते समय आटो पलटने से तीन लोगों की हुई मौत के बाद इस क्षेत्र में होने वाले हादसों की याद ताजा हो गई। अब तक हुए हादसों पर नजर डालें तो औसत हर तीन या चार महीने में कोई न कोई हादसा इस मार्ग पर हो जाता है। गत दो सालों में कुल पांच हादसे हो चुके हैं। इसमें आधा दर्जन से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। जानकारों की मानें तो ज्यादा ढलान वाला इलाका होने की वजह से यहां दुर्घटनाएं होती हैं। दुर्घटनाओं से बचने के लिए खुद दर्शनार्थियों को जागरूक होना होगा।
क्यों होती हैं दुर्घटनाएं
सोनभद्र : अमिला धाम यात्रा के दौरान हादसे होने की सबसे बड़ी वजह यहां की ढलान वाली सड़कें हैं। जानकारों की मानें तो यहां जाने वालों में सबसे ज्यादा लोग ट्रैक्टर-ट्राली व आटो में सवार होकर जाते हैं। इन वाहनों को जो चालक पहली बार इस मार्ग पर लेकर जाते हैं उन्हें यहां की सड़क के बारे में अंदाजा नहीं होता। इसी में दुर्घटनाएं हो जाती हैं। वहीं कुछ लोगों की मानें तो पहले जो दुर्घटनाएं होती थीं उनकी वजह शराब पीना था। अमिला धाम में बलि होती थी। वहां कटने वाले बकरे व मुर्गे को ही लोग भोजन बनाते थे। कुछ लोग इसके साथ शराब का भी सेवन कर लेते थे। वापस लौटते समय दुर्घटनाएं हो जाती थीं।
अब नीचे ही रोक दिये जाते हैं वाहन
सोनभद्र : अमिला धाम जाने वाले वाहनों को अब चढ़ाई के पहले ही रोक दिया जाता है। साथ ही जहां ज्यादा ढलान है वहां की सड़क को पहले से चौड़ा कर दिया गया है। यहां जाने के लिए कुछ लोग रामगढ़ से होते हुए जाते हैं। इनके लिए मंदिर से करीब दो-ढाई किमी पहले ही गड़वान घाटी के पास ही वाहनों को रोक दिया जाता है। इसी तरह चोपन की तरफ से जाने वाले वाहनों को चकरिया के पास रोक दिया जाता है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।