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    सूखी सरायन में फिर से बहने लगा पानी

    By JagranEdited By:
    Updated: Mon, 16 Oct 2017 09:54 PM (IST)

    सीतापुर : शहर के लोग कैंची पुल से नीचे झांकते हैं तो जुबान से 'अरे' निकल ही पड़ता है।

    सूखी सरायन में फिर से बहने लगा पानी

    सीतापुर : शहर के लोग कैंची पुल से नीचे झांकते हैं तो जुबान से 'अरे' निकल ही पड़ता है। दरअसल, इधर से अक्सर गुजरने वाला हर शख्स सरायन की रंगत से हैरान है। इसकी मुख्य वजह है कि लंबे अर्से से सूखी नाली जैसी दिखने वाली सरायन की रंगत अचानक बदल गई। इसमें बहाव नजर आने लगा है।

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    शहर के बीचोबीच से निकली सरायन की कहानी भी बड़ी अजब है। कभी इसी सरायन से लोग अपनी प्यास बुझाते थे। यह वह दौरा था, जब इसका पानी स्वच्छ हुआ करता था। सोते खुले हुए थे मगर धीरे-धीरे हालात विकट होते चले गए। शहर के आसपास बस्तियां बढ़ीं। इसी के साथ स्वरूप भी बिगड़ता चला गया। सच कहा जाए तो सरायन को लोगों ने कचरादान बना दिया। यही नहीं, करीब 15 नाले भी सरायन में प्रतिदिन गंदगी लेकर उतरते हैं। पॉलीथिन और कचरे का यही मिश्रण सरायन के लिए मुश्किल बन गया। पहले सोते बंद हुए। पानी बदबूदार और काला हो गया। ऐसी स्थितियों में सरायन नाले जैसी दिखने लगी।

    इनसेट

    ऐसे बदली रंगत

    शहर विधायक राकेश राठौर ने सरायन को भी पुनर्जीवन देने की ठानी। इस प्रयास में उनके खास दोस्तों का साथ मिला तो एरा कंपनी ने पोकलैंड मशीन उपलब्ध कराई। इसके बाद कूड़े से कराह रही सरायन की सफाई शुरू हुई। लाखों टन कचरा सरायन से बाहर निकाला जा चुका है। करीब एक किमी एरिया की सफाई में ही सरायन के कई सोते खुल गए हैं। इससे बहाव भी नजर आने लगा है।

    इनसेट

    विधायक की सुनिए

    चित्र परिचय- 16एसआइटी-024

    'सरायन को साफ करने की मुहिम में हमें शहरवासियों का भी सहयोग चाहिए। नागरिक पॉलीथिन का इस्तेमाल न करें। दरअसल, लोग पॉलीथिन में घर का कचरा फेंक देते हैं। यही कचरा नालों के जरिये कूड़ा लेकर सरायन में आ जाता है। जनसहयोग मिला तो सरायन का जल फिर निर्मल हो जाएगा। इसके बाद नाला घोषित की गई सरायन को पुन: नदी का दर्जा दिलाने का भी प्रयास करूंगा। नालों के सरायन में गिरने से हौज बनाने भी जरूरी हैं। अगर ऐसा हो जाए तो काफी गंदगी हौज में ही रुक सकती है।'

    - राकेश राठौर, नगर विधायक