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पूर्वजों की तृप्ति के लिए नैमिषारण्य में हो रहा पिडदान

देश के विभिन्न प्रांतों से पितृ पक्ष में गया के लिए आ रहे श्रद्धालु काशी कुंड व चक्र तीर्थ पर चल रहे कर्मकांड

By JagranEdited By: Published: Sun, 03 Oct 2021 11:33 PM (IST)Updated: Sun, 03 Oct 2021 11:33 PM (IST)
पूर्वजों की तृप्ति के लिए नैमिषारण्य में हो रहा पिडदान

सीतापुर : सनातन धर्म में पिडदान का विशेष महत्व है। पिडदान के लिए तीन स्थानों की विशेष मान्यता है। बद्रीनारायण (कृपालगया), नैमिषारण्य (नाभिगया) और गयाजी (चरणगया) हैं। तीनों स्थानों पर विधानपूर्वक पिडदान, तर्पण एवं श्राद्ध कर्म का विधान है। नैमिषारण्य में नाभिगया होती है। यहां पिडदान करने से पितरों की क्षुधा (भूख) शांत होती है। पितरों की तृप्ति की सबसे उपयुक्त प्रक्रिया श्राद्ध कर्म, पिडदान एवं तर्पण हैं। इसलिए लोग नैमिषारण्य में कई पीढि़यों के पितरों का श्राद्ध कर्म करने आते हैं। जिससे पितरों को मुक्ति प्राप्त हो। यहां देश के विभिन्न प्रांतों से लोग आकर पिडदान कर रहे हैं।

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पिछले वर्ष से नहीं आए विदेशी

नेपाल, भूटान, श्रीलंका व बांग्लादेश से भी श्रद्धालु यहां पूर्वजों की गया व पिडदान के लिए आते थे। पिछले वर्ष से श्रद्धालु नहीं आ रहे। इसका कारण कोविड-19 रहा। नेपाल बार्डर अभी तक बंद है।

कई प्रदेशों से पहुंचे श्रद्धालु

कर्मकांड पुरोहित पं श्रीधर द्विवेदी ने कहा पड़ोसी देशों से काफी लोग आते थे। कोविड के कारण लोग नहीं आ पाए। हालांकि मध्यप्रदेश, बिहार, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, राजस्थान, महाराष्ट्र व तमिलनाडु से लोग पिडदान के लिए आए हैं।

इनसेट-

बोले श्रद्धालु------

पिडदान पूर्वजों की मुक्ति एवं मोक्ष के उद्देश्य से किया जाता है। हमारा सौभाग्य है कि नैमिषारण्य में यह कर्मकांड करने का अवसर मिला।

परशुराम, जबलपुर मध्यप्रदेश

नैमिषारण्य आकर पूर्वजों के निमित्त श्राद्ध कर्म व पिडदान किया है। यहां गया करने से पितरों को मोक्ष मिलता है। इसी कामना से गया की है।

रामजी चंद्रवंशी, कबीरधाम छत्तीसगढ़

पूर्वजों की मुक्ति के लिए यहां पिडदान एवं तर्पण कर श्राद्ध कर्म किया। इससे पितरों की क्षुधा शांत होती है। पितरों की तृप्ति से आशीर्वाद मिलता है।

सदन लाल यदुवंशी, छिदवाड़ा मध्यप्रदेश

हमारी संस्कृति में पितरों के लिए पिडदान का विशेष महत्व है। नैमिषारण्य में नाभिगया से पितरों की क्षुधा शांत करने के लिए पिडदान होता है।

सहदेव ठाकुर, कटिहार, बिहार


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